शराबी प्रिंसिपल ने कई बार शिक्षा विभाग को किया शर्मसार:नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में हो चुका सस्पेंड, पेंडिंग इंक्वायरी के बावजूद प्रमोशन, अब मिली चार्जशीट
शराबी प्रिंसिपल ने कई बार शिक्षा विभाग को किया शर्मसार:नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में हो चुका सस्पेंड, पेंडिंग इंक्वायरी के बावजूद प्रमोशन, अब मिली चार्जशीट

जयपुर : शराब के नशे में गणतंत्र दिवस समारोह का संचालन करने वाला प्रिंसिपल अरविंद कुमार दानोदिया कई बार अपने कारनामों के चलते शिक्षा विभाग को शर्मसार कर चुका है। शराब के नशे में स्कूल पहुंचने, स्टाफ से मारपीट करने के मामले में जेल भी जा चुका है।
लेक्चरर रहने के दौरान नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ करने पर उसे सस्पेंड कर दिया गया था। हाल ही में उसके खिलाफ विभाग ने चार्जशीट भेजी है। इससे पहले स्कूल स्टाफ को धमकाते हुए कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैं।
इन्हीं आदतों के चलते उसे शिक्षा विभाग ने दो बार सस्पेंड भी किया। लेकिन विभागीय जांच पेंडिंग रहने के दौरान भी शिक्षा निदेशालय ने नियमों का हवाला देकर लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन दे दिया।
हमारे मीडिया कर्मी ने अरविंद कुमार दानोदिया के खिलाफ चल रहे पुराने मामलों और विभागीय जांच की पड़ताल की तो कई कारनामे खुलकर सामने आए।
पढ़िए- एक्सक्लूसिव रिपोर्ट …..

अरविन्द कुमार दानोदिया सबसे पहले 21 दिसंबर 1996 को ग्रेड थर्ड के पद पर मौलासर की राजकीय स्कूल में टीचर के पद पर पोस्टेड हुआ था। पिता भी शिक्षा विभाग में जोनल डायरेक्टर के पद पर रह चुके हैं। साल 1997 में दानोदिया का चयन सीधी भर्ती में ग्रेड थर्ड के पद पर हो गया था।
इसके बाद प्रमोशन के जरिए दानोदिया को मौलासर स्कूल में ही हिस्ट्री का लेक्चरर बना दिया गया। साल 2015-16 में पहली बार इस स्कूल से ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर होने के बावजूद दानोदिया ने पदस्थापन वाली जगह जॉइनिंग नहीं ली और न्यायालय से स्टे प्राप्त कर यहीं पर पोस्टेड रहे।

स्कूल में गांजा और अवांछित सामग्री, दानोदिया को दोषी माना
इस बीच मौलासर राजकीय स्कूल का रिजल्ट खराब होने को लेकर स्कूली बच्चों के पेरेंट्स ने कई बार शिकायत की। सुनवाई नहीं होने पर 24 जून 2016 को ग्रामीण विरोध जताने स्कूल में पहुंच गए। इस दौरान स्कूल के एक कमरे में तंबाकू, गांजा और यूज्ड कंडोम सहित अश्लील सामग्री मिलने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद ग्रामीणों ने हंगामा किया और स्कूल स्टाफ को हटाने की मांग कर दी।
विरोध बढ़ता देख तत्काल शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी गठित कर दी। जांच में लेक्चरर दानोदिया को प्राइमरी तौर पर दोषी भी पाया गया। जिसके चलते उन्हें 20 सितंबर 2016 को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही दानोदिया के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई। इस कार्रवाई के महज 7 दिन बाद ही दानोदिया ने 27 सितंबर 2016 को राजस्थान हाईकोर्ट से स्टे ले लिया और मौलासर स्कूल में ही पोस्टेड हो गए। शिक्षा विभाग ने इस बार भी स्टे की कार्रवाई के विरुद्ध कोई केस नहीं लड़ा।

शराब पीकर स्कूल पहुंचा, प्रिंसिपल से की मारपीट, जेल भी जाना पड़ा
लेक्चरर रहते दानोदिया 9 फरवरी 2017 के दिन मौलासर की राजकीय स्कूल में शराब के नशे में धुत्त होकर आ गए। इस दौरान उन्होंने स्कूल स्टाफ से भी बदतमीजी की। तत्कालीन प्रिंसिपल दिलीप पारीक ने समझाने का प्रयास किया तो दानोदिया ने शराब के नशे में उनसे मारपीट भी कर दी।
इसके बाद पारीक ने तत्काल मौलासर थाने में दानोदिया के खिलाफ परिवाद दिया। इसी शिकायत पर तत्कालीन एसडीएम के आदेश से मौलासर पुलिस ने मेडिकल करवा दानोदिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वहीं पारीक ने दानोदिया को स्कूल से रिलीव करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय भेजने के आदेश कर दिए।
हालांकि बाद में जेल से छूटने के बाद दानोदिया को एक बार फिर दोबारा मौलासर स्कूल भेज दिया गया, क्योंकि नियमानुसार प्रिंसिपल को किसी स्टाफ को रिलीव कर भेजने की पावर नहीं थी। इस मामले में भी दानोदिया के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई। दानोदिया इसके खिलाफ भी कोर्ट से स्टे ले आए। इस बार भी पिछली दो बार की तरह विभाग ने कोई विरोध नहीं किया और वो बहाल हो गया।

नाबालिग छात्रा ने करवाई छेड़छाड़ की शिकायत
इसके बाद दानोदिया का मौलासर राजकीय स्कूल से उसके पैतृक गांव भगवानपुरा की राजकीय स्कूल में ट्रांसफर हो गया। यहां एक नाबालिग छात्रा ने दानोदिया के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत स्कूल प्रशासन को दी। पॉक्सो एक्ट की इस कंप्लेंट पर शिक्षा विभाग ने खुद ही कमेटी बनाकर जांच बैठा दी। इस मामले में थाने तक नहीं गई।
प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में दोषी मान एक बार फिर सस्पेंड कर दिया गया। इस बार दानोदिया का मुख्यालय नागौर कर दिया गया। इस मामले में अभी जांच चल ही रही थी कि उसे बहाल कर परबतसर के राजकीय स्कूल में लेक्चरर के पद पर लगा दिया गया।
उस दौरान प्रिंसिपल रही सावित्री चौधरी ने बताया कि ये मामला स्कूल टाइम के बाद का था। बच्ची के माता-पिता शिकायत लेकर आए थे और बताया था कि दानोदिया ने स्कूल के बाहर उनकी बेटी के साथ रास्ते में छेड़छाड़ की। उनकी शिकायत को विभागीय अधिकारियों को भेजा गया। नागौर से जांच कमिटी का गठन हुआ और दो प्रिंसिपलों की जांच टीम जांच करने भी आई थी। इसके बाद मेरे वहां रहते मुझे मामले की जांच रिपोर्ट कभी नहीं मिली। इसके बाद मेरा वहां से ट्रांसफर हो गया था।

पेंडिंग विभागीय जांच के बावजूद दे दिया प्रमोशन, दानोदिया बन गए प्रिंसिपल
परबतसर में दानोदिया ने कई बार स्टाफ के साथ बदसलूकी करते हुए वीडियो सामने आए। इस बीच साल 2022 में दानोदिया को प्रिंसिपल के पद पर प्रमोट कर दिया गया। जबकि शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया था कि दानोदिया के खिलाफ पहले से कई जांच चल रही है, उनमें से कुछ में वो दोषी भी पाए गए हैं। वहीं विभागीय आदेशों के खिलाफ दानोदिया ने कोर्ट स्टे भी ले रखा है। इसके बावजूद कैसे प्रमोट किया जा सकता है?
इस पर 6 जुलाई 2023 को तत्कालीन सहायक निदेशक बीकानेर ने दानोदिया के लिए सिंगल ऑर्डर भेजते हुए उनके प्रमोशन को नियमानुसार वैद्य बता दिया। उन्होंने आदेश में लिखा कि ‘जिन प्रकरणों में विभागीय पदोन्नति की बैठक रिक्ति उत्पन्न होने के पश्चात हो रही हो और किसी राजसेवक के विरुद्ध अनुशासनात्मक और फौजदारी कार्यवाही जो उसके लिए प्राप्त हुई रिक्ति के पश्चात स्टार्ट हुई हो और बैठक के दौरान पेंडिंग हो तो यह प्रकरण राजसेवक के प्रमोशन में बाध्यता नहीं करेगा। चाहे ऐसे प्रकारों में राजसेवक को सेवा से हटाने की भी सजा के आदेश हों। इसमें शिक्षा निदेशालय का साफ कहना था कि विभागीय जांच पेंडिंग होने के दौरान पदोन्नति को नहीं रोका जा सकता।

काउंसलिंग में मिली पोस्टिंग, स्टे लेकर दोबारा पहुंचे परबतसर
प्रमोशन से प्रिंसिपल बने दानोदिया को काउंसलिंग में मौजूद नहीं रहने से उनकी अपेक्षित जगहों के बजाय सिस्टम आधारित बारां जिले की एक स्कूल में पोस्टिंग दे दी गई। वो वहां पहुंचे और प्रिंसिपल के पद पर ज्वॉइन कर लिया। थोड़े दिनों बाद ही एक बार फिर वो दोबारा कोर्ट से इस पोस्टिंग के खिलाफ स्टे ले आए और परबतसर स्कूल पहुंच गए। यहां तत्कालीन प्रिंसिपल की अनुपस्थिति में उन्होंने ऑफलाइन ही प्रिंसिपल के पद पर ज्वॉइन कर लिया। ऐसे में एक ही समय में इस स्कूल में दो प्रिंसिपल जैसी स्थिति बन गई। कुछ दिनों के बाद दानोदिया ने ऑनलाइन जॉइनिंग भी कर ली।
इस स्थिति में स्कूल में प्रिंसिपल पावर को लेकर जंग जैसी स्थिति बन गई। बाकायदा स्टाफ मीटिंग में दानोदिया ने स्कूल स्टाफ को धमकाया कि उन्हें प्रिंसिपल मानना पड़ेगा। एक-दो टीचर्स के साथ मारपीट वाली स्थिति भी हो गई। वहीं इस दौरान एक-दूसरे की शिकायतों से कई कार्य ठप हो गए। सीबीईओ ऑफिस ने दानोदिया की इस ज्वाइनिंग के चलते उन्हें सैलरी देना बंद कर दिया। फिलहाल पिछले 6 महीने से उनकी सैलरी रुकी हुई है।

गणतंत्र दिवस समारोह में शराब पीकर पहुंचे, अब फिर सस्पेंड
हाल ही में 75वें गणतंत्र दिवस पर परबतसर की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल अरविंद कुमार दानोदिया शराब पीकर स्कूल पहुंच गए थे। उपखंड स्तरीय समारोह में वे नशे में ही शामिल हो गए। इसके बाद वहां कार्यक्रम में मौजूद परबतसर विद्याक रामनिवास गावड़िया ने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने मेडिकल करवाया तो एल्कोहल की पुष्टि भी हो गई। इसके बाद शिक्षा निदेशक ने उन्हें एक बार फिर सस्पेंड कर भरतपुर मुख्यालय भेज दिया है।
आरोपों पर कहा- राजनीतिक रंजिश के चलते बना रहे मुझे निशाना
खुद पर लगे आरोपों को लेकर हमने अरविंद दानोदिया से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी कहानी में कई पेंच हैं। साल 2010 में उनकी मां शकुंतला दानोदिया ने प्रिंसिपल के पद से रिटायरमेंट के बाद मौलासर से ही सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत भी गई। इसके बाद गांव का विपक्षी गट मुझसे बैर रखने लग गया। इसी के चलते मेरे खिलाफ स्कूल में कंडोम मिलने की कहानी रची गई। इसमें स्कूल का ऑफिस स्टाफ भी शामिल रहा।
सरपंच बनने के बाद मेरी माता शकुंतला दानोदिया ने जिला परिषद के चुनाव में बीजेपी केंडिडेट को हरा दिया था। इससे विपक्षियों में मेरे लिए राइवलरी और बढ़ गई। इसके बाद हम परिवार सहित हमारे पैतृक गांव भगवानपुरा चले गए। मेरा भी वहीं ट्रांसफर हो गया। पापा सोहनलाल दानोदिया भी रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस में प्रदेश कोऑर्डिनेटर बन गए थे। यहीं कांग्रेस के कद्दावर महेंद्र चौधरी का गांव है। उन्हें लगा कि ये तो यहां पॉलिटिक्स करेंगे तो उन्होंने भी मन में गांठ बांध ली। मेरे खिलाफ नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ की शिकायत करवा दी। अब हाल ही में मुझे इस मामले में बीकानेर से चार्जशीट मिली है।
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शराबी प्रिंसिपल ने कई बार शिक्षा विभाग को किया शर्मसार:नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ मामले में हो चुका सस्पेंड, पेंडिंग इंक्वायरी के बावजूद प्रमोशन, अब मिली चार्जशीट

शराब के नशे में गणतंत्र दिवस समारोह का संचालन करने वाला प्रिंसिपल अरविंद कुमार दानोदिया कई बार अपने कारनामों के चलते शिक्षा विभाग को शर्मसार कर चुका है। शराब के नशे में स्कूल पहुंचने, स्टाफ से मारपीट करने के मामले में जेल भी जा चुका है।
लेक्चरर रहने के दौरान नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ करने पर उसे सस्पेंड कर दिया गया था। हाल ही में उसके खिलाफ विभाग ने चार्जशीट भेजी है। इससे पहले स्कूल स्टाफ को धमकाते हुए कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैं।
इन्हीं आदतों के चलते उसे शिक्षा विभाग ने दो बार सस्पेंड भी किया। लेकिन विभागीय जांच पेंडिंग रहने के दौरान भी शिक्षा निदेशालय ने नियमों का हवाला देकर लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन दे दिया।
भास्कर ने अरविंद कुमार दानोदिया के खिलाफ चल रहे पुराने मामलों और विभागीय जांच की पड़ताल की तो कई कारनामे खुलकर सामने आए।
पढ़िए- एक्सक्लूसिव रिपोर्ट …..

अरविन्द कुमार दानोदिया सबसे पहले 21 दिसंबर 1996 को ग्रेड थर्ड के पद पर मौलासर की राजकीय स्कूल में टीचर के पद पर पोस्टेड हुआ था। पिता भी शिक्षा विभाग में जोनल डायरेक्टर के पद पर रह चुके हैं। साल 1997 में दानोदिया का चयन सीधी भर्ती में ग्रेड थर्ड के पद पर हो गया था।
इसके बाद प्रमोशन के जरिए दानोदिया को मौलासर स्कूल में ही हिस्ट्री का लेक्चरर बना दिया गया। साल 2015-16 में पहली बार इस स्कूल से ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर होने के बावजूद दानोदिया ने पदस्थापन वाली जगह जॉइनिंग नहीं ली और न्यायालय से स्टे प्राप्त कर यहीं पर पोस्टेड रहे।

स्कूल में गांजा और अवांछित सामग्री, दानोदिया को दोषी माना
इस बीच मौलासर राजकीय स्कूल का रिजल्ट खराब होने को लेकर स्कूली बच्चों के पेरेंट्स ने कई बार शिकायत की। सुनवाई नहीं होने पर 24 जून 2016 को ग्रामीण विरोध जताने स्कूल में पहुंच गए। इस दौरान स्कूल के एक कमरे में तंबाकू, गांजा और यूज्ड कंडोम सहित अश्लील सामग्री मिलने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद ग्रामीणों ने हंगामा किया और स्कूल स्टाफ को हटाने की मांग कर दी।
विरोध बढ़ता देख तत्काल शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी गठित कर दी। जांच में लेक्चरर दानोदिया को प्राइमरी तौर पर दोषी भी पाया गया। जिसके चलते उन्हें 20 सितंबर 2016 को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही दानोदिया के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई। इस कार्रवाई के महज 7 दिन बाद ही दानोदिया ने 27 सितंबर 2016 को राजस्थान हाईकोर्ट से स्टे ले लिया और मौलासर स्कूल में ही पोस्टेड हो गए। शिक्षा विभाग ने इस बार भी स्टे की कार्रवाई के विरुद्ध कोई केस नहीं लड़ा।

शराब पीकर स्कूल पहुंचा, प्रिंसिपल से की मारपीट, जेल भी जाना पड़ा
लेक्चरर रहते दानोदिया 9 फरवरी 2017 के दिन मौलासर की राजकीय स्कूल में शराब के नशे में धुत्त होकर आ गए। इस दौरान उन्होंने स्कूल स्टाफ से भी बदतमीजी की। तत्कालीन प्रिंसिपल दिलीप पारीक ने समझाने का प्रयास किया तो दानोदिया ने शराब के नशे में उनसे मारपीट भी कर दी।
इसके बाद पारीक ने तत्काल मौलासर थाने में दानोदिया के खिलाफ परिवाद दिया। इसी शिकायत पर तत्कालीन एसडीएम के आदेश से मौलासर पुलिस ने मेडिकल करवा दानोदिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वहीं पारीक ने दानोदिया को स्कूल से रिलीव करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय भेजने के आदेश कर दिए।
हालांकि बाद में जेल से छूटने के बाद दानोदिया को एक बार फिर दोबारा मौलासर स्कूल भेज दिया गया, क्योंकि नियमानुसार प्रिंसिपल को किसी स्टाफ को रिलीव कर भेजने की पावर नहीं थी। इस मामले में भी दानोदिया के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई। दानोदिया इसके खिलाफ भी कोर्ट से स्टे ले आए। इस बार भी पिछली दो बार की तरह विभाग ने कोई विरोध नहीं किया और वो बहाल हो गया।

नाबालिग छात्रा ने करवाई छेड़छाड़ की शिकायत
इसके बाद दानोदिया का मौलासर राजकीय स्कूल से उसके पैतृक गांव भगवानपुरा की राजकीय स्कूल में ट्रांसफर हो गया। यहां एक नाबालिग छात्रा ने दानोदिया के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत स्कूल प्रशासन को दी। पॉक्सो एक्ट की इस कंप्लेंट पर शिक्षा विभाग ने खुद ही कमेटी बनाकर जांच बैठा दी। इस मामले में थाने तक नहीं गई।
प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में दोषी मान एक बार फिर सस्पेंड कर दिया गया। इस बार दानोदिया का मुख्यालय नागौर कर दिया गया। इस मामले में अभी जांच चल ही रही थी कि उसे बहाल कर परबतसर के राजकीय स्कूल में लेक्चरर के पद पर लगा दिया गया।
उस दौरान प्रिंसिपल रही सावित्री चौधरी ने बताया कि ये मामला स्कूल टाइम के बाद का था। बच्ची के माता-पिता शिकायत लेकर आए थे और बताया था कि दानोदिया ने स्कूल के बाहर उनकी बेटी के साथ रास्ते में छेड़छाड़ की। उनकी शिकायत को विभागीय अधिकारियों को भेजा गया। नागौर से जांच कमिटी का गठन हुआ और दो प्रिंसिपलों की जांच टीम जांच करने भी आई थी। इसके बाद मेरे वहां रहते मुझे मामले की जांच रिपोर्ट कभी नहीं मिली। इसके बाद मेरा वहां से ट्रांसफर हो गया था।

पेंडिंग विभागीय जांच के बावजूद दे दिया प्रमोशन, दानोदिया बन गए प्रिंसिपल
परबतसर में दानोदिया ने कई बार स्टाफ के साथ बदसलूकी करते हुए वीडियो सामने आए। इस बीच साल 2022 में दानोदिया को प्रिंसिपल के पद पर प्रमोट कर दिया गया। जबकि शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया था कि दानोदिया के खिलाफ पहले से कई जांच चल रही है, उनमें से कुछ में वो दोषी भी पाए गए हैं। वहीं विभागीय आदेशों के खिलाफ दानोदिया ने कोर्ट स्टे भी ले रखा है। इसके बावजूद कैसे प्रमोट किया जा सकता है?
इस पर 6 जुलाई 2023 को तत्कालीन सहायक निदेशक बीकानेर ने दानोदिया के लिए सिंगल ऑर्डर भेजते हुए उनके प्रमोशन को नियमानुसार वैद्य बता दिया। उन्होंने आदेश में लिखा कि ‘जिन प्रकरणों में विभागीय पदोन्नति की बैठक रिक्ति उत्पन्न होने के पश्चात हो रही हो और किसी राजसेवक के विरुद्ध अनुशासनात्मक और फौजदारी कार्यवाही जो उसके लिए प्राप्त हुई रिक्ति के पश्चात स्टार्ट हुई हो और बैठक के दौरान पेंडिंग हो तो यह प्रकरण राजसेवक के प्रमोशन में बाध्यता नहीं करेगा। चाहे ऐसे प्रकारों में राजसेवक को सेवा से हटाने की भी सजा के आदेश हों। इसमें शिक्षा निदेशालय का साफ कहना था कि विभागीय जांच पेंडिंग होने के दौरान पदोन्नति को नहीं रोका जा सकता।

काउंसलिंग में मिली पोस्टिंग, स्टे लेकर दोबारा पहुंचे परबतसर
प्रमोशन से प्रिंसिपल बने दानोदिया को काउंसलिंग में मौजूद नहीं रहने से उनकी अपेक्षित जगहों के बजाय सिस्टम आधारित बारां जिले की एक स्कूल में पोस्टिंग दे दी गई। वो वहां पहुंचे और प्रिंसिपल के पद पर ज्वॉइन कर लिया। थोड़े दिनों बाद ही एक बार फिर वो दोबारा कोर्ट से इस पोस्टिंग के खिलाफ स्टे ले आए और परबतसर स्कूल पहुंच गए। यहां तत्कालीन प्रिंसिपल की अनुपस्थिति में उन्होंने ऑफलाइन ही प्रिंसिपल के पद पर ज्वॉइन कर लिया। ऐसे में एक ही समय में इस स्कूल में दो प्रिंसिपल जैसी स्थिति बन गई। कुछ दिनों के बाद दानोदिया ने ऑनलाइन जॉइनिंग भी कर ली।
इस स्थिति में स्कूल में प्रिंसिपल पावर को लेकर जंग जैसी स्थिति बन गई। बाकायदा स्टाफ मीटिंग में दानोदिया ने स्कूल स्टाफ को धमकाया कि उन्हें प्रिंसिपल मानना पड़ेगा। एक-दो टीचर्स के साथ मारपीट वाली स्थिति भी हो गई। वहीं इस दौरान एक-दूसरे की शिकायतों से कई कार्य ठप हो गए। सीबीईओ ऑफिस ने दानोदिया की इस ज्वाइनिंग के चलते उन्हें सैलरी देना बंद कर दिया। फिलहाल पिछले 6 महीने से उनकी सैलरी रुकी हुई है।

गणतंत्र दिवस समारोह में शराब पीकर पहुंचे, अब फिर सस्पेंड
हाल ही में 75वें गणतंत्र दिवस पर परबतसर की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल अरविंद कुमार दानोदिया शराब पीकर स्कूल पहुंच गए थे। उपखंड स्तरीय समारोह में वे नशे में ही शामिल हो गए। इसके बाद वहां कार्यक्रम में मौजूद परबतसर विद्याक रामनिवास गावड़िया ने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने मेडिकल करवाया तो एल्कोहल की पुष्टि भी हो गई। इसके बाद शिक्षा निदेशक ने उन्हें एक बार फिर सस्पेंड कर भरतपुर मुख्यालय भेज दिया है।
आरोपों पर कहा- राजनीतिक रंजिश के चलते बना रहे मुझे निशाना
खुद पर लगे आरोपों को लेकर हमने अरविंद दानोदिया से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी कहानी में कई पेंच हैं। साल 2010 में उनकी मां शकुंतला दानोदिया ने प्रिंसिपल के पद से रिटायरमेंट के बाद मौलासर से ही सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत भी गई। इसके बाद गांव का विपक्षी गट मुझसे बैर रखने लग गया। इसी के चलते मेरे खिलाफ स्कूल में कंडोम मिलने की कहानी रची गई। इसमें स्कूल का ऑफिस स्टाफ भी शामिल रहा।
सरपंच बनने के बाद मेरी माता शकुंतला दानोदिया ने जिला परिषद के चुनाव में बीजेपी केंडिडेट को हरा दिया था। इससे विपक्षियों में मेरे लिए राइवलरी और बढ़ गई। इसके बाद हम परिवार सहित हमारे पैतृक गांव भगवानपुरा चले गए। मेरा भी वहीं ट्रांसफर हो गया। पापा सोहनलाल दानोदिया भी रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस में प्रदेश कोऑर्डिनेटर बन गए थे। यहीं कांग्रेस के कद्दावर महेंद्र चौधरी का गांव है। उन्हें लगा कि ये तो यहां पॉलिटिक्स करेंगे तो उन्होंने भी मन में गांठ बांध ली। मेरे खिलाफ नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ की शिकायत करवा दी। अब हाल ही में मुझे इस मामले में बीकानेर से चार्जशीट मिली है।

विधायक ने मेरी निजी जिंदगी में तांक-झांक की कोशिश की
अरविंद दानोदिया ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह वाले दिन भी विधायक रामनिवास गावड़िया और उनके लोगों ने मेरी निजी जिंदगी में तांक-झांक करने की कोशिश की थी। जबकि मैंने उस दिन कार्यक्रम का सफल संचालन करवा दिया था। इसके बावजूद अपने चहेते चूनाराम को स्कूल में पावर दिलाने के लिए पुलिस बुलाकर मेरी बेइज्जती की गई और मेडिकल करवा मेरे खिलाफ कार्रवाई करवाई गई।
डीडवाना- कुचामन जिला शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि अरविंद दानोदिया के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है और पूर्व में भी उनके खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई हुई है। कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बाद तब वो बहाल हुए थे। कोर्ट में विभाग ने पैरवी क्यों नहीं की, ये तो मैं नहीं बता सकता हूं। हाल में कार्रवाई करते हुए उन्हें नोटिस दे दिया है और इस मामले में कार्रवाई की जा रही है। उनका प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन कैसे हुआ, इसकी भी जानकारी निदेशालय से ही मिल सकती है।