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जयपुर के सांभर में अब हवा से बनेगा शुद्ध पानी:दिनभर में तैयार होगा 165 लीटर पेयजल;12वीं की स्टूडेंट ने लगवाई 11 लाख की मशीन


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जयपुर के सांभर में अब हवा से बनेगा शुद्ध पानी:दिनभर में तैयार होगा 165 लीटर पेयजल;12वीं की स्टूडेंट ने लगवाई 11 लाख की मशीन

जयपुर के सांभर में अब हवा से बनेगा शुद्ध पानी:दिनभर में तैयार होगा 165 लीटर पेयजल;12वीं की स्टूडेंट ने लगवाई 11 लाख की मशीन

जयपुर : देश-दुनिया में नमक के प्रोडक्शन के लिए पहचान रखने वाले राजस्थान के सांभर में अब हवा से शुद्ध पानी तैयार होगा। यहां ऐसी सोलर मशीन लगाई गई है, जो हवा में मौजूद पानी को लिक्विड रूप में निकालेगी। यह मशीन पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होगी और 1 दिन में 165 लीटर शुद्ध पीने योग्य पानी तैयार करेगी।

जयपुर से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांभर कस्बे में जमीन का पानी खारा है, जिसके कारण पीने के पानी किल्लत है। सरकार की पेयजल योजनाओं से भी यहां काफी कम मात्रा में पानी सप्लाई होता है। ऐसे में यहां के लोगों को दूषित पानी पीना पड़ता है। यहां पेयजल किल्लत की समस्या को दूर करने के लिए जयपुर की बेटी प्रांजल शर्मा (16) ने आकाशगंगा वाटर फॉर लाइफ प्रोजेक्ट शुरू किया।

12वीं क्लास की स्टूडेंट प्रांजल ने अपने स्कूल फ्रेंड्स, टीचर्स और फैमिली फ्रेंड से फंडिंग लेने के साथ ही अपनी सेविंग के 5 लाख रुपए इस प्रोजेक्ट में डोनेट किए। इसके बाद अब सांभर में 11 लाख रुपए की लागत का सोलर एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर लगाया है। इस मशीन से सांभर के 3 गांव में रहने वाले सैकड़ों लोगों को हर दिन पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध हो सकेगा।

सांभर के ग्राम चेतना केंद्र, खेड़ी मिलक में 2 सप्ताह पहले सोलर एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर मशीन लगाई गई है। इसकी कुल लागत करीब 11 लाख रुपए आई है।
सांभर के ग्राम चेतना केंद्र, खेड़ी मिलक में 2 सप्ताह पहले सोलर एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर मशीन लगाई गई है। इसकी कुल लागत करीब 11 लाख रुपए आई है।

दूषित पानी से हुई थी कई पक्षियों की मौत
प्रांजल ने बताया- करीब 2 साल पहले सांभर में दूषित पानी की वजह से हजारों पक्षियों की मौत हुई थी। रोजाना हजारों पक्षियों की मौत की खबरें देखी तो मैंने मौके पर जाकर हकीकत जानने की कोशिश की। यहां पहुंचने पर मुझे पता चला कि इन पक्षियों की मौत का कारण दूषित पानी है। सांभर में दूषित पानी के कारण पक्षियों की ही नहीं कई छोटे बच्चों की भी मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में लोग बहरापन-अंधापन जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो चुके हैं।

पेयजल को लेकर मैंने लोगों से पूछा तो पता चला कि यहां सरकार की पेयजल योजनाओं से काफी कम मात्रा में पानी सप्लाई हो पाता है। पेयजल समस्या के समाधान के लिए सरकार काफी प्रयास कर चुकी है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। आरओ (RO) में भी बड़ी मात्रा में पानी व्यर्थ जाता है। टैंकरों से पानी मंगवाना महंगा पड़ता है, ऐसे में दूषित जल पीने को मजबूर हैं।

रिसर्च में मिली चेन्नई की कंपनी की जानकारी
प्रांजल शर्मा ने बताया- हकीकत जानने के बाद मैंने सांभर में पेयजल समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए रिसर्च शुरू की। कुछ महीनों बाद मुझे पता चला कि चेन्नई में एक ऐसी कंपनी है, जो हवा से पानी बनाने की मशीन तैयार करती है। इस तकनीक को वायुमंडलीय जल उत्पादन यानी एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर कहा जाता है।

इसके बाद मैंने कंपनी के प्रतिनिधियों से बात कर सांभर की पेयजल समस्या के बारे में बताया। इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने सांभर के हालात का जायजा लिया। उन्होंने सांभर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सोलर वाटर जनरेटर बनाने का फैसला किया। इसे पूरी तरह इंस्टॉल करने में 10 लाख रुपए से ज्यादा की लागत आ रही थी, लेकिन तब मेरे पास इतने रुपए नहीं थे।

प्रांजल शर्मा पिछले 2 साल से सांभर के लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की कोशिशों में जुटी हुई थीं। इसके लिए उन्होंने आकाशगंगा वाटर फॉर लाइफ प्रोजेक्ट शुरू किया।
प्रांजल शर्मा पिछले 2 साल से सांभर के लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की कोशिशों में जुटी हुई थीं। इसके लिए उन्होंने आकाशगंगा वाटर फॉर लाइफ प्रोजेक्ट शुरू किया।

अपनी बचत के 5 लाख रुपए प्रोजेक्ट में किए डोनेट
प्रांजल शर्मा ने बताया- फिर मैंने सांभर की पेयजल समस्या के लिए आकाशगंगा वाटर फॉर लाइफ प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके तहत मैंने अपने स्कूल फ्रेंड्स, टीचर्स और फैमिली फ्रेंड से फंडिंग ली, लेकिन इसके बाद भी 10 लाख रुपए इकट्ठे नहीं हुए। तब मैंने अपनी सेविंग के 5 लाख रुपए इस प्रोजेक्ट में डोनेट किए। अब 2 साल की मेहनत के बाद सांभर के ग्राम चेतना केंद्र, खेड़ी मिलक में सोलर एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर लग पाया है। यह मशीन हर दिन 165 लीटर पीने का शुद्ध पानी तैयार करेगी।

प्रांजल ने बताया कि यह एक मशीन सांभर के तीन गांव के लोगों की प्यास बुझाने का काम करेगी, लेकिन पूरे सांभर में पीने के पानी की डिमांड बहुत ज्यादा है, जिसके लिए एक मशीन काफी नहीं है। इसलिए मैं चाहती हूं कि सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएं भी सांभर के लोगों की समस्या को समझें और उनको पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए अपना योगदान दें।

प्रांजल ने सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सांभर के लोगों की समस्या को समझने और पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए योगदान देने की अपील की है।
प्रांजल ने सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सांभर के लोगों की समस्या को समझने और पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए योगदान देने की अपील की है।

हवा में मौजूद पानी को लिक्विड रूप में निकालेगी मशीन
प्रांजल ने बताया- एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर मशीन नैनो टेक्नोलॉजी पर काम करती है। इसमें अलग-अलग तरह के प्यूरीफायर लगे हुए हैं, जो हवा से शुद्ध जल को जनरेट करते हैं। यह पानी मिनरल युक्त और शुद्ध होता है। दरअसल, हवा में आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) मौजूद रहती है यानी सीधे शब्दों में हवा में पानी की मौजूदगी। एटमॉसफेरिक वाटर जनरेटर मशीन हवा में मौजूद पानी को लिक्विड रूप में निकालती है। आम तौर पर यह मशीन बिजली से चलती है। इस मशीन में लगी कॉइल्स की मदद से हवा में मौजूद पानी कंडेंस होकर द्रव (लिक्विड) रूप में आ जाता है। इस मशीन में कई फिल्टर भी लगाए गए हैं, जिनके जरिए पानी शुद्ध रूप में मिलता है।

इस मशीन से पांच स्टेप में पानी फिल्टर होगा और ये फिल्टर स्टेप हैं कचरा हटाना, प्री कार्बन, पोस्ट कार्बन, खनिज गुणवत्ता सुधार और यूवी फिल्टर। अगर हवा में आर्द्रता ज्यादा होगी, तभी इस मशीन से पानी निकल सकेगा। अगर हवा में आर्द्रता 20 फीसदी से कम है, तो ये मशीन पानी नहीं निकालेगी।

12वीं क्लास की स्टूडेंट हैं प्रांजल शर्मा
प्रांजल शर्मा जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं क्लास में पढ़ाई करती हैं। प्रांजल ग्लोबल पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स और एनवायरमेंटल साइंस सब्जेक्ट पढ़ रही हैं। इनके पिता विनय शर्मा इंश्योरेंस कंसल्टेंट हैं और मां रम्य शर्मा ज्वेलरी डिजाइनर हैं।

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