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क्या इस संगठन के सहारे झुन्झुनू उपचुनाव जीत पाएगी भाजपा ?


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़देशराजस्थान

क्या इस संगठन के सहारे झुन्झुनू उपचुनाव जीत पाएगी भाजपा ?

क्या इस संगठन के सहारे झुन्झुनू उपचुनाव जीत पाएगी भाजपा ?

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : झुंझुनूं से विधायक बिजेंद्र ओला ने लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के साथ ही झुंझुनूं विधानसभा से उपचुनाव का रास्ता साफ कर दिया है । भाजपा इस जीत को कम अंतर से जीत बताकर खुशी मना रही हैं लेकिन जीत आखिर जीत ही होती है । यदि झुन्झुनू जिले के उपचुनावों का इतिहास देखें तो भाजपा के लिए संतोष जनक नहीं रहा है । सूरजगढ़ विधायक संतोष अहलावत का सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हुआ था भाजपा ने दिगंबर सिंह को उम्मीदवार बनाया । राजस्थान में भाजपा सरकार थी व पूरे मंत्रिमंडल के चुनावी प्रचार के बावजूद कांग्रेस के श्रवण कुमार ने बाजी मारी थी । इसी तरह नरेन्द्र खीचड़ के सांसद चुने जाने के बाद मंडावा में उपचुनाव हुए भाजपा ने पैराशूट उम्मीदवार सुशील सींगडा को उम्मीदवार बनाया लेकिन इस उपचुनाव में भी कांग्रेस की रीटा चौधरी ने बाजी मारी थी ।

अब झुन्झुनू के आगामी उपचुनाव का पोस्टमार्टम करें तो इस संगठन के पदाधिकारियों के बलबूते चुनाव जीतने में असमंजस की स्थिति है । पदच्युत भाजपा जिलाध्यक्ष ने संगठन में पदों की बंदरबाट करके संगठन का बेड़ा ग़र्क करने का काम किया । संगठन में उन व्यक्तियों को स्थान दिया गया जिनकी भाजपा की विचारधारा व सिध्दांतों में कभी भी विश्वास नहीं रहा । वर्तमान जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि इस क्षत विक्षित संगठन को पुनर्जीवित कर संगठन में तहसील व नगरपालिका स्तर तक बदलाव कर भाजपा को समर्पित व कर्मठ कार्यकर्ताओ को संगठन में स्थान देने का काम करें ।‌ संगठन में मची अंतर्कलह का नजारा शायद जिलाध्यक्ष बनवारीलाल सैनी ने अपनी आंखों से देखा होगा जब भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह की लोकसभा चुनावों मे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में आमसभा फ्लाप रही थी ।

उपचुनावों का इतिहास भाजपा के पक्ष में नहीं रहा है इसको भाजपा संगठन को गंभीरता से लेना होगा । इस संगठन के बलबूते शायद ही भाजपा उपचुनाव में कमल खिला सके ।

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