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कांग्रेस ने वंशानुगत चक्रव्यूह नहीं तोडा तो झुन्झुनू विधानसभा का आवाम भेद देगा


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कांग्रेस ने वंशानुगत चक्रव्यूह नहीं तोडा तो झुन्झुनू विधानसभा का आवाम भेद देगा

कांग्रेस ने वंशानुगत चक्रव्यूह नहीं तोडा तो झुन्झुनू विधानसभा का आवाम भेद देगा

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : लोकसभा चुनावों में विधायक विजेन्द्र ओला के सांसद चुने जाने के बाद चुनावी सरगर्मियां इस गर्मी के पारे से ज्यादा बढ़ गई है । ओला परिवार झुंझुनूं को अपना अभेद किला मानता है । उपचुनाव में भी इसी परिवार के व्यक्ति को टिकट मिलना स्वाभाविक है । कांग्रेस चाहे इस वंशानुगत परम्परा को कायम रखे लेकिन झुंझुनूं का आवाम इस परम्परा को खत्म करने का मानस बना चुका है । वैसे भी सीधी टक्कर में ओला परिवार के विजयी होने की संभावना नगण्य ही रहती है । भाजपा के बागी उम्मीदवार मुकाबले को त्रिकोणीय बना कर ओला कि जीत आसान कर देते हैं । इसको लेकर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को गंभीरता से सोचना होगा कि टिकट किसी नान जाट उम्मीदवार को दी जाए । क्योंकि जब भी नान जाट उम्मीदवार सामने आया है जीत का अंतर मामूली रहा है और जाट समुदाय के उम्मीदवार को करारी हार का सामना करना पड़ा है ।

सोशल इंजिनियरिंग को देखें तो नान जाट के उम्मीदवार के रूप में संभावित भाजपा उम्मीदवारों की चर्चा करना अनिवार्य हो जाती है जो भाजपा के सूखे को खत्म कर सकते हैं । सैनी समाज के भी इस विधानसभा में करीब तीस हजार वोट है । इसको लेकर सरल, सौम्य चरित्र के धनी व भाजपा में सर्वमान्य एक नाम हो सकता है वर्तमान जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी जो सर्व समाज को साथ लेकर चलने वाले नेता हैं । गुरुजी के नाम से विख्यात बनवारीलाल सैनी दो बार सरपंच रहने के साथ ही जिला उप प्रमुख भी रह चुके है‌ । वर्तमान में 2021 से लगातार जिला परिषद सदस्य झुन्झुनू निर्वाचित होते रहे हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले बनवारीलाल सैनी की अनूसूचित जाति व जनजाति के वोटरो पर अच्छी पकड़ है ।

जिले में संगठनात्मक ढांचे में जिला मंत्री , जिला महामंत्री व जिला उपाध्यक्ष का पद का बखूबी निर्वहन कर चुके हैं ।हर जाति व समुदाय तक पहुंच है और झुंझुनूं के विकास के लिए पूर्ण समर्पण भाव रखते हैं । इसी क्रम में ब्राह्मण समुदाय से नाम आता है मुकेश दधीचि जो भाजपा के प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान रखते हैं यही कारण है कि क्षेत्र के लोगो से सीधा जुड़ाव नहीं है । पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का नाम भी जिले मे अनजान नहीं है । । राजपूत समाज से पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव सिंह शेखावत का नाम भी प्रमुखता में हो सकता है । राजीव सिंह शेखावत पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं और बहुत ही कम वोटों के अंतर से हार हुई थी । वैसे कांग्रेस की तरफ से भी एमडी चोबदार व यशवर्धन सिंह शेखावत की दावेदारी मजबूत है ।

टिकट वितरण भाजपा का विशेषाधिकार है लेकिन पिछले चार चुनावी परिणामो पर नजर डाली जाए तो यदि भाजपा नान जाट के किसी चेहरे पर दांव लगाती है तो मुकाबला बहुत ही करीबी हो सकता है । लेकिन यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा की ऊंट किस करवट बैठेगा ।

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