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बॉय-कट बालों पर खूब मिले ताने, अब सबका मुंह बंद:98.4% अंक लाकर बनी बाड़मेर की टॉपर


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बॉय-कट बालों पर खूब मिले ताने, अब सबका मुंह बंद:98.4% अंक लाकर बनी बाड़मेर की टॉपर

बोलती है- माता-पिता कुछ नहीं कहते तो तुम कौन

बाड़मेर : जब लड़कों जैसी बॉय-कट हेयर स्टाइल रखी और उनके जैसे ही कपड़े पहनने लगी तो लोगों ने मुझे बहुत ताने दिए। लड़कों के बीच जाती तो वो कहते- लड़की है, लड़की बनकर रहा कर। मेरे माता-पिता को भी रिश्तेदार और मिलने वाले यही सब कहते। मैंने कभी इन तानों पर ध्यान नहीं दिया।

हमेशा अपना टारगेट फिक्स रखा और उसी की ओर प्रयास किए। मेरे माता-पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। यही वजह है कि मैनें सीबीएसई 12वीं क्लास (आट्‌र्स) में 98.4 प्रतिशत लाकर पूरे बाड़मेर में टॉप किया।

एग्जाम से 15 दिन पहले कबड्डी की नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेने कर्नाटक गई थी और वहां जमकर खेला। उसके बाद एग्जाम में पूरे मन के साथ जुट गई। यह कहना है पूरे जिले में टॉप करने वाली जसोदा जाखड़ का।

पढ़िए बेटी की सफलता पर क्या बोले माता-पिता…

मां मोहनी चौधरी के साथ जसोदा।
मां मोहनी चौधरी के साथ जसोदा।

तानों को अनसुना कर दिया
जसोदा की मां मोहनी चौधरी ने बताया कि बच्चों की पढ़ने में रुचि है। जसोदा को पढ़ने के साथ खेलने में भी रुचि है। बॉय-कट हेयर स्टाइल रखती है।

कई बार लोग उस पर कमेंट करते हैं कि लड़कों की तरह रह रही है। लड़की है। बाल कब रखेगी। नाक और कान में कुछ पहनती नहीं है। लड़कों जैसे क्यों रहती है।

जसोदा ने कई बार बोला कि मेरी रुचि है। इसलिए मैं रहती हूं। माता-पिता मना नहीं करते हैं तो तुम कौन होते हो मना करने वाले। गांव में लोग बोलते हैं कि लड़कियां बड़ी हो गई हैं।

सगाई नहीं की, शादी कब करोगे। हमने कभी दूसरों की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया, इसलिए आज वो वही करती है, जो उसका मन करता है। हमारा काम है उसे गाइड करना, वो हम हमेशा करेंगे।

जिले में टॉपर आने पर जसोदा का मुंह मीठा करवाते परिवारजन।
जिले में टॉपर आने पर जसोदा का मुंह मीठा करवाते परिवारजन।

कमरा बंद कर देखा रिजल्ट
जसोदा बताती हैं कि मैं सीयूटी एग्जाम की तैयारी कर रही थी। मेरा भाई आया कि रिजल्ट आ गया। कमरा बंद करके डरते-डरते रिजल्ट देखा। जब देखा तो 98.4 प्रतिशत बने हैं। पहले तो विश्वास नहीं हुआ फिर मां को बताया। मां खाना खा रही थी, तभी खाना छोड़कर मुझे गले लगाया।

खुशी के चलते मां की आंखों से पानी आ गया। डर इस वजह से लग रहा था कि एग्जाम से 15 दिन पहले नेशनल गेम्स खेलने कनार्टक गई हुई थी।

मुझे लगा कि शायद अच्छी तैयारी नहीं है। एक दिन छोड़कर सीयूटी का एग्जाम है। रिजल्ट सही नहीं आया तो वो पेपर भी नहीं दे पाऊंगी। इसके कारण नर्वस थी।

एग्जाम से 15 दिन पहले कबड्डी की नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेती जसाेदा।
एग्जाम से 15 दिन पहले कबड्डी की नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेती जसाेदा।

करियर चुनने में हमेशा आजादी मिली
मुझे हर चीज में माता-पिता का पूरा सपोर्ट मिला है। गेम्स और पढ़ाई, दोनों में पूरा सपोर्ट किया। परिवार वालों ने करियर चुनने में हमेशा मुझे आजादी दी। उन्होंने हमेशा कहा कि जो करना है, वो करो।

कभी मना नहीं किया। हां… अगर कुछ गलत होता तो उसके लिए मना करते ही हैं। वैसे एग्जाम के समय मोबाइल का बहुत कम यूज किया। हमेशा लक्ष्य और विजन क्लियर रखा और मेहनत के साथ आगे बढ़ने का प्रयास किया। इसके कारण सफलता भी मिली।

हेल्दी कॉम्पिटिशन होना चाहिए
जसोदा ने बताया कि मेरी दोस्त है सोनू। उसके 10वीं क्लास में मुझसे ज्यादा नंबर आए थे। मुझे लगा कि इस बार भी उसके मेरे से ज्यादा मार्क्स आएंगे, लेकिन जब मैंने उसको फोन किया तो उसके नंबर कम थे। इसके कारण मुझे खुशी हुई, क्योंकि हेल्दी कॉम्पिटिशन भी होना चाहिए।

दोस्तों के साथ जसोदा।
दोस्तों के साथ जसोदा।

सोशल मीडिया से दूरी जरूरी
जसोदा का कहना है कि पहले मोबाइल नहीं होता तो पढ़ने के दौरान कई बार अटक जाते थे। सॉल्यूशन के लिए टीचर या किताबों का सहारा लेते थे।

लेकिन अब तुंरत मोबाइल पर उसका हल निकल जाता है। स्टडी का मटेरियल फ्री में मिल जाता है। लेकिन हकीकत में सोशल मीडिया से दूर रहने पर ही सफलता मिल सकती है।

पिता बोले- बेटियों के सपनों को उड़ान भरने दें
बेटी की उपलब्धि पर पिता हुकमाराम जाखड़ को भी गर्व है। उन्होंने कहा कि मेरी बेटियां और बेटा सभी एक समान हैं। इसलिए जब कभी कोई बोलता कि बेटी के बॉय कट बॉल है, या इसे लड़कियों की तरह क्यों नहीं रखते, तो मैं सभी की बातों को अनसुना कर देता, क्योंकि बेटियां बेटों से कम नहीं हैं।

उनकी जो इच्छा है, वो उन्हें करने का पूरा अधिकार है। पेरेंट्स को भी चाहिए कि वो अपनी बेटियों को पूरी आजादी दें और उनके सपनों को अपने हाथों से पंख लगाकर उड़ान भरने दें।

बता दें कि जसोदा के पिता हुकमाराम जाखड़ नागड़दा (शिव) ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी हैं। मां गृहिणी हैं। सबसे बड़ा भाई रमेश और फिर बहन सीमा हैं। दोनों ही नीट की तैयारी कर रहे हैं। घर में सबसे छोटी जसोदा है।

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