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‘जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को कैंसिल कर दिया था’:फेस्टिवल के फाउंडर बोले- सरकार ने इस बार बिल्कुल भी सहयोग नहीं दिया


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‘जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को कैंसिल कर दिया था’:फेस्टिवल के फाउंडर बोले- सरकार ने इस बार बिल्कुल भी सहयोग नहीं दिया

'जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को कैंसिल कर दिया था':फेस्टिवल के फाउंडर बोले- सरकार ने इस बार बिल्कुल भी सहयोग नहीं दिया

जयपुर : जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (जिफ) की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बड़े ही छोटे रूप में। जहां इसमें बड़ी संख्या में फिल्मों को दिखाया जाता था। हजारों की संख्या में फिल्ममेकर्स जुटते थे। वहीं, अब कुछ चुनिंदा फिल्ममेकर्स के बीच खानापूर्ति करते हुए फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। इस बार 43 फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है।

फेस्टिवल के फाउंडर हनुरोज ने मीडिया टीम से बातचीत करते हुए बताया- आर्थिक समस्याओं के कारण इसे छोटे आकर में आयोजित किया जा रहा है। सरकार ने इस बार बिल्कुल भी सहयोग नहीं दिया है, इसके चलते पहले हमने इस फेस्टिवल को कैंसिल कर दिया था। फिर हमने राजस्थान फिल्ममेकर्स की डिमांड पर इसे छोटे स्तर पर ही आयोजित करने का निर्णय लिया।

ऑस्ट्रेलिया से फिल्ममेकर जयपुर आए है, इन्हें भी जयपुर नहीं आने का निवेदन हनुरोज ने किया था।
ऑस्ट्रेलिया से फिल्ममेकर जयपुर आए है, इन्हें भी जयपुर नहीं आने का निवेदन हनुरोज ने किया था।

सवाल: फेस्टिवल का कैनवास छोटा किया है, क्या कारण है?

हनुरोज: जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का यह 16वां एडिशन है। इसमें कुल 43 फिल्में दिखाई जा रही हैं। कैनवास हमने छोटा इसलिए रखा है, क्योंकि इस बार समस्याएं बहुत ज्यादा थी। फिल्म के नॉमिनेशन और शेड्यूल में कोई कमी नहीं रही है। फाइनेंशियल वजह से हमने इस बार फिल्म स्क्रीनिंग तक ही फेस्टिवल काे रखा है। अगले साल यह बड़े लेवल पर होगा, जो अब तक का सबसे बड़ा होगा।

हनुरोज ने बताया कि आर्थिक कारणों की वजह से फेस्टिवल को छोटा किया गया है।
हनुरोज ने बताया कि आर्थिक कारणों की वजह से फेस्टिवल को छोटा किया गया है।

सवाल: इस बार आपने एक हजार से ज्यादा फिल्ममेकर्स को आपने ईमेल के जरिए फेस्टिवल में नहीं आने का निवेदन किया, ऐसा क्यों?

हनुरोज: जब हम कैनवास छोटा कर रहे है, चीजें हमारे पास उतनी नहीं है, तो फिल्ममेकर्स को बुलाते है तो पिक एंड ड्रॉप, खाना-पीना सहित बहुत सी चीजें देखनी होती है। इसका बजट हमारे पास नहीं था, ऐसे में हमने एक महीने पहले ही सभी फिल्ममेकर्स को यह कह दिया था कि इस बार फिजिकल इवेंट नहीं कर पा रहे है, ऐसे में न आएं तो बेहतर है। हम नहीं चाहते थे कि फिल्ममेकर्स का भी फालतू खर्चा हो। यह अगले साल भी काम में ले सकते है।

सवाल: आपने एक पोस्ट के जरिए सरकार और अधिकारियों पर करप्शन का आरोप लगाया है, इसका क्या कारण है?

हनुराज: देखिए सभी को पता है कि सरकार में करप्शन तो होता ही है। गवर्नमेंट के अफसरों से पूछिए की जिफ का प्रपोजल पर क्या एक्शन लिया और उस पर उनकी क्या प्रतिक्रियाएं है। सरकार ने करप्शन होता है और इसके एविडेंस भी मैं बता सकता हूं।

पहले दिन देशभर की फिल्मों को सम्मानित किया गया।
पहले दिन देशभर की फिल्मों को सम्मानित किया गया।

सवाल: इस फेस्टिवल से टूरिज्म को भी फायदा मिलता है, अब नुकसान की बात कर रहे है, इस पर बताईए?

हनुरोज: 1500 फिल्ममेकर विदेश से आने का मतलब है कि सरकार को दो करोड़ का रेवेन्यू तो सिर्फ जीएसटी से मिल जाता। हमें ये क्या देते, हमें तो इसका एक प्रतिशत भी नहीं मिलता है। दो करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान सीधे तौर पर सरकार को नुकसान हुआ है। आप देखिए 1500 टिकट, 1500 रुम, 1500 का खाना, 1500 टेक्सी, शॉपिंग, टूरिज्म सहित सभी तरह की जरूरत इनके जरिए होने वाली थी। इसका सीधा फायदा टूरिज्म सेक्टर को ही था। हमने उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी जो पर्यटन मंत्री भी है, उन्हें भी इसकी जानकारी दे रखी है। इसके अलावा टूरिज्म सेक्रेटरी को भी इसके बारे में अवगत करवाया हुआ है।

टूरिज्म डायरेक्टर को भी हमने लिखा है, उन्हें रिमांइडर भी करवाया है। जो गलत कर रहा है, उसके बारे में भी जानकारी दी है। फिल्म पॉलिसी को लेकर हमने एक पूरा इवेंट किया और इसकी गलतियों की जानकारी दी। उस पॉलिसी को हटाना होगा, इस पॉलिसी से राजस्थान की इंडस्ट्री आगे नहीं बढ़ेगी। इस फेस्टिवल के बाद हम इस पर भी कार्य करने वाले है।

पांच दिन फेस्टिवल में क्या खास रहने वाला है, इसके बारे में बताएं?

हनुरोज: आज हमने फिल्म स्क्रीनिंग और राजस्थान व अन्य जगहों से आए फिल्ममेकर्स की फिल्मों को अवॉर्ड प्रदान किए है। एमडी सोनी को लाइफटाइम और कामिनी कौशल को आउटस्टैंडिंग लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया है। उसे मुम्बई जाकर देने वाला है। वे 2011 में जयपुर के इस फेस्टिवल में आ भी चुकी है। इस फेस्टिवल में हम 43 फिल्मों को दिखा रहे है। इसमें विदेशी से आई फिल्मों के साथ भारत और स्पेशली राजस्थान की फिल्मों को दिखा रहे हैं। इन फिल्मों को देखना चाहिए, राजस्थानी फिल्मों को जरूर देखना चाहिए और इनके प्रति सोच बदलने की आज जरूरत है।

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