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पाषाण प्रतिमा को लेकर दावे एवं आपत्तियां आमंत्रित


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पाषाण प्रतिमा को लेकर दावे एवं आपत्तियां आमंत्रित

पाषाण प्रतिमा को लेकर दावे एवं आपत्तियां आमंत्रित

चूरू : जिला प्रशासन ने 17 मार्च को गोपालपुरा में खनन कार्य के दौरान निकली पाषाण प्रतिमा के लिए दावे/आपत्तियां आमंत्रित किए हैं। जिला कलक्टर पुष्पा सत्यानी ने बताया कि 17 मार्च को ग्राम गोपालपुरा तहसील सुजानगढ़ जिला चूरू में किसी खान ने खनन कार्य के दौरान द्विहस्त प्रतिमा मिली, जिसका माप पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, बीकानेर की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 56 सेगी लम्बाई 46 रोगी. गौडाई एवं 21 सेमी मोटाई है। प्रतिमा श्वेत संगमरमर पाषाण से बनी हुई है। प्रतिमा का पश्च भाग सपाट है। पश्च भाग में नीचे की ओर पाषाण खुरदरा है तथा कुछ छोटे गड्ढे भी बने हुए है। पश्च भाग के मध्य हिस्से में एक सीधी रेखा बनी हुई है, जिस पर एक छोटी तिरछी रेखा बनी हुई है। संगमरमर पाषाण की बनी यह प्रतिमा पद्मासन अवस्था में ध्यानमग्न मुद्रा में है। सिर पर कुंचित केश है। वक्ष स्थल के मध्य भाग में श्रीवत्स का चिन्ह  उत्कीर्ण है एवं लम्ब कर्ण है। पैरों की हथेली व हाथ की हथेली में चक्रनुमा आकृति उत्कीर्ण है। प्रतिमा में किसी प्रकार का अभिलेख उत्कीर्ण नहीं है।

प्रतिमा का पीठिका भाग पुष्पाकृति पुष्पलता एवं शंख से अलंकृत है। प्रतिमा के मध्य भाग में कटिवस्त्र का अंकन है, जो कि संभवतया श्वेताम्बर परम्परा की प्रतीत होती है। प्रतिमा की पीठिका के मध्य भाग में शंख उत्कीर्ण है. जो जैन तीर्थंकर नेमीनाथ को दर्शाता है। अतः यह प्रतिमा जैन तीर्थकर नेमीनाथ की है एवं श्वेताम्बर संप्रदाय से संबंधित प्रतीत होती है तथा प्रतिमा 12-13 वी शताब्दी एवं पुरा महत्त्व की है। इस प्रतिमा को पुलिस थाना सदर सुजानगढ़ को सुपुर्द किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस प्रतिमा के संबंध में राजस्थान निखात निधि अधिनियम, 1878 के अन्तर्गत कार्यवाही की जानी  है। अतः इस अधिनियम की धारा 5 के तहत सर्वसाधारण को सूचित किया गया है कि यदि इस प्राचीन प्रतिमा के संबंध में कोई भी व्यक्ति अपने स्वामित्व का अधिकार रखता है. तो 15 अक्टूबर 2024 तक कार्यालय समय में जिला कलक्टर कार्यालय में अपना दावा (प्रमाणों एवं आधारों सहित) प्रस्तुत कर सकता है। इस तिथि के पश्चात कोई दावा/आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी।

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