2 दशक बाद रेलवे हटाएगा अतिक्रमण, फिर सुनाई देगी छुक छुक की आवाज़
सिंघाना से डाबला तक फिर बिछाई जाएंगी पटरियां, रेलवे ने इस रूट पर शुरू किया सर्वे

झुंझुनूं : जिस समय बड़े शहरों में ही रेल की सुविधा होती थी उस समय भी खेतड़ी, खेतड़ीनगर, सिंघाना व आस-पास के गांव व ढाणियों में इंजन की सीटी सुनाई देती थी। लेकिन अब रेल तो दूर रेल की पटरियां भी दिखाई नहीं दे रही। करीब 32 किमी रेलवे लाइन के दोनों तरफ की जमीन पर लोगों ने कच्चे पक्के निर्माण कर अवैध कब्जा कर लिया।
झुंझुनूं जिले के सिंघाना से नीमकाथाना जिले के डाबला गांव तक रेलवे फिर से 32 किलोमीटर लंबी पटरियां फिर बिछाएगा। यहाँ के लोगो को फिर सुनाई देगी छूक छूक की आवाज़। इसके लिए रेलवे द्वारा सर्वे भी शुरू कर दिया गया है। दरअसल सालों पहले हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने केसीसी प्रोजेक्ट के सामान की ढुलाई के लिए डाबला से सिंघाना तक रेलवे लाइन बिछाई गई थी। उस मालगाड़ी में एक सवारी डिब्बा भी होता था। इस 32 किलोमीटर की दूरी में रास्ते में पड़ने वाले बड़े गांवों में स्टेशन भी बनाए गए थे। आज भी कई जगह पत्थर पर स्टेशनों
जिले के सिंघाना से नीमकाथाना जिले के डाबला गांव तक रेलवे फिर से 32 किलोमीटर लंबी पटरियां बिछाएगा। इसके लिए रेलवे द्वारा सर्वे भी शुरू कर दिया गया है। दरअसल सालों पहले हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने केसीसी प्रोजेक्ट के सामान की ढुलाई के लिए डाबला से सिंघाना तक रेलवे लाइन बिछाई गई थी। उस मालगाड़ी में एक सवारी डिब्बा भी होता था। इस 32 किलोमीटर की दूरी में रास्ते में पड़ने वाले बड़े गांवों में स्टेशन भी बनाए गए थे। आज भी कई जगह पत्थर पर स्टेशनों के नाम लिखे हुए हैं।

बाद में नारनौल डाबला मावंडा रूट के ब्रॉडगेज में परिवर्तित हो जाने से सिंघाना डाबला रूट बंद कर वर्ष 2004-05 में पटरियों को भी उखाड़ लिया गया था। लेकिन कुछ समय पहले ही रेल मंत्री द्वारा उस पुराने सिंघाना डाबला रूट को फिर से चालू करने की बात कहने के बाद अब रेलवे ने इस रूट पर फिर से पटरियां बिछाने के लिए सर्वे शुरू कर दिया गया है। इस दौरान पुराने रेलवे ट्रैक को उखाड़ने के बाद इस जमीन पर हुए अतिक्रमणों को भी चिन्हित कर हटाया जाएगा ताकि पटरियां बिछाने में कोई अड़चन नहीं आ जाए। रेलवे ने इस रूट पर कई जगह पटरियों के लिए सीमेंटेड स्लीपर भी डाल दिए हैं।


डाबला से सिंघाना तक रेल लाइन बिछाने का मुख्य कारण हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के माल की ढुलाई करना था। सड़क परिवहन महंगा होने से कम लागत पर ज्यादा माल सप्लाई करने के लिए 1973-74 में रेल की पटरियां बिछाई गई थी। एचसीएल में फर्टिलाइजर संयंत्र लगाया गया था जिसका कच्चा माल उदयपुर से आता था। साथ ही खाद व तांबा भी सप्लाई किया जाता था। तैयार माल सीधा सेना, रेलवे, दूरसंचार व इलेक्ट्रिकल कंपनियों को मालगाड़ी से ही भेजा जाता था।


लंबे समय से चल रही है मांग
केसीसी का फर्टिलाइजर प्लांट बंद होने के बाद माल गाड़ी आना बंद हो गई थी। इस पर 2004 में रेलवे ने पटरियां उखाड़ पांच करोड़ रुपए में बेच दिया था। इधर झुंझुनूं में नई रेल लाइन की मांग लंबे समय से चल रही है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2008 में खेतड़ी के ठाठवाड़ी में एक चुनावी सभा के दौरान हरियाणा के रेलवे को जोड़ने का आश्वासन दिया था। हालांकि फिलहाल सिंघाना से डाबला रूट पर रेल लाइन बिछाई जाने से भविष्य में रेल सुविधाओं से जुड़ने की उम्मीद जगी है।
पटरियों की खाली जगह पर कब्जा
अब पटरियों की खाली जगह पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। जहां चिकनी मिट्टी थी, वहां की मिट्टी ईंट भट्टे वाले ले गए। अंतिम रेलवे स्टेशन सिंघाना का था, वहां पर अब रेलवे की जमीन पर प्लॉटिंग हो चुकी है। कई जगह कच्चे/पक्के मकान तक बन गए।
इन अवैध कब्जों को हटाने को लेकर कई बार शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन आज तक इस संबंध में रेलवे की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर 2015-16 में शिकायत पर एक बार रेलवे कर्मचारी सिंघाना क्षेत्र में आए थे, लेकिन खानापूर्ति करके चले गए। इसके बाद आज तक रेलवे की जमीन से अवैध कब्जा हटाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
रेलवे ने अतिक्रमियों को दिए सात दिन में कब्जा हटाने के नोटिस
सिंघाना डाबला रूट पिछले दो दशक से बंद पड़ा है। रेल पटरियां उखाड़ने के बाद इस जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिए थे। अब सर्वे के दौरान रेलवे द्वारा अतिक्रमणों को चिन्हित कर अतिक्रमियों को सात दिन में खुद ही कब्जा हटाने के नोटिस जारी हैं। सीनियर सेक्शन इंजीनियर (कार्य) नारनौल की ओर से इसी महीने नोटिस दिए गए हैं। सात दिन में कब्जा नहीं हटाने पर रेलवे की ओर से अतिक्रमण ध्वस्त कर इस कार्रवाई पर होने वाले खर्च भी अतिक्रमी से वसूला जाएगा।
समाज सेवी रमेश पांडे का कहना हैं की
इन दिनों डाबला से सूरजगढ़ नई रेल सेवा चालू होने की चर्चाएं जोरों पर है अगर बात सही है तो यह सरकार का कदम अच्छा व सराहनीय है हम सरकार का धन्यवाद ज्ञापित करते है साथ ही भारत सरकार से मांग करते है की ताम्र नगरी खेतड़ी नगर स्थित सुभाष मार्केट में रेलवे स्टेशन बनाया जाए पूर्व में भी यहां रेलवे स्टेशन रह चुका है।
समाज सेवी नासिर हुसैन का कहना हैं की
यदि रेलवे शुरू होती हैं तो यहाँ के बेरोजगार को रोजगार मिलेगा। क्षेत्र की उन्नति होगी ओर रेल को देखते हुए बड़ी औद्योगिक इंडस्ट्री भी यहां पर आएगी। यहाँ यात्री भार भी बहुत हैं वैसे भी रेलवे का फायदा रहेगा। सबसे बड़ी बात प्राइवेट बसों की दादागिरी से निजात मिलेगी।
ये भी पढ़े :