नानी बाई को मायरो कथा का समापन:भगवान श्रीकृष्ण ने भरा मायरा, भावुक हुए श्रद्धालु
नानी बाई को मायरो कथा का समापन:भगवान श्रीकृष्ण ने भरा मायरा, भावुक हुए श्रद्धालु

नीमकाथाना : गणेश्वर गालव गौशाला समिति की ओर से आयोजित नौ दिवसीय नानी बाई रो मायरो का समापन हुआ। इस अवसर पर कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। अखंड रामायण पाठ,यज्ञ और भंडारा कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कथा वाचक रणवीर भाई शेखावाटी ने कहा कि यह कथा गौमाता, माता पिता, सास ससुर, बड़े बुजुर्गो की सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख देती है। कथा में सहयोग की भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को जीवित रखना है तो हमें एकजुटता से मिलकर ऐसे धार्मिक आयोजन करना जरूरी है। नरसी मेहता में भगवान के प्रति समर्पण की भावना थी।
कथावाच ने नरसी मेहता और श्रीकृष्ण के बीच हुए रोचक संवाद को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि घर में कितनी भी बहु हों, कोई अपने पीहर से कितना भी लाए, मगर ससुराल के लोगों को कभी भी धन के लिए किसी को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए क्योकि हर किसी की आर्थिक स्थिति एक सी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी बहन के भाई नहीं हो या परिवार गरीब हो तो उसका सहयोग करना चाहिए।
नानी बाई को मायरो कार्यक्रम के अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण ने छप्पन करोड़ का मायरा भरा। नरसी भक्त ने भी कड़ी तपस्या कर भगवान को याद किया, उनको आना पड़ा और श्रीकृष्ण ने छप्पन करोड़ का मायरा भी भरा। भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त नरसी मेहता ने जब अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया तब उन्हें भगवान का साक्षात्कार हुआ।