जयपुर का पार्क, इंसानों के वॉक-वे पर दौड़ रहे घोड़े:चेतावनी बोर्ड- चोट लगी तो पोलो क्लब की जिम्मेदारी नहीं, पब्लिक पार्किंग की जगह घुड़सवारी की ट्रेनिंग
जयपुर का पार्क, इंसानों के वॉक-वे पर दौड़ रहे घोड़े:चेतावनी बोर्ड- चोट लगी तो पोलो क्लब की जिम्मेदारी नहीं, पब्लिक पार्किंग की जगह घुड़सवारी की ट्रेनिंग
जयपुर के सेंट्रल पार्क में वॉक-वे पर राजस्थान पोलो क्लब के घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। घोड़ों से चोटिल होने के डर से पिछले एक महीने से लोग पोलो मैदान के चारों तरफ बने वॉक-वे पर वॉक नहीं कर रहे हैं। सेंट्रल पार्क में दिग्गज राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स वॉक करने आते हैं। इसके अलावा नामी डॉक्टर, वकील, इंजीनियर सहित हर उम्र और वर्क के लोग यहां आते हैं। घोड़े दौड़ाने के कारण वॉक-वे पूरी तरह खराब हो गया है। इसके अलावा वॉक करते समय अचानक पीछे से घोड़ा आ जाए तो बचना मुश्किल हो जाता है।
पोलो क्लब ने लगाए चेतावनी बोर्ड
राजस्थान पोलो क्लब ने सेंट्रल पार्क में चेतावनी बोर्ड लगा रखे हैं- ‘पोलो क्लब के मैदान की घास पर कोई वॉक नहीं करें। घोड़ों से या पोलो खेलने के दौरान गेंद से चोटिल होने पर क्लब की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।’ घोड़ों और उनके मालिकों के पोलो क्लब तक आने के लिए एक दूसरा रास्ता होटल रामबाग पैलेस के पास से बना हुआ है। इस रास्ते पर आम लोगों या उनके वाहनों का आना-जाना मना है।
घोड़ों को पोलो मैदान पर उसी रास्ते से लाने के बजाय वॉक-वे से ला रहे हैं। सुबह-शाम लोग यहां शुद्ध हवा में सैर के लिए आते हैं, मिलती है घोड़ों के खुरों से उड़ती धूल और गंदगी की बदबू। घोड़ों की टापों से वॉक-वे पर 6 से 12 इंच के गड्ढे हो गए। ऐसे में लोग अब पहले की तरह वॉक नहीं कर पाते हैं।
पब्लिक पार्किंग की जगह पर हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग
पोलो क्लब से सटी हुई जमीन पर जो इस वाॅक-वे से भी सटी हुई है, वहां पर हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग भी शुरू कर दी है। ऐसे में वाहन भी पार्किंग स्थल से बाहर वॉक-वे की तरफ या वॉक-वे पर ही खड़े रहते हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण की इस पार्किंग पर राजस्थान पोलो क्लब की तरफ से घुड़सवारी की ट्रेनिंग दी जा रही है। पोलो क्लब के नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर पर तो पहले ही ट्रेनिंग दी जा रही थी, अब वेस्ट-साउथ कॉर्नर भी दी जा रही है। लोग न तो वॉक कर पा रहे हैं और न ही अपने वाहन पार्क कर पा रहे हैं। सरकार की पार्किंग की जमीन और हाइमास्ट लाइट दोनों सवाई मान सिंह पोलो एंड राइडिंग एकेडमी के काम आ रही हैं। इस जमीन पर चारों और गोलाकार लोहे की बाउंड्री भी बना दी गई है।
पोलो क्लब के पवेलियन के नीचे क्लब में आने-जाने वाले लोगों, मेहमानों, पोलो प्लेयर्स आदि के लिए खाने-पीने की जगह भी रेस्टोरेंट के रूप में बनाई गई है। यहां शराब भी परोसी जाती है। सेन्ट्रल पार्क बचाओ संघर्ष समिति पिछले 10 साल से पोलो क्लब में शराब परोसने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
समिति के अध्यक्ष योगेश यादव ने बताया कि पोलो क्लब में जो बार संचालित होती थी, उसे 2014 में हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। तब से क्लब अब अक्सर अस्थाई लाइसेंस लेकर वहां मेहमानों को शराब परोसता है।
सेन्ट्रल पार्क स्थित इस जमीन को 1973 में राज्य सरकार ने अवाप्त किया था। उस अवाप्ति के बदले जयपुर के पूर्व राजघराने को मुआवजा भी दिया जा चुका है। जमीन पूरी तरह से राज्य सरकार के अंग जयपुर विकास प्राधिकरण के नाम है।
आईएएस अफसर पोलो क्लब के हैं पदाधिकारी
राजस्थान पोलो क्लब के प्रेसिडेंट हमेशा नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव और वाइस प्रेसिडेंट जेडीए आयुक्त होते हैं। इन दिनों नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकांत और जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल हैं। दोनों वर्तमान में पोलो क्लब के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट हैं।
सेन्ट्रल पार्क में आने वाले लोगों ने जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल तक भी अपनी शिकायत पहुंचाई है, लेकिन फिलहाल वॉक-वे पर घोड़े दौड़ना बंद नहीं हुए हैं। संघर्ष समिति के अध्यक्ष यादव और अन्य वॉकर्स का कहना है कि जब नगरीय विकास विभाग और जेडीए के आला आईएएस अफसर स्वयं ही पोलो क्लब के पदाधिकारी भी हैं, तो शिकायत किससे करें। उनकी स्वयं की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है। उन्हें स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। यादव का कहना है कि अब जनता के पास कोई और रास्ता बचा नहीं है अब न्यायालय की शरण में जाना ही होगा।
- सेन्ट्रल पार्क में वॉक करने वाले बिजनेसमैन अखिल शर्मा का कहना है कि हमने कई बार क्लब वालों से कहा कि पोलो ग्राउंड के चारों ओर बने ट्रैक को खराब नहीं किया जाए। घोड़ों को पोलो के मैच में मैदान पर खेलने के लिए लाया जाना चाहिए। इसके बावजूद घोड़ों को उस ट्रैक पर चलाया जाता है, यह दादागीरी है।
- सेन्ट्रल पार्क में नियमित रूप से आने वाले राजेश मीणा का कहना है कि क्लब वालों ने जेसीबी से पूरा ट्रैक उखाड़ दिया है। घोड़े चलाए जा रहे हैं। चेतावनी के नाम पर धमकी भरे बोर्ड लगा दिए गए हैं। एक बार यहां पहले भी शराब पार्टी का हमने जबरदस्त विरोध किया था। वैसा ही विरोध फिर से करना पड़ेगा। शहर के किसी भी पार्क में शोर-शराबा या शराब पार्टी नहीं हो सकती तो फिर यहां क्यों होनी चाहिए।
- सेन्ट्रल पार्क में वॉक करने वाली श्रेया सरन का कहना है कि घोड़ों के जो भी मालिक हैं, उन्हें उनके लिए अपना निजी अस्तबल बनाना चाहिए। घोड़ों को पब्लिक पार्क में बने वॉक-वे पर कैसे घुमाया जा सकता है। ऐसे तो फिर लोग अपनी गाय, भैंस, भेड़-बकरी या कुत्तों को भी सेन्ट्रल पार्क लाना शुरू कर देंगे।
शराब के लिए लाइसेंस लेते हैं : क्लब सचिव
राजस्थान पोलो क्लब के सचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि किसी को वॉकिंग ट्रैक पर वॉक करने से मना नहीं किया है। हां, ग्राउंड के अंदर वॉक नहीं करने दी जाएगी। घोड़ों को वॉकिंग ट्रैक पर चलाने की बात गलत है। वो एकाध महीने पहले की बात है, अभी ऐसा नहीं हो रहा है। हम नहीं चाहते कि घोड़ों से या पोलो की गेंद से किसी को चोट लग जाए, इसलिए हमने चेतावनी के बोर्ड भी लगाए हैं कि किसी को चोट लगी तो पोलो क्लब की जिम्मेदारी नहीं होगी। क्लब के पास रेस्टोरेंट है, तो शराब भी होती है, उसके लिए हम लोग लाइसेंस लेते हैं।
कुछ लोग जबरदस्ती इश्यू बना रहे हैं। करीब चार… साढ़े चार किमी का वॉकिंग ट्रैक है, फिर भी कुछ लोग पोलो ग्राउंड के पास वाले ट्रैक पर ही वॉक करना क्यों चाहते हैं?~~ दिग्विजय सिंह, सचिव राजस्थान पोलो क्लब