जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा
शिमला : एक तरफ राज्य सरकार त्वरित कार्य के बड़े बड़े दावे कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ खेतड़ी में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते दिव्यांग हंसराज को अपनी की गई मजदूरी के भुगतान के लिए बेवजह परेशान होना पड़ रहा है। उसकी गलती बस इतनी है कि वो अपने पैरो से चल फिर नही सकता। इस कारण कोई दूसरा कार्य भी नही कर सकता। सरकार ने मनरेगा इस लिए चलाया था ताकि जरूरतमंद परिवार मनरेगा में मजदूरी करके अपना पेट पाल सकें। लेकिन मजदूरी करने के पांच माह बाद तक भी पैसे नहीं मिलें तो उन मजदूरों पर क्या बीतती होगी अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। ऐसा ही वाक्या ग्राम शिमला में नरेगा मजदूरों के साथ हो रहा है। जहां तीन माह से मजदूरी का भुगतान नहीं मिला है। नरेगा मजदूर दिव्यांग हंसराज ने बताया कि उन्होंने 5 मस्टरोल मे लगातार मजदूरी की है। लेकिन अभी तक एक भी मस्टरोल का भुगतान नहीं मिला है। जिसके कारण उनके सामने भूखों मरने की नौबत पैदा हो गई है। दुकानदारों ने उधार में राशन देना भी बंद कर दिया है। हंसराज निर्माण ने बताया कि वह बार बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत कर कर के भी थक गया है। लेकिन कहीं कोई सुनने वाला नहीं है। ऐसे में वो आखिर जाए तो भी कहां। 5 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक भुगतान नहीं मिला है। जिसके कारण उसे व अन्य नरेगा मजदूरों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। हंसराज ने बताया कि उसने 15 रोज पूर्व लोकपाल को भी इसकी शिकायत की थी जिस पर उन्होंने भी शीघ्र ही भुगतान करवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन 15 रोज बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही हुई। यदि शीघ्र ही भुगतान नही मिला तो विवश होकर दिव्यांग हंसराज भूख हड़ताल पर बैठेगा।