झुंझुनूं में ड्रोन सर्वे को लेकर शुरू हुआ विरोध:ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी किया प्रदर्शन, चक्का जाम की दी चेतावनी
झुंझुनूं में ड्रोन सर्वे को लेकर शुरू हुआ विरोध:ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी किया प्रदर्शन, चक्का जाम की दी चेतावनी

झुंझुनूं : झुंझुनूं में खनन और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान खनन व्यवासियों ने ड्रोन से होने वाले सर्वे को लेकर विरोध किया। इनका कहना है कि यदि ड्रोन सर्वे में पहले हुए खनन को शामिल किया गया तो पैनाल्टी ज्यादा लगेगी। उन्होंने पुराने खनन को शामिल न करने समेत रायल्टी में छूट की भी मांग की है।

ड्रोन सर्वे और पुरानी पेनाल्टी का डर
खनन व्यवसायियों ने ज्ञापन में बताया कि सरकार द्वारा छोटे खनन पट्टों पर ड्रोन तकनीक से वॉल्यूमेट्रिक सर्वे का प्रस्ताव चिंता का कारण बन रहा है। उन्हें डर है कि इस सर्वे के आधार पर पहले किए गए खनन की जांच की जाएगी और भारी पेनल्टी लगाई जाएगी। एसोसिएशन ने मांग की है कि ड्रोन सर्वे से पहले के खनन का मिलान न किया जाए और न ही इसके आधार पर कोई जुर्माना लगाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने खनन पट्टों से सड़क तक पहुंचने के लिए निकाली गई सामग्री और स्थानीय उपयोग पर रॉयल्टी छूट की भी मांग की।
इसके अलावा ज्ञापन में AI तकनीक के आधार पर पुराने रॉयल्टी पैड खनिज पर बन रहे पंचनामों पर रोक लगाने की मांग की गई। इसके अलावा, हरियाणा सरकार द्वारा राजस्थान से जाने वाले खनिज पर लगाए जा रहे 80 रुपए प्रति टन के शुल्क को समाप्त करने की भी अपील की गई, ताकि सीमावर्ती जिलों में खनिज उद्योग को राहत मिल सके।

पुराने चालानों को खत्म करने की मांग
खनन व्यवसायियों ने बताया कि एक हेक्टेयर या उससे छोटे खनन क्षेत्र में धर्म कांटा (वजन मापने की मशीन) लगाना संभव नहीं है। ऐसे में वाहनों को उनकी क्षमता के अनुसार तौलना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने मांग की कि जिन गाड़ियों की आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) इस वजह से रद्द कर दी गई हैं, उन्हें फिर से बहाल किया जाए और पुराने चालानों को पिछली सरकार की तरह खत्म किया जाए।
इस दौरान एसोसिएशन ने खनिज नीति 1994 का हवाला देते हुए कहा कि पहले वन सीमा से 25 मीटर की दूरी पर खनन पट्टों की अनुमति दी जाती थी, जिसे 2021 में बढ़ाकर 50 मीटर कर दिया गया। इस बदलाव के कारण नए पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं। उन्होंने ने मांग की है कि 25 मीटर की पुरानी सीमा को फिर से बहाल किया जाए। साथ ही, नेशनल पार्क और सेंचुरी से 10 किलोमीटर की दूरी के प्रमाण-पत्र की प्रक्रिया को आसान बनाने और एकमुश्त प्रमाण-पत्र जारी करने की भी मांग की गई।
रॉयल्टी दरों और जीएसटी पर भी सवाल उठाए सवाल
ज्ञापन में रॉयल्टी दरों पर भी सवाल उठाए गए। बताया गया कि अलवर, भरतपुर, जयपुर, सीकर और झुंझुनूं जिलों में मिलने वाले चेजा पत्थर पर अन्य जिलों की तुलना में 10 रुपये प्रति टन ज़्यादा रॉयल्टी वसूली जा रही है, जिसे भेदभावपूर्ण बताया गया। प्रदर्शनकारियों ने पूरे प्रदेश में एक समान रॉयल्टी दर लागू करने की मांग की।
इसके अलावा, डीएमएफटी (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट) की 10% रॉयल्टी को कम करने और जीएसटी पर लागू 18% रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को घटाकर 5% करने की बात भी ज्ञापन में शामिल थी।
इधर,ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की अलग चेतावनी
इधर, झुंझुनूं ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी अलग से एक ज्ञापन सौंपा। इसमें ओवरलोडिंग के नाम पर हजारों ट्रकों की आरसी सस्पेंड करने, ई-रवाना चालान थोपने और खान विभाग की वेबसाइट से पुराने डेटा के आधार पर चालान भेजने पर कड़ी आपत्ति जताई गई।एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश ने कहा कि ट्रक मालिक इस अन्याय के खिलाफ पिछले 103 दिनों से जिला परिवहन कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर गाड़ियों की आरसी बहाल नहीं की गई और ई-रवाना चालान माफ नहीं हुए तो जिले में चक्का जाम किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बिना आरसी के चलने वाले ट्रकों से अगर कोई दुर्घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी परिवहन विभाग और राज्य सरकार की होगी। प्रदर्शन के दौरान भारी संख्या में खनन और ट्रक व्यवसायी मौजूद रहे, जिन्होंने सरकार से खनिज और परिवहन उद्योग को राहत देने की अपील की।