भरतपुर : भरतपुर जिले के उच्चैन तहसील के गांव जयचौली में जाट समाज का 8वें दिन बुधवार को भी महापड़ाव जारी है। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा कि सरकार ने आरक्षण समिति को वार्ता के नाम पर धोखा दिया है। इसका जवाब समाज जरूर देगा। उन्होंने कहा- हम नहीं चाहते कि उग्र आंदोलन किया जाए, लेकिन सरकार चाहती है कि आंदोलन उग्र हो जाए, आग लग जाए। उसके बाद वार्ता हो।
उन्होंने कहा- 22 जनवरी को पहली वार्ता हुई थी। इसके बाद 23 जनवरी को एक और वार्ता हुई थी। इसके बाद CM भजलाल शर्मा की व्यस्तता के चलते वार्ता नहीं हो पाई। बुधवार को मंच से फौजदार ने जाट समाज के लोगों को तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा- रणनीति के हिसाब से कभी भी संदेश पहुंचाया जा सकता है।
जाट आरक्षण के लिए यह आखिरी आंदोलन
फौजदार ने बताया- हमें मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने को कहा गया था। इसके बाद हमसे कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं और CM उन्हीं की अगुवाई के कार्यक्रम में व्यस्त हैं। इसके बाद हमें उनसे मिलने का समय ही नहीं दिया गया। संघर्ष समिति नहीं चाहती कि किसी तरह का कोई आंदोलन हो। सरकार खुद आंदोलन उग्र करवाना चाहती है। जाट आरक्षण के लिए यह आंदोलन आखिरी आंदोलन है और यह आर-पार का होगा। सरकार की मंशा इस तरह की रहती है कि आंदोलन उग्र हो जाए आग लग जाए उसके बाद वार्ता की जाए। दो वार्ताएं थी वो सकारात्मक रही। लेकिन, सीएम से वार्ता नहीं हो पाई है।
महापड़ाव नहीं हटेगा
उन्होंने कहा- हमें आरक्षण की जरूरत है और हमें आरक्षण चाहिए। सभी जाट बिरादरी से हमारी अपील है। सभी गांव में जहां-जहां से जो रास्ते गुजरते हैं, वहां लोगों को कभी भी हम संदेश पहुंचा सकते हैं। संघर्ष समिति जो भी निर्णय लेती है कि आगे करना क्या है। आंदोलन का रुख क्या होगा, यह संघर्ष समिति आज तय करेगी। आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक आरक्षण का नोटिफिकेशन नहीं होगा।
हमसे वार्ता में कहा गया था कि अगर आपको मुख्यमंत्री से मिलवा देते हैं तो क्या महापड़ाव पड़ाव खत्म कर देंगे? लेकिन हमनें कहा- महापड़ाव तब हटेगा जब आरक्षण मिल जाएगा। चाहे यह आंदोलन कितना भी लंबा चले आंदोलन की रणनीति समय-समय पर बदली जाएगी। चाहे जगह-जगह महापड़ाव करना पड़े। हमारी अंदरखाने की पूरी तैयारी है। 22 को आंदोलन उग्र होना था। उन्होंने कहा- सरकार ने आरक्षण संघर्ष समिति को झांसा देकर धोखा किया है, जिसका जवाब समाज देगा।
अब तक हुई 2 वार्ता
महापड़ाव पर पहुंचे आरक्षण समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने बताया- सरकार के लिए वार्ता के द्वार हमेशा खुले थे। पहली वार्ता 22 जनवरी को हुई थी। इसमें PHED मंत्री कन्हैयालाल और डीग-कुम्हेर के विधायक शैलेश सिंह मौजूद थे। हमने तब भी PHED मंत्री कन्हैयालाल के सामने अपनी बात रखते हुए कहा था कि आपके सदस्य ही पूरे नहीं है। इसके बाद अगले दिन हमारी 11 सदस्यों की कमेटी को विधानसभा में मिलने बुलाया गया था। इस मीटिंग में कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत, PHED मंत्री कन्हैयालाल और डीग-कुम्हेर विधायक डॉ. शैलेश सिंह मौजूद रहे।
उन्होंने कहा- हमने तीन बिंदुवार मांग कमेटी के सामने रखी थी। पहला बिंदु था भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण दिया जाए। इसके लिए 1998 से जाट समाज संघर्ष कर रहा है। दूसरी मांग है, चयनित अभ्यर्थी, जिसमें हमारे विभिन्न विभागों के 56 बच्चें हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई है। तीसरी मांग है, 2016-17 में जो हमारे लोगों पर मुकदमे लगे। वह मुकदमे वापस लिए जाएं।
‘सीएम भरतपुर से, फिर भी सुनवाई नहीं’
फौजदार ने मंच से कहा- हमारे भाई नदबई से जगत सिंह विधायक हैं। यह बात हमें बहुत अखरी कि वह जाट समाज के हैं। जहां महापड़ाव चल रहा है, वह उनका विधानसभा क्षेत्र है। समाज ने उन्हें वोट देकर जिताया है। उनकी अनुपस्थिति हमें अखरी, दो सत्ताधारी विधायक जाट समाज के हैं और समाज को सर्दी में महापड़ाव पर बैठना पड़े। यह दुर्भाग्य की बात है।
आंदोलन की जरूरत नहीं होनी चाहिए थी। दो विधायक और भरतपुर के सीएम होने के बाद भी आंदोलन की जरूरत पड़ें तो इसे नेताओं की कमजोरी मानता हूं। समाज एकजुट था, है और हमेशा रहेगा। यह बच्चों के हक की लड़ाई है। इसमें हमारी किसी पार्टी या नेता से लड़ाई नहीं है।