संक्रमित की जगह सही किडनी निकालने के आरोपी चिकित्सक संजय धनखड़ की जमानत खारिज
जज की टिप्पणी: एक सामान्य व्यक्ति भी जानता है कि किडनी के ऑपरेशन में कितनी सावधानी होनी चाहिए

झुंझुनूं : जिला मुख्यालय पर धनखड़ अस्पताल में नूआं गांव की महिला की संक्रमित किडनी की जगह सही किडनी निकालने के मामले में आरोपी चिकित्सक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेन्द्र दीक्षित की ओर से दिए गए आदेश में धनखड़ अस्पताल के संचालक हाउसिंग बोर्ड निवासी डॉ. संजय धनखड़ पुत्र नारायण सिंह का जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज किया गया है। मामले के अुनसार 12 मई 2024 को ईद बानो पत्नी शब्बीर ने एसएमएस अस्पताल जयपुर में पर्चा बयान दिया कि वह घर पर रहती है। उसका पति मजदूरी करता है। वह करीब एक महीने से बीमार है। उसकी दांई तरफ छाती व पेट में दर्द था। करीब 10-11 तारीख के आस-पास हाउसिंग बोर्ड में धनखड़ अस्पताल पर अपने इलाज के लिए डॉ.संजय धनखड़ को दिखाया तो चिकित्सक ने उसके पति को बताया कि पीड़िता के दाहिने तरफ के किडनी में मवाद व पथरी है। इसलिए उसे निकालना पड़ेगा। 13 मई 2024 को उसके पति ने अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया व 15 मई 2024 की शाम को उसका ऑपरेशन हुआ। डॉ. संजय ने उस समय उसे व उसके पति को बताया था कि उसका दांईं तरफ की किडनी खराब है। लेकिन चिकित्सक ने संक्रमित किडनी की जगह बाईं किडनी निकाल दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर 4 जून 2024 को डॉ. धनखड़ को गिरफ्तार कर लिया।
तर्क: ‘आरोपी चिकित्सक की लापरवाही से पहले भी दो जान जा चुकी’
राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने न्यायालय में तर्क दिया कि पूर्व में भी लापरवाही से सम्बन्धित दो मामले आरोपी चिकित्सक के विरूद्ध दर्ज हुए हैं। आरोपी के लापरवाही पूर्ण चिकित्सकीय कृत्य से पहले भी दो की जान जा चुकी है। न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि एक महिला इलाज के लिए आई और आरोपी ने उसकी शल्य चिकित्सा करते हुए दाईं किडनी के स्थान पर बाईं स्वस्थ किडनी को शरीर से निकाल लिया। इस कृत्य के सम्बन्ध में चिकित्सकों की समिति की ओर से यह निष्कर्ष निकाला गया कि आरोपी निश्चेतन विशेषज्ञ की सहायता के बिना शल्य चिकित्सा की तथा निकाली गई किडनी की जांच नहीं कराई। जांच कराई जाती तो स्थिति उस समय स्पष्ट हो जाती कि निकाली गई किडनी रोगग्रस्त अथवा स्वस्थ।
जज की टिप्पणी: एक सामान्य व्यक्ति भी जानता है कि किडनी के ऑपरेशन में कितनी सावधानी होनी चाहिए
आदेश में न्यायाधीश ने लिखा कि एक सामान्य व्यक्ति भी समझता है कि गुर्दो निकालने के बड़े ऑपरेशन अत्यन्त सावधानी पूर्वक किए जाने चाहिए। इसमें निश्चेतन विशेषज्ञ की सहायता आवश्यक रूप से ली जानी चाहिए तथा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक की सहायता के बिना किडनी सम्बन्धित ऑपरेशन आरोपी द्वारा करना मरीज के जीवन को संकट में डालने वाला कृत्य है। एक चिकित्सक के रूप में आरोपी को इस बात का भलीभांती ज्ञान होना चाहिए कि उसके द्वारा इस प्रकार के किये जा रहे कृत्य से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। पूर्व में भी आरोपी के लापरवाही पूर्ण चिकित्सक कृत्य के कारण दो जनो की जान जा चुकी है। इसलिए आरोपी डॉ. संजय धनखड़ को जमानत नहीं दी जा सकती।