इस्तीफे से किरोड़ी का पुराना नाता:दिल्ली में नड्डा से मिले किरोड़ी; इस्तीफे पर कायम, अब तक तीन सरकारों में मंत्री पद छोड़ा, रूठे तो माने नहीं
पहला इस्तीफा 4 साल में, दूसरा व तीसरा 5-6 माह में ही आ गया

जयपुर : डॉ. किरोड़ीलाल मीणा शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। नड्डा ने पूछा- इस्तीफा क्यों दिया? किरोड़ी ने कहा- जिन लोगों के लिए 40-45 साल काम किया, वे ही विमुख हो रहे हैं, ये सहन नहीं होता। नैतिकता के नाते इस्तीफा दिया है। नड्डा ने एक बार सोचने और 10 दिन बाद मिलने को कहा।
किरोड़ी का मंत्री पद से इस्तीफा देने का पुराना नाता है। वे खुद दो बार तो पत्नी गोलमा देवी को एक बार मंत्री पद से इस्तीफा दिला चुके हैं। किरोड़ी ने पिछली बार चौथे वर्ष में और इस बार 6 माह में पद से इस्तीफा दिया। गोलमा देवी ने 5 माह में ही इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद किरोड़ी किसी के मनाने पर नहीं माने।

किरोड़ीलाल के 3 इस्तीफे- हर बार मनाया गया, हर बार अड़े रहे
पहला इस्तीफा; 2007 में वसुंधरा सरकार से गुस्सा
किरोड़ीलाल मीणा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के प्रथम कार्यकाल में खाद्य मंत्री थे। उन्होंने 2007 में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के समय वसुंधरा राजे सरकार के कामकाज से नाराज होकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वे नहीं चाहते थे कि एसटी आरक्षण से छेड़छाड़ हो। संभवत: ये इस्तीफे की वजह रही थी। उस दौरान भी उन्हें मनाने की कई बड़े नेताओं ने कोशिश की लेकिन वो नहीं माने थे।
दूसरा इस्तीफा; गहलोत से भी मुद्दों पर बात नहीं बनी
किरोड़ीलाल की पत्नी गोलमा देवी 2008 में निर्दलीय विधायक बनीं। गहलोत सरकार में खादी मंत्री बनीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान में किरोड़ीलाल के सुझावों पर टिकट नहीं देने की नीयत, पूर्वी राजस्थान के मुद्दों पर असहमति पर गोलमा देवी ने पति किरोड़ीलाल के कहने पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। गोलमा ने गहलोत के अलावा सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा था।
तीसरा इस्तीफा; अब खुद से शिकायत, प्रभाव घटा
किरोड़ीलाल मीणा की ओर से तीसरा इस्तीफा लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद आया है। उन्हें मनाने के लिए सीएम भजनलाल शर्मा से लेकर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी आगे आ चुके, लेकिन किरोड़ीलाल इस्तीफा स्वीकार करने की बात कह रहे हैं। मामला भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास चला गया है। गुरुवार को मुलाकात भी हो चुकी, लेकिन किरोड़ीलाल अपने फैसले पर डटे हैं।