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आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल नहीं रहे विधायक, कांग्रेस की जीत को लेकर कह दी ये बड़ी बात


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आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल नहीं रहे विधायक, कांग्रेस की जीत को लेकर कह दी ये बड़ी बात

हनुमान बेनीवाल ने विधायक पद से इस्तीफा देते हुए ज्योति मिर्धा के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि खुद पार्टी बनाकर लड़ें तो पता चल जाएगा, उन्हें पांच हजार से ज्यादा वोट नहीं मिलेंगे।

नागौर : राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी के सुप्रीमों और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। खींवसर से लगातार चौथी बार विधायक बने हनुमान बेनीवाल ने मंगलवार को राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र सौंपा। अब दूसरी बार लगातार नागौर से सांसद बने हनुमान बेनीवाल ने कहा कि विधानसभा को मिस करेंगे, क्योंकि मेरी राजनीति की शुरुआत यहीं से हुई है।

हनुमान बेनीवाल ने सुझाव देते हुए अपने मन की बात कही। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि विधानसभा और लोकसभा का सदस्य साथ रहे, क्योंकि बार-बार चुनाव करवाना सही नहीं है। जिस तरह राज्यसभा से चुना हुआ व्यक्ति लोकसभा में बैठता है और लोकसभा से चुना हुआ व्यक्ति राजयसभा बैठ सकता है तो विधायक साथ-साथ सांसद क्यों नहीं रह सकता?

उपचुनाव के लिए आरएलपी तैयार
बेनीवाल के इस्तीफा देने के बाद अब खींवसर सीट पर उपचुनाव होने हैं। इसको लेकर बेनीवाल ने कहा कि आरएलपी तो चुनाव लड़ेगी, इसमें कोई शक नहीं है। इंडिया गठबंधन को लेकर बात करेंगे।

EVM में घोटाला-घपला
इसके अलावा राहुल गांधी के EVM पर उठाए सवालों को लेकर बेनीवाल ने कहा कि EVM के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए, क्योंकि EVM में गड़बड़ियां हो सकती हैं। जब नीट का पेपर आउट हो सकता है तो EVM क्या बड़ी चीज है। इसमें बड़ा घोटाला और घपला है।

अग्निवीर में संशोधन नहीं खत्म करना होगा
अग्निवीर स्कीम को लेकर सांसद बेनीवाल ने कहा कि अग्निवीर के संशोधन को हम नहीं मानने वाले, बल्कि उसको पूरा खत्म करना होगा। इसको लेकर जल्द ही वो बड़ा आंदोलन करके दिल्ली कूच करेंगे। अग्निवीर समाप्त करवाके पहले की तरह सेना भर्ती हो ये देश का नौजवान चाहता है और उनके साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

खुद पार्टी बनाकर लड़े तो पता चलता 
ज्योति मिर्धा के बयान का पलटवार करते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा कि उनके परिवार ने कभी कोई पार्टी नहीं बनाई और कभी किसी का तो कभी किसी का झंडा पकड़ लेते थे। खुद पार्टी बनाकर लड़े तो पता चल जाता उन्हें पांच हजार से ज्यादा वोट नहीं मिलेंगे। चार बार मायरा भर चुके और उपचुनाव में आ गई तो मीठा मायरा भर देंगे। उन्होंने कहा कि यदि आरएलपी के साथ कांग्रेस का गठबंधन नहीं होता तो उनका भी खाता राजस्थान में नहीं खुलता ये तय है।

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