भविष्य की उम्मीद:ईआरसीपी की नई डीपीआर के तहत रामगढ़ बांध में फेज-1 में पानी पहुंचाने की कवायद शुरू
भविष्य की उम्मीद:ईआरसीपी की नई डीपीआर के तहत रामगढ़ बांध में फेज-1 में पानी पहुंचाने की कवायद शुरू

शाहपुरा : ईआरसीपी परियोजना की नई डीपीआर में 53 बांधों को और जोड़ा गया है। पिछली सरकार में 26 बांध शामिल थे। योजना के तहत कुल 79 छोटे बांधों को जोड़ने की तैयारी है ताकि एक बांध से दूसरे तक पानी पहुंचाया जा सके। नई डीपीआर के तहत जयपुर जिले के चार बांधों को जोड़ा गया है, जिसमें रामगढ़ बांध, कालख, कानोता, छापरवाड़ा बांध शामिल हैं।
योजना के अंतर्गत प्रथम फेज में रामगढ़ में पानी पहुंचाने को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी कवायद तेज कर दी है। इसे लेकर जमवारामगढ़ विधायक महेंद्र पाल मीणा ने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात कर ईआरसीपी के प्रथम फेज में रामगढ़ बांध को जोड़ने की मांग की है। जमवारामगढ़ में वर्तमान में जलस्तर 500 से 600 फीट के करीब है। अगर प्रथम तेज में रामगढ़ बांध में पानी पहुंचाने का कार्य किया जाता है तो पूरे जयपुर ग्रामीण को इसका फायदा मिलेगा।
विधायक महेंद्र पाल ने बताया कि राज्य में भाजपा की डबल इंजन की सरकार बनते ही पूर्वी राजस्थान को आगे बढ़ाने वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना पर काम शुरू हो गया है। राजस्थान व मध्यप्रदेश सरकार के बीच अधिकारियों की बैठक सफल रहने व आपसी सहमति बनने से पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही पूर्वी राजस्थान की जीवनदायनी योजना ईआरसीपी राष्ट्रीय परियोजना घोषित होगी।
विधायक के साथ जिला उपाध्यक्ष जगदीश नोनपुरा, जिला मंत्री बाबूलाल खटाना, मंडल अध्यक्ष घनश्याम सैनी, मण्डल अध्यक्ष महेन्द्र महावर, एससी मोर्चा जिला महामंत्री मोहन लाल वर्मा, मंत्री बाबूलाल खटाना, कैलाश गुवारड़ी, सीताराम छापोला मौजूद थे।
इनको मिलेगा फायदा… वर्तमान में जमवारामगढ़ का ज्यादातर क्षेत्रफल ड्राई जोन में ही है। अगर रामगढ़ बांध को ईआरसीपी के प्रथम चरण में शामिल किया जाता है तो बांध के जलभराव क्षेत्र में रोड़ा नदी, ताला नदी व बहुत से बरसाती नालों के आसपास बसे सैकड़ों गांवों सहित लगभग 100 किलोमीटर के क्षेत्र का जलस्तर बढ़ने की संभावना है। पशु-पक्षियों, पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी जिससे क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा। बांध का कुल क्षेत्रफल लगभग 16 किलोमीटर है। भराव क्षमता 2.65 टीएमसी है और गहराई 58 फीट है।
74 साल तक जयपुर की प्यास बुझाने वाला रामगढ़ बांध खुद पानी को तरसा
रामगढ़ बांध जयपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर जमवारामगढ़ विधानसभा में स्थित है। बांध ऐतिहासिक बाणगंगा नदी पर बना हुआ है। यहां से 1931 से 2005 तक पाइपलाइन से, बाद में 2017 तक नलकूपों से राजधानी को पेयजल आपूर्ति होती थी। बांध वन्यजीव अभयारण्य जमवारामगढ़ का प्रमुख पेयजल स्रोत है। यहां 1982 में एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता हुई थी, तब भारतीय खेल प्राधिकरण ने यहां खेल गांव का निर्माण करवाया था।
आरटीडीसी ने झील ट्यूरिस्ट विलेज रेस्टोरेंट बनाया था। पानी के अभाव में खेल गांव व रेस्टोरेंट बंद हो गए। बांध में दौसा के कालाखो बांध तक रामगढ़ बांध की 21.5 मील लम्बी मुख्य नहर बनी है, जिससे सिंचाई होती थी। रामगढ़ बांध में पानी लाने को लेकर 2019 में तत्कालीन राज्यसभा सांसद डाॅ. किरोड़ीलाल मीना ‘शंखनाद’ आंदोलन कर चुके हैं। प्रदेश के एक दर्जन सांसद भी लोकसभा व राज्यसभा में मांग उठा चुके हैं। 2011 में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी स्वः प्रेरित प्रसंज्ञान लेकर रामगढ़ बांध में पानी लाने की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। हाईपावर माॅनिटरिंग कमेटी गठित की है।
रामगढ़ बांध को ईआरसीपी के प्रथम चरण में शामिल किया जाना चाहिए। खरड़, दांतली, बारायावाला व नीमला बांध को डीपीआर में जोड़ जोड़ पानी लाना चाहिए।
– किशन लाल मीणा, जिला अध्यक्ष, जयपुर ग्रामीण, ईआरसीपी संयुक्त मोर्चा राजस्थान