अजमेर : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ‘मुस्लिम, सिख धर्म में भी अभय मुद्रा दिखाई देती है’ वाले बयान पर अजमेर दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के बेटे सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा- राहुल गांधी ने अभय मुद्रा का जिक्र करते हुए इसकी तुलना इस्लाम धर्म में दोनों हाथ जोड़कर दुआ मांगने से की है। राहुल को अपने बयान को दुरुस्त करना चाहिए, यह गलत है।
दुआ को अभय मुद्रा से जोड़ना गलत
दरगाह दीवान के बेटे और ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा- हिन्दू धर्म में कई देवी-देवता हैं और विभिन्न मुद्राएं भी हैं तो हिन्दू धर्म में यह हो सकता है। लेकिन, इस्लाम धर्म में मूर्ति पूजा या किसी तरह के पूजा पाठ का जिक्र नहीं है। मुझे लगता है राहुल गांधी को अपने इस बयान को दुरुस्त करना चाहिए।
उन्होंने कहा- इस्लाम में अभय मुद्रा का कोई जिक्र नहीं है। मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि उन्होंने किस कॉसेप्ट में इसे इस्लाम धर्म से जोड़ा है। इसे लेकर उन्होंने जस्टिफिकेशन देने की कोशिश भी है कि कांग्रेस का जो सिंबल है वह भी अभय मुद्रा में है और ऐसा ही इस्लाम में भी है। ऐसे में, मैं खंडन करता हूं कि ऐसा कुछ नहीं है। इस्लाम धर्म में अभय मुद्रा नहीं है। हम जो दुआ मांगते हैं उसे अभय मुद्रा से जोड़कर देखना बिलकुल गलत है।
नेताओं को जेल में डालने पर शुरू हुआ था अभय मुद्रा का जिक्र
बता दें कि सोमवार को संसद में बोलते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी विपक्षी नेताओं पर केस और जेल में डालने के मुद्दे पर बोल रहे थे। इस दौरान अभय मुद्रा का जिक्र हुआ। उन्होंने कहा- भगवान शिव की तरह कांग्रेस पार्टी भी अभय मुद्रा में है। मुस्लिम, सिख धर्म में भी अभय मुद्रा दिखाई देती है।
राहुल ने कहा- ‘कुरान में लिखा है- पैगंबर ने कहा है कि डरना नहीं है। गुरु नानक जी के चित्र में भी आपको अभय मुद्रा दिखेगी। वह भी कहते हैं, डरो मत, डराओ मत। जीसस क्राइस्ट के चित्र में भी अभय मुद्रा है। जीसस ने कहा था कि कोई आपको एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो।’
शिवजी की अभय मुद्रा को बताया था आइडिया टू डिफेंड
राहुल संसद में चारों धर्मों से सम्बंधित तस्वीर लेकर पहुंचे थे। उन्होंने कहा- शिव जी का चित्र इस सदन में मना है। अगर मैं कह रहा हूं कि मुझे इनसे प्रोटेक्शन मिली, लेकिन आप मुझे रोक रहे हैं। इसके बाद मेरे पास और भी चित्र हैं, मैं सब दिखाना चाहता था। पूरा हिंदुस्तान इस चित्र को जानता समझता है। मैं इस तस्वीर को क्यों लाया, क्योंकि इस तस्वीर में आइडिया टू डिफेंड है। शिवजी के गले में सांप हैं, इसके पीछे का मकसद है किसी से डरना नहीं चाहिए। इसके बाद राहुल ने गुरु नानक की तस्वीर दिखाई।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में जो दुआ मांगते है, उसे अभय मुद्रा से जोड़कर देखना गलत है। हिंदू धर्म में अलग-अलग मुद्राओं का जिक्र है, लेकिन इस्लाम में इस तरह का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने जस्टिफकेशन देने की कोशिश की है कि कांग्रेस का जो हाथ जोड़ने का सिंबल है, वह अभयमुद्रा है और इस्लाम में भी है। मैं इसका खंडन करता हूं। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।
जानिए अभय मुद्रा क्या है
- अभय मुद्रा योग का एक आसन है। इसमें पालथी मारकर आंख बंद की जाती है। अभय मुद्रा इंद्रियों को शांत करती है। यह एक ऐसी मुद्रा है, जो डर से मुक्ति और सुरक्षा की भावना का परिचायक है। यह भारत के सभी धर्मों की मूर्तियों में देखने को मिली है।
- ब्रह्मांड में भगवान शिव को आदियोगी माना जाता है, जो अभय मुद्रा में योग ध्यान में लीन रहते हैं। यह उनका भक्तों के लिए आश्वासन और आशीर्वाद का संकेत होता है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं और किसी बाहरी भय से परेशान न हों।
- प्राचीन काल में इस मुद्रा का इस्तेमाल कई सांकेतिक रूप से होता था। कई जगहों पर इसे अभिवादन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा जब कोई दुश्मन से समझौता या दोस्ती करने जाता था तो वो अभय मुद्रा ही दर्शाता था।