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इंजीनियर्स की लापरवाही से पैसे की बर्बादी:पहले डामर सड़क बनाई, फिर उसे हटाए बिना ही सीसी रोड डाल रहे… ताकि गलत डिजाइन छिपाया जा सके


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इंजीनियर्स की लापरवाही से पैसे की बर्बादी:पहले डामर सड़क बनाई, फिर उसे हटाए बिना ही सीसी रोड डाल रहे… ताकि गलत डिजाइन छिपाया जा सके

इंजीनियर्स की लापरवाही से पैसे की बर्बादी:पहले डामर सड़क बनाई, फिर उसे हटाए बिना ही सीसी रोड डाल रहे... ताकि गलत डिजाइन छिपाया जा सके

जयपुर : सांगानेर स्थित डिग्गी रोड मुहाना मंडी मोड़ के पास (स्टेट हाईवे) पर जेडीए द्वारा सीसी रोड डाली जा रही है। जबकि यहां पहले से ही डामर रोड थी, लेकिन उस पर बारिश के दौरान पानी भरता था। इसकी वजह यह थी कि यहां जो सड़क पहले बनाई गई, उसकी डिजाइन ही गलत थी।

इसी तरह 200 फीट बायपास वैशाली मार्ग पश्चिम की गंगा सागर ए कॉलोनी में नगर निगम द्वारा सीसी रोड बनाई जा रही है, यहां भी डामर को उखाड़े बिना ही सीमेंट की सड़क डालना शुरू कर दिया गया। खास बात यह भी है कि यहां सीवरेज लाइन सेक्शन हो चुकी है और सिरसी रोड पर सीवरेज लाइन डाली जानी भी शुरू कर दी गई है। इसके बावजूद निगम के इंजीनियर पैसे बर्बादी में लगे हैं। बारिश की वजह से कॉलोनी में कीचड़ हो जाता है, उसे भी हटाया नहीं गया। इसके अलावा बीसलपुर की लाइन डाली गई थी, जिसके कनेक्शन भी प्रक्रियाधीन है।

जयपुर शहर में कई कॉलोनियों में ऐसा ही हो रहा है। पहले बनी डामर की सड़क को पूरी तरह से हटाने की बजाए सीधे सीसी रोड में तब्दील किया जा रहा है। जबकि इंडियन रोड कांग्रेस के नियमानुसार सीमेंट रोड पर ही सीमेंट और डामर पर डामर की सड़क​ बनाई जानी चाहिए। जहां बहुत ही जरूरी हो, वहीं पर सीसी रोड डिजाइन की जानी चा​हिए। क्योंकि सीसी रोड की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जाता है।

यह तस्वीर एक ही जगह की नहीं है, पूरे जयपुर शहर में खराब इंजीनियरिंग देखी जा सकती है। इंजीनियर्स को गलत व सही की परवाह ही नहीं है। सारा का सारा काम सिफारिश के अनुसार किया जा रहा है अथवा खुद की सहुलियत के हिसाब से काम चलाया जा रहा है।

8 से 12 लाख तक का दबाव हो तो सीसी रोड डाली जानी चाहिए

जिस रोड पर वाहनों की आवाजाही दिन रात करीब 8 से 12 लाख तक हो वहां दबाव को देखते हुए कंक्रीट से बनी सीसी रोड डाली जानी चाहिए। कंक्रीट बनाने के लिए उसमें सीमेंट रेट पानी से मिश्रण तैयार किया जाता है, और कंक्रीट को बैचिंग प्लांट्स के जरिए बन रही सड़क तक पहुंचाया जाता है। फिर सड़क पर जरूरत के अनुसार खुदाई की जाती है, जिसमें सीमेंट कंक्रीट का बनाया गया बेस भरा जाता है। इसके बाद उसे समतल बनाने के लिए एक रोलर का इस्तेमाल किया जाता है। इन सड़कों की अवधि 10 से 15 साल तक की होती है।

सही डिजाइन हो तो 5 से 8 साल तक चल जाती है ​डामर की सड़क

सड़क से गुजरने वाले वाहनों की संख्या के हिसाब से भी सीमेंट व डामर की सड़कें तय होती है। डामर बनाने के लिए एक ठोस कोयले को एयर टाइट कंटेनर में काफी देर तक 450 डिग्री तापमान पर पिघलाया जाता है। जब इस प्रक्रिया से गैस और बाप का एक मिश्रण निकलता है। तब यह कोयला एक चिपचिपा पदार्थ बन जाता है। डामर की सड़कों की उम्र 5 से 8 साल मानी गई है। बहरहाल इसे ​सही डिजाइन से तैयार किया जाए।

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