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झुंझुनूं का एकलव्य गायक जाकिर अब्बासी, आज गायकी में बड़ा नाम झुंझुनू जिला इलेक्शन आइकन सहित अनेक सम्मान मिल चुके


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झुंझुनूं का एकलव्य गायक जाकिर अब्बासी, आज गायकी में बड़ा नाम झुंझुनू जिला इलेक्शन आइकन सहित अनेक सम्मान मिल चुके

झुंझुनूं का एकलव्य गायक जाकिर अब्बासी, आज गायकी में बड़ा नाम झुंझुनू जिला इलेक्शन आइकन सहित अनेक सम्मान मिल चुके

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अंसार मुज़्तर

एक्सक्लूसिव मुलाक़ात

झुंझुनूं : झुंझुनूं के जाकिर अब्बासी एक ऐसे गायक हैं जिन्हें आप एकलव्य कह सकते हैं। बिना किसी गुरु के पास गए, रियाज के बूते उन्होंने अपनी पहचान एक ऐसे गायक के रूप में बना ली है जिन्होंने अपनी आवाज को तराशा और अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है। उन्हें इसी माह ग्लोबल शिक्षा फाउंडेशन ऑफ महाराष्ट्र इंडिया की ओर से आइकॉन आफ इंडिया पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। आज वे न केवल देशभर में अपनी पहचान बना चुके हैं, बल्कि वे अपने गीत खुद लिखते भी हैं। उनकी इस कला के लिए उन्हें झुंझुनू जिला प्रशासन ने विभिन्न योजनाओं के प्रचार-प्रसार का ब्रांड एंबेसेडर बनाया है। हाल ही उन्हें इलेक्शन आइकन के रूप में भी पहचान मिली है। हमने उनकी अब तक की यात्रा पर उनके बातचीत की। यहां प्रस्तुत है, बातचीत के प्रमुख अंश :

1. गायकी की शुरुआत कैसे हुई

मुझे संगीत की विधिवत शिक्षा लेने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। बचपन से ही गीत सुनने का शौक था। बिनाका गीत माला कार्यक्रम नियमित रूप से सुनता था। रेडियो पर कान पर लगा कर सुनता। रात को गीत सुनते-सुनते नींद आ जाती तो घरवाले ही रेडियो बंद करते थे। गीत सुनते-सुनते गुनगुनाने लगा। पांचवीं छठी क्लास में स्कूल में बालसभा में मास्टर जी गाने के लिए खड़ा कर देते थे। इस तरह झिझक समाप्त हो गई।

2.  गायकी का टर्निंग पाइंट

उम्र बढ़ने के साथ-साथ 15 अगस्त और 26 जनवरी के समारोहों में देश भक्ति गीत गाने लगा। लोग तारीफ करने लगे तो हौसला बढ़ता गया। मुझे याद है, उन दिनों आशिकी फिल्म आई थी, जिसके गीत बहुत मशहूर हुए थे। कुमार शानू के गाए गीतों को सुना तो मुझे लगा, मैं भी एक अच्छा गायक बन सकता हूं और मेरे भीतर छुपे गायक ने आवाज दी और जुनून गायिकी का लग गया। मेरी पहली मंचीय प्रस्तुति नूआं में हुई जहां मैंने पंकज उधास की ग़ज़ल ‘चिट्ठी आई है, वतन से, चिट्ठी आई है’ सुनाई तो लोगों ने भरपूर दाद दी, वाहवाही भी मिली। पुरस्कार भी मिला। इस तरह सिलसिला चलता रहा। गायकी चलती रही।

3. वो ऑडियो कैसेट का जमाना याद है

गाने का शौक ऐसा कि ऑडियो की शॉप ही धंधा के रूप में चुना और ऑडियो कैसेट का शॉप कर लिया। उन दिनों लोग अपनी पसंद के गीत रिकार्ड करवाने आते थे। इस तरह दिनभर गीत ही बजते रहते थे। गीत रिकार्ड होते रहते, मैं साथ-साथ गाता रहता। फिर वो भी समय आया जब पाकिस्तानी गायक अता उल्लाह खां का गीत ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का’ बहुत चर्चित हुआ। मैने उस गाने को भी गाया तो लोगों ने कहा कि यह तो बिल्कुल अता उल्लाह खां की तरह ही गाता है, और मुझे जूनियर अताउल्लाह खान का खिताब दिया गया इससे हौसला और बढ़ गया और इसी दौर में पाकिस्तानी गायिका रेशमा का गाया हुआ हीरो फिल्म का गीत लंबी जुदाई पहली बार सार्वजनिक मंच पर गाया तो लोगो को काफी पसंद आया और ये गीत मेरी एक पहचान बन गया आज भी जहा कोई प्रोग्राम हो तो लंबी जुदाई गाने को मेरे से जरूर सुनते हैं। जुनून ऐसा था कि जेब से रुपए खर्च कर बाहर जाकर विभिन्न मंचों पर गाना गाने जाता था। राजस्थान के कई जिलों में गया, जयपुर के रविन्द्र मंच पर अनेक प्रोग्राम दे चुका हूं देश के कई राज्यों में जाकर प्रस्तुति दी।

4. व्यावसायिक शुरुआत

वो साल 2014 था, जब झुंझुनू में मेरे साथ पांच छ लोगों ने मिल कर बज्मे-मौसिकी नाम से एक संस्था बनाई जिसमें लगातार आयोजन होते थे। वहां मैं गाने गाया करता था। इस तरह रियाज होता चला गया।

5. पुरस्कार और सम्मान

आखिर वो समय भी आया जब लोगों ने नोटिस करना शुरू किया। सम्मान और पुरस्कार भी मिलने लगे। सामाजिक संस्था, गैर सामाजिक संस्था, एनजीओ से अब तक करीब 50 से अधिक पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं, और 10 से 15 प्रोग्राम और इन्टरव्यू विभिन्न टीवी चेनल्स और युटुब पर आ चुके हैं। पिछले साल लखनऊ की वार्थी विजलेंस संस्था ने मुझे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पुरस्कार दिया गया तो वही देहली की एनजीओ संस्था समाज सुधार ट्रस्ट द्वारा नशा मुक्ति अभियान कार्यक्रम में मशहूर कॉमेडियन फिल्म अभिनेता जूनियर मेहमूद के साथ मंच साझा किया और उनके हाथों मुझे सम्मानित किया गया इस तरह से गायक जाकिर अब्बासी को दो बार राष्ट्रीय स्तर पर और दो बार जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। 1995 में दूरदर्शन पर गुदगुदी अंत्याक्षरी में मैं विनर रहा तो 2000 में स्टार प्लस चैनल पर चलती का नाम अंत्याक्षरी में भी राजस्थान में पहले स्थान पर रहा।

6. सामाजिक सरोकार और नवाचार

आवाज की दुनिया में पहचान बढ़ी तो सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ा। झुंझुनू जिला प्रशासन के आग्रह पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सड़क सुरक्षा, मतदान जागरुकता, नशा मुक्ति को लेकर गीत लिखे और गाये। कोरोना के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए 7 गीत लिखे जिसमे दो गीत ये दौर है मुश्किल का हमें देश बचाना है और खेल ना बंदे कोरोना से सबसे ज्यादा चर्चित हुवे और सुने गए और बहुत से गायको ने गाये। देशभक्ति गीतों में मेरे दो गीत प्यारा वतन हमारा और सांप्रदायिक सौहार्द पर गाया गया गीत नफरत भाग जा भारत में तेरो काई काम काफी पसंद किया और लोगो ने इस गीत पर रील बनाकर काफी शेयर किए मेरा पहला राजस्थानी लिखा गीत उड़ जा कागा किरण कुमावत के साथ तो दूसरा गीत ओ यारा तोड़ गई क्यू दिल परणी तो चाली ससरिए गायिका कीर्ति बराड़ के साथ गाया। जिसको खूब सराहा गया ।

जयपुर आकाशवाणी से रेशमा खान ने दो बार साक्षात्कार प्रसारित किया। मेरे कुछ लिखे चर्चित गीत जो रिलीज से पहले ही काफी चर्चा में आ गए जिसमे मुख्य रूप से झुर झुर रोव अंखियां, तू भी अकेली रोवे, मैं भी अकेला रोऊं, ऐ दिल तू मान जा उस बेवफा को तू भूल जा और छोड़ के ना जा तुझको प्यार का है वास्ता सहित अनेक गीत बहुत जल्द रिलीज होने वाले है। हाल ही एक गीत तैयार किया है, जो प्रसिद्ध गायक हंसराज हंस को सुनने के बाद उनसे प्रभावित होकर लिखा व गाया है, गीत के बोल हैं, ‘झुर झुर रोवे अंखियां।’ इसका वीडियो अलबम बन रहा है। इस गीत को लेकर प्रसिद्ध गायक सुदेश भोसले, संगीत कार दिलीप सेन, जूनियर गोविंदा, जूनियर शाहरुख खान, राजस्थान की स्वर कोकिला सीमा मिश्रा, व जिले के पूर्व जिला कलेक्टर रवि जैन आदि ने भी मेरी पीठ थपथपाई है।

~जाकिर अब्बासी दिलबर (सिंगर राइटर कंपोजर) इलेक्शन आइकॉन, झुंझुनू

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