प्लाज्मा चोरी का आरोपी जमानत पर कैसे छूटा?:सबूत नहीं जुटा पाई पुलिस, FSL जांच तक नहीं हुई, नहीं मिल रहे 3 सवालों के जवाब
प्लाज्मा चोरी का आरोपी जमानत पर कैसे छूटा?:सबूत नहीं जुटा पाई पुलिस, FSL जांच तक नहीं हुई, नहीं मिल रहे 3 सवालों के जवाब

जयपुर : जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा चोरी मामले में पुलिस की ढीली कार्रवाई सवालों के घेरे में है। आरोपी लैब टेक्नीशियन किशन सहाय को गिरफ्तार करने के बाद भी पुलिस उससे कोई राज नहीं उगलवा पाई। न ही कोई खास सबूत इकट्ठा कर पाई। यही कारण रहा कि आरोपी को अदालत से बड़ी आसानी से जमानत मिल गई। यहां चौंकाने वाली बात तो यह है कि सबसे ज्यादा जरूरी एफएसएल जांच ही नहीं करवाई गई है। हॉस्पिटल से सीसीटीवी फुटेज तक गायब मिले।
तीन सवाल हैं, जिनके जवाब अभी तक न तो जांच कमेटी ढूंढ पाई और न ही पुलिस…
1. पुलिस के पहुंचने से पहले से ही ब्लड बैंक के सभी 7 कैमरों की सीसीटीवी फुटेज गायब थे। प्लाज्मा स्टोर रूम के सीसीटीवी के तो तार भी कटे हुए थे, ये किसने किया?
2. मामले में सबसे जरूरी एविडेंस कटारिया की कार, 76 प्लाज्मा बैग्स, डीप फ्रीजर और स्टोर रूम की एफएसएल जांच ही नहीं की गई है।
3. ब्लड बैंक में काउंटिंग के दौरान कुछ एक्स्ट्रा खाली बैग्स मिले हैं, जो इश्यू होने वाले बैग्स की संख्या से ज्यादा हैं। ये बैग्स कहां से आए?

मामले में अब तक एफएसएल जांच तक नहीं
4 मई को मामला खुलने के बाद से घटना को 12 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक ब्लड बैंक, स्टोर रूम, प्लाज्मा स्टोर करने का डीप फ्रीजर, कटारिया की कार, उसमें से बरामद किये गए 76 प्लाज्मा बैग्स और तार कटे हुए सीसीटीवी के एक बार भी एफएसएल साक्ष्य नहीं जुटाए गए हैं।
कटारिया की जिस कार से प्लाज्मा बैग्स बरामद हुए न तो उसे अब तक सीज किया गया है न ही वो कमरा और डीप फ्रीजर जहां से किशन कटारिया उन पैकेट्स को लेकर बाहर गया था। ब्लड बैंक के सातों कैमरे की फुटेज नहीं है।
स्टोर के सीसीटीवी के तार काटे हुए थे। एसएमएस थाना पुलिस की मानें तो हॉस्पिटल प्रशासन से आस-पास के सीसीटीवी फुटेज मांगे गए थे, जिन्हें अभी उपलब्ध नहीं करवाया गया। 11 मई को पकड़े गए आरोपी किशन सिंह को 15 मई को जयपुर की अदालत (सीजेएम प्रथम) से बड़ी आसानी से जमानत मिल गई।

देरी से FIR, देरी से गिरफ्तारी, तब तक सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका
10 मई को एसीएस शुभ्रा सिंह की ओर से गठित जांच कमेटी ने मामले में जो रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें सीसीटीवी फुटेज के अलावा ब्लड बैंक के अन्य उपकरणों से भी छेड़छाड़ होने की बात सामने आई थी। यहां यह बताना जरूरी है कि लैब इंचार्ज डॉ. सतेंद्र ने मामला 24 घंटे तक छुपाए रखा। इसका नुकसान यह हुआ कि एफएसएल टीम समय पर अपना काम नहीं कर सकी। आशंका है कि मामले में लिप्त लोगों ने तब तक सबूत नष्ट कर दिए।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने मामला सामने आने के बाद न तो ब्लड बैंक के सीसीटीवी की निगरानी के लिए कोई कंट्रोल रूम स्थापित करवाया और न ही ब्लड बैंक का औचक निरीक्षण किया। अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी होने के बावजूद सीसीटीवी के तार कटे होने या रिकॉर्डिंग न मिलने कि शिकायत भी सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी को नहीं की। उधर, 7 मई को मुकदमा दर्ज होने के बाद भी किशन सहाय की गिरफ्तारी 11 मई को संभव हो पाई।

ब्लड बैंक में मिले एक्स्ट्रा बैग्स कहां से आए?
हमारी पड़ताल में सामने आया है कि जेकेलोन अस्पताल के ब्लड बैंक में खाली प्लाज्मा बैग्स की संख्या इश्यू किए गए प्लाज्मा बैग्स से ज्यादा मिली है। ये एक्स्ट्रा बैग्स कहां से आए, क्या ये प्लाज्मा चुराने के लिए इस्तेमाल होते थे या प्लाज्मा के अलावा अन्य जरूरी लाइफ सेविंग चीजें जैसे आरबीसी वगैरह भी चुराए जा रहे थे? इन सवालों का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है।
आमतौर पर इश्यू किए गए बैग पर जारी करने वाले हॉस्पिटल की ओर से पैकेट नंबर, बैच नंबर, इश्यू करने की डेट, जारी करने वाले इंचार्ज का नाम इत्यादि होता है। इसलिए आशंका है कि चोरी किए गए प्लाज्मा के पैकेट्स की पहचान न हो और स्टोर की गिनती में फर्क न आए, इसलिए बाहर से इन बैग्स को ब्लड बैंक तक लाया जा रहा था। यह काम कटारिया अकेले कर रहा था या उसके साथ बाहर के लोग और अंदर का स्टाफ भी मिला हुआ था यह पुलिस अब तक कटारिया से उगलवा नहीं सकी है।

प्राइवेट हॉस्पिटल से कटारिया का रिश्ता!
पुलिस की तफ्तीश में सामने आया है कि किशन कटारिया का जेएलएन रोड स्थित एसके सोनी हॉस्पिटल में आना जाना था। शुरुआती जांच में कटारिया ने सोनी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के लिए कैंप लगवाने, टेक्नीशियन और लैब आदि की व्यवस्था करने की बात कबूली है।
यहां वह पार्ट टाइम करीब दो घंटे काम भी करता था। इस आधार पर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कटारिया एक से ज्यादा ब्लड बैंक से जुड़ा हुआ हो सकता है। ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में जेके लोन से चुराया हुआ प्लाज्मा इन्ही ऑटोनोमस ब्लड बैंक में खपा रहा था।

एसके सोनी हॉस्पिटल के निदेशक नमित सोनी ने प्लाज्मा चोरी मामले में किशन सहाय के साथ किसी भी प्रकार की मिलीभगत से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि किशन सहाय कटारिया हमारे हॉस्पसिटल के ब्लड बैंक में बतौर विशेषज्ञ जुड़ा हुआ था। इसके अलावा उनका हमारे ब्लड बैंक से कोई लेना-देना नहीं था। ना ही कोई पार्टनरशिप थी।
प्लाज्मा क्यों चुराया नहीं बता रहा कटारिया
एसएमएस अस्पताल थाना पुलिस के जांच अधिकारी एएसआई बीरेंद्र सिंह ने बताया कि कटारिया ने ब्लड बैंक से प्लाज्मा के 76 पैकेट्स क्यों चुराए यह उसने अब तक नहीं बताया है। कस्टडी में सख्ती से पूछताछ के बावजूद वो इस सवाल पर चुप्पी साधे हुए था। मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने ब्लड बैंक के अलावा नीचे के फ्लोर और बाहर की सीसीटीवी फुटेज भी अस्पताल प्रशासन से मांगे हैं। कमेटी की रिपोर्ट को भी पुलिस जांच में शामिल किया जाएगा।

पुलिस ने कटारिया कि निशानदेही पर उसका मोबाइल जब्त कर लिया है। उसका डिलीट किया गया डेटा रिकवर करने का भी प्रयास किया जा रहा है साथ ही मोबाइल की फॉरेंसिक टीम से भी जांच करवाई जाएगी। अब डेटा रिकवर होने के बाद ही इस मामले में कई नए खुलासे हो सकते हैं। किशन ने फरारी के दिन सालासर बालाजी, गोवर्धन और जयपुर में अलग-अलग स्थानों पर छिपकर बिताए। जवाहर सर्किल पार्क में जब पुलिस ने कटारिया को पकड़ा तो वह अपने भतीजे के साथ उसके मोबाइल से परिजनों से बातचीत कर रहा था।