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12वीं में 94 प्रतिशत नंबर, लेकिन चुना भक्ति मार्ग:मुमुक्षु बेटियों की विदाई के लिए भव्य कार्यक्रम, शादी की तरह की जा रही तैयारियां


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जोधपुरटॉप न्यूज़धर्म/ज्योतिषराजस्थानराज्य

12वीं में 94 प्रतिशत नंबर, लेकिन चुना भक्ति मार्ग:मुमुक्षु बेटियों की विदाई के लिए भव्य कार्यक्रम, शादी की तरह की जा रही तैयारियां

12वीं में 94 प्रतिशत नंबर, लेकिन चुना भक्ति मार्ग:मुमुक्षु बेटियों की विदाई के लिए भव्य कार्यक्रम, शादी की तरह की जा रही तैयारियां

जोधपुर : कम उम्र में ही संसार त्यागकर अध्यात्म का मार्ग अपनाने की तीन बेटियां ने ठान ली है। इनके दीक्षा कार्यक्रम को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। जोधपुर में 16 जनवरी को होने जा रहे मुख्य कार्यक्रम को लेकर लोगों में खासी उत्सुकता है। क्योंकि संयम पथ पर अग्रसर होने वाली 2 बेटियां जोधपुर की ही हैं। जबकि एक बेटी गंगापुर की रहने वाली है।

तीनों ही बेटियों के पिता बिजनेसमैन हैं। किसी भी शादी फंक्शन की तरह आयोजन को भव्य बनाने की तैयारी है। दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी और यह चार दिन चलेगा।

जैन हितेशी श्रावक संघ की ओर से पावटा सी रोड स्थित हनुवंत गार्डन में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में जोधपुर की खुशी और रिद्धि बाफना के अलावा गंगापुर सिटी की नेहा जैन भी दीक्षा लेंगी।

खुशी चोपड़ा सांसारिक जीवन को त्याग कर अब संयम पद पर दीक्षा अंगीकार करेंगी।
खुशी चोपड़ा सांसारिक जीवन को त्याग कर अब संयम पद पर दीक्षा अंगीकार करेंगी।

खुशी ने कहा – दुनिया में कुछ परमानेंट नहीं

जोधपुर की रहने वाली 19 साल की खुशी चोपड़ा अब सांसारिक जीवन का मोह त्यागकर दीक्षा लेने वाली हैं। खुशी का कहना है- इस दुनिया में कुछ भी परमानेंट नहीं है। आज जो मेरे मां-पापा है। वह पिछले जन्म में कुछ और रहे होंगे। मुझे परमानेंट मार्ग चाहिए था और वो मार्ग मोक्ष का है। इसके लिए संयम पथ पर आना स्वीकार किया।

खुशी के पिता के तरुण कुमार चोपड़ा का जोधपुर में राजपूती पोशाकों का बिजनेस है। माता संतोष गृहिणी हैं। खुशी दो बहनों और एक भाई में सबसे छोटी है। खुशी ने जोधपुर के महावीर पब्लिक स्कूल से कॉमर्स स्ट्रीम से कक्षा 12वीं की पढ़ाई पूरी की है, जिसमें उनके 94 प्रतिशत अंक हैं।

संयम पथ पर की गई पढ़ाई युगों-युगों तक चलेगी
पढ़ाई छोड़कर नई राह चुनने के सवाल पर खुशी ने बताया कि हमारे भगवान महावीर स्वामी ने फरमाया है कि संयम की उम्र 9 से शुरू हो जाती है। जबकि मेरी उम्र 19 साल है।

इस हिसाब से मैं अभी दस साल लेट हूं। आज की यह पढ़ाई अगले जन्म में फिर से पढ़नी पढ़ेगी, लेकिन संयम पथ पर की गई पढ़ाई युगों-युगों तक साथ चलेगी। यहां का जो ज्ञान याद किया है वो मेरे साथ युगों-युगों तक चलेगा। यही मार्ग मेरे को मेरे लक्ष्य तक ले जाएगा।

परिवार के लोगों खुशी के इस फैसले से काफी खुश हैं और कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हैं।
परिवार के लोगों खुशी के इस फैसले से काफी खुश हैं और कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हैं।

घरवालों को लगा मजाक

खुशी ने बताया कि संतों की शरण में रहने के बाद उन्होंने दीक्षा पथ पर जाने का निर्णय कर लिया था। सबसे पहले महाराज सा को बताया कि मैं संयम लेना चाहती हूं। उनकी आज्ञा के बाद मैंने घर आकर माता-पिता को बताया तो एक बार सभी ने मजाक में लिया।

धीरे-धीरे मैंने उन्हें समझाया तो उन्हें लगा कि सच्ची में खुशी के भाव संयम पथ पर जाने के हैं। इसके बाद उन्होंने भी सहर्ष अनुमति दे दी। अब घर पर बेटी की विदाई की तरह उत्सव की तैयारियां चल रही हैं।

गंगापुर सिटी की रहने वाली नेहा जैन भी दीक्षा लेंगी।
गंगापुर सिटी की रहने वाली नेहा जैन भी दीक्षा लेंगी।

‘आत्मा के उत्थान के लिए जरूरी’
कार्यक्रम में राजस्थान के कई हिस्सों से श्रावक- श्राविकाएं पहुंच रहे हैं। गंगापुर सिटी की नेहा जैन (27) भी दीक्षा लेने जा रही हैं। नेहा ने बताया कि आज के समय में सांसारिक मोह माया को त्यागर संयम का पथ स्वीकार कर ही आत्मा का उत्थान किया जा सकता है। इसी से मोक्ष की प्राप्ती होती है। संयम से मोक्ष की प्राप्ती होती है। इससे संसार का जन्म-मरण सब मिट जाता है।

नेहा ने बताया कि उनके गंगापुर सिटी में हुए कार्यक्रम को देखकर उनकी भी इच्छा धर्म को जानने की हुई। दिनों दिन रुचि बढ़ती गई और विचार आया कि इस पथ पर जाना चाहिए। इसके बाद परिवार के लोगों को बताया। उन्होंने मेरी इच्छा जानकर परिवार ने भी खुशी-खुशी सहमति दे दी।

नेहा का मानना है की संसार का सुख स्थाई नहीं है।
नेहा का मानना है की संसार का सुख स्थाई नहीं है।

नेहा ने आज के युवाओं को लेकर कहा कि धर्म को जानना चाहिए। कई लोगों को लगता है कि धर्म में बंदिश है, लेकिन ऐसा नहीं है। आज केवल अच्छा खाना पीना, घूमना या बिजनेस ही सबकुछ नहीं है। धर्म ग्रंथ कहते हैं कि मनुष्य जन्म अनमोल है। यह बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसलिए इसे अन्य कामों में लगाकर भटकाने से बेहतर है संयम के पथ पर जाकर कल्याण करना।

क्योंकि मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो धर्म कर सकता है। यदि उसे ही सांसारिक भोगों में नष्ट कर देंगे तो पुण्य कैसे होगा। नेहा के पिता राजेंद्र जाॅब करते हैं। वहीं] मां तारा जैन हाउस वाइफ हैं। एक भाई और दो बहनों में नेहा सबसे बड़ी हैं। नेहा ने एमएम हिंदी की पढ़ाई गंगापुरसिटी से पूरी की है।

रिद्धि बाफना अपने परिवार में सबसे छोटी हैं। कम उम्र में ही संसार के मोह को त्यागकर अब दीक्षा लेना चाहती हैं।
रिद्धि बाफना अपने परिवार में सबसे छोटी हैं। कम उम्र में ही संसार के मोह को त्यागकर अब दीक्षा लेना चाहती हैं।

18 साल की रिद्धि भी लेंगी दीक्षा
कार्यक्रम में महज 18 साल की उम्र की मुमुक्षु रिद्धि बाफना निवासी पुरी भोपालगढ़, जोधपुर भी दीक्षा लेने जा रही हैं। रिद्धि ने बताया कि संतों के विचारों को सुनकर उनके मन में संयम पथ पर जाने का भाव आया। इसके बाद घर में अपनी मां को इसके बारे में बताया तो उन्होंने पहली बार तो मना कर दिया। कहा- तुम्हारी उम्र अभी बहुत कम है, दीक्षा लेना बहुत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया कि मुझे दीक्षा ही लेनी है। अपना संसार नहीं बसाना है।

रिद्धि के पिता दुकान चलाते हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।
रिद्धि के पिता दुकान चलाते हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।

संसार में रहकर मोक्ष को प्राप्त करना असंभव है, क्योंकि इसमें एक परमानेंट लक्ष्य नहीं है कि मोक्ष गति को प्राप्त करना है। जबकि संयम के पथ पर ऐसा संभव है। संसार के अंदर अस्थाई सुख है, जबकि मुझे परमानेंट सुख चाहिए था। इसलिए यह मार्ग चुना। दो बहनों व एक भाइयों में रिद्धि सबसे छोटी हैं। संयम पथ पर जाने के इस निर्णय के बाद अब परिवार की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। जोधपुर के भोपालगढ़ के पास कुड़ी के रहने वाले रिद्धि के पिता शांतिलाल दुकान चलाते हैं। वहीं मां मुन्नीदेवी हाउस वाइफ हैं।

दीक्षा कार्यक्रम को लेकर गार्डन में तैयारियां की जा रही हैं।
दीक्षा कार्यक्रम को लेकर गार्डन में तैयारियां की जा रही हैं।

चार दिन तक चलेगा कार्यक्रम
दीक्षा महोत्सव में चार दिवसीय कार्यक्रम होंगे। जिसमें शनिवार 13 जनवरी को पाट बिठाई व घृतपान की रस्म हुई। वहीं रविवार को हल्दी, मेंहदी का कार्यक्रम होगा।

सोमवार 15 जनवरी को वरघोड़ा प्रारंभ होगा। वहीं, 16 जनवरी सोमवार को आचार्य प्रवर हीरानंद जी महाराज सा, भावी आचार्य प्रवर महेंद्र मुनि महाराज के मुखारविंद से कई संतों की उपस्थिति में जैन भगवती दीक्षा अंगीकार करेंगी। कार्यक्रम में भीलवाड़ा के 68 वर्षीय कन्हैयालाल जैन भी दीक्षा लेंगे।

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