बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई का है मामला
सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा. साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था. इसमें 11 लोगों दोषी साबित हुए थे. गुजरात सरकार ने इन दोषियों को सजा से छूट दे दी थी. इसका काफी विरोध हुआ, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रद्द कर दिया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। वह दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो इसका पूरा अधिकार वहां की राज्य सरकार को है। क्योंकि जिस राज्य में किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, उसी को दोषियों की माफी याचिका पर फैसला लेने का अधिकार है।
दरअसल, बिलकिस बानो ने गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी।
वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?
बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट से दोनों याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। इस केस के सभी 11 दोषी 15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रिहा कर दिए गए थे।
बिलकिस की ओर से याचिका दाखिल किए जाने से पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस केस में पहले ही याचिका दाखिल की थी। बिलकिस की याचिका के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था- इस केस में दर्ज सभी पिटीशंस पर जल्द सुनवाई की जाएगी।
Bilkis Bano case | Supreme Court holds that the State, where an offender is tried and sentenced, is competent to decide the remission plea of convicts. Supreme Court holds that the State of Gujarat was not competent to pass the remission orders of the convicts but the Maharashtra… pic.twitter.com/YcMv3VshL2
— ANI (@ANI) January 8, 2024
सुनवाई के दौरान कोर्ट के अहम कमेंट्स…
- 17 अगस्त 2023 को जस्टिस नागरत्ना ने पूछा कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस के दोषियों को ही क्यों दिया गया, बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं मिली। अदालत ने यह भी पूछा कि जब गोधरा के कोर्ट ने ट्रायल नहीं किया तो उससे राय क्यों मांगी?
- 24 अगस्त 2023 को एक दोषी के वकील ने बताया कि उनका क्लाइंट सजा काट चुका है और रिहाई के बाद से वकालत कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा- ये कैसे हुआ? क्या कोई सजायाफ्ता प्रैक्टिस कर सकता है? तब वकील ने कहा कि दोषी अपनी सजा काट चुका है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि दोषी तो वह अब भी है। उसकी रिहाई सजा पूरी होने से पहले हुई है।
- 20 सितंबर 2023 को कोर्ट ने 11 दोषियों की तरफ से मौजूद वकील से पूछा- क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? इस पर वकील ने स्वीकार किया था कि माफी मांगना दोषियों का मौलिक अधिकार नहीं है।
गुजरात दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ था
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।
दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस हमले में उनके परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।
जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने दी थी सजा
हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था।