मटेरियल टेस्टिंग लैब सवालों के घेरे में:अफसरों ने घटिया निर्माण सामग्री के सैंपल भी पास किए; 4 जिलों में 158 करोड़ से बनी 7 सड़कें सालभर में टूट गई
मटेरियल टेस्टिंग लैब सवालों के घेरे में:अफसरों ने घटिया निर्माण सामग्री के सैंपल भी पास किए; 4 जिलों में 158 करोड़ से बनी 7 सड़कें सालभर में टूट गई
सीकर : प्रदेश में एक साल पहले बनाई गई 7 सड़कों में घटिया निर्माण सामग्री के कारण मैटेरियल टेस्टिंग लैब सवालों के घेरे में है। हमारी मीडिया की टीम चार जिलों की इन 7 सड़कों की टेस्टिंग रिपोर्ट लेकर मौके पर पहुंची तो निर्माण और क्वालिटी से जुड़ी कई खामियां सामने आई। नतीजा-सीकर, नीमकाथाना, जालोर, भीलवाड़ा में 6 माह से सालभर पहले तक 158 करोड़ से बनी 7 सड़कें पहली बारिश में बिखरने लगीं। चौंकाने वाली बात ये है कि अफसरों ने निर्माण सामग्री को स्टैंडर्ड मापदंड का बताकर सड़कों को पास कर दिया था। घटिया निर्माण पर ठेकेदारों पर सिर्फ पैनल्टी लगाई जा रही है।
“सड़कों में क्वालिटी को लेकर इश्यू है तो इसे दिखवाएंगे। मामले आप बता दीजिए। टीम से क्रॉस वेरिफिकेशन कराएंगे।”
डीआर मेघवाल, सेक्रेटरी, पीडब्ल्यूडी
इन उदाहरणों से घटिया सामग्री से सड़क निर्माण के खेल को आसानी से समझ सकते हैं…
केस 1. निंबी जोधा-लक्ष्मणगढ़
नेछवा होते हुए सीआरआईएफ मद में 7.61 करोड़ रुपए की लागत से 14 किमी की रोड बनाई गई। आरक्षित दर 12.13 करोड़ की तुलना में 36% कम रेट पर टेंडर जारी किया गया। बेस वर्क कमजोर होने से जाजोद सहित कई जगह सड़क में कटाव हो चुका है। सरफेस उखड़ने लगा है।
लैब टेस्टिंग रिपोर्ट
क्वालिटी कंट्रोल टीम सीकर ने पिछले साल 28 मार्च, 28 अगस्त और क्वालिटी कंट्रोल एसई जयपुर ने विजिट के दौरान 21 जुलाई व 12 अक्टूबर को सैंपलिंग करवाई। जांच रिपोर्ट में डब्ल्यूएमएम के सभी सैंपल स्टैंडर्ड मापदंड के बताए गए।
केस 2. गोरिया-श्यामगढ़ रोड (सीकर)
पुरोहित का बास होते हुए एक साल पहले 14.38 करोड़ में ये रोड बनाई गई। अब 21 किमी की रोड में जगह-जगह कट लग चुके हैं। एक साल में ही कई जगह पैचवर्क हो चुका है। सड़क का काम मयंक एंटरप्राइजेज ने आरक्षित दर से 9.90% कम रेट में लिया था।
लैब रिपोर्ट
पिछले साल क्वालिटी कंट्रोल एसई जयपुर ने 11 अक्टूबर व सीकर टीम ने 29 सितंबर को सैंपलिंग की। सैंपल स्टैंडर्ड के बताए गए।
केस 3. टऊंका- भीम (भीलवाड़ा)
बागोर, भेमिला, ज्ञानगढ़, मांडल होते हुए 64 किमी रोड 62.58 करोड़ में बनाई गई। एक साल में कई जगह पैचवर्क हो चुके हैं। मेवासा, करेड़ा में कई जगह डामर रोड टूट चुकी है। मैसर्स बीपी मोदी फर्म ने प्रोजेक्ट आरक्षित दर 85 करोड़ से 27 फीसदी कम रेट में लिया।
लैब रिपोर्ट
पिछले साल 5 मई व 11 जुलाई को क्वालिटी कंट्रोल टीम द्वारा रोड के सैंपल लिए और उन्हें स्टैंडर्ड के मुताबिक पास बताया गया।
केस 4. सांचोर-रानीवाड़ा (जालौर)
मंडार होते हुए 40 किमी रोड बनाई गई। इस रोड के लिए 27 करोड़ का टेंडर जारी किया गया था। नरेश इंफ्रा प्रालि ने 30 जुलाई 2023 को इसका काम पूरा किया। सड़क से डामर उखड़ने लगी है। सरफेस खराब होने लगा है।
लैब रिपोर्ट
रिपोर्ट में सड़क के बीसी मैटेरियल को स्टैंडर्ड का माना गया। 12 जुलाई 2023 को निरीक्षण में सुरक्षा मापदंड, ट्रैफिक डायवर्जन और साइन बोर्ड लगाने की हिदायत दी गई थी।
एक्सपर्ट व्यू : टेस्टिंग रिपोर्ट में छुपाते हैं सामग्री की खामियां
पीडब्ल्यूडी से रिटायर्ड एक्सईएन पूर्ण सिंह बताते हैं कि कई बार ऑफिसर मैटेरियल टेस्टिंग में आने वाली खामियों को छुपा देते हैं। अमूमन डामर सड़क में जीएसबी, डबल्यूबीएम, बीएम और बीसी की चार लेयर होती है। उदाहरण के लिए निंबी जोधा-लक्ष्मणगढ़ रोड पर चैनेज नंबर 77/825 की डब्ल्यूएमएम सैंपल रिपोर्ट में 45 एमएम मोटी गिट्टी का रिजल्ट 96.19% व 22.4 एमएम मोटी गिट्टी का रिजल्ट 64.52% बताया गया। ये स्टैंडर्ड श्रेणी में आता है।