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गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल बने महबूब अली पेंटर


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गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल बने महबूब अली पेंटर

गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल बने महबूब अली पेंटर

भादरा: बीकानेर संभाग की प्राचीनतम रामलीलाओ में अपना स्थान रखने वाली श्री रामलीला समिति अपनी अनूठी पहचान बनाए हुवे है। श्री रामलीला समिति सांप्रदायिक सौहार्द की परिचायक है । रामलीला कमेटी के सबसे पुराने सदस्य महबूब अली पेंटर जो गत 57 वर्षों से रामलीला में जुड़े हुए हैं। गत 57 सालो से आज तक पूरी उर्जा से पूरे उत्साह से रामलीला के लिये समर्पित है। वो खुद अपने हाथो से राम, सीता, रावण, मेघनाथ सहित अनेकों कलाकारो का मेकअप अपने हाथो से करते है। इसके साथ-साथ वो मंच पर भी अपनी हास्य शैली से दर्शकों को हंसा कर लोटपोट कर देते हैं। इस कार्य में उनका पुत्र भी उनका सहयोगी रहता है। उनकी तमन्ना है कि अंतिम सांस तक रामलीला के लिए कलाकारो को तैयार करते हुए प्रभु राम की सेवा में लगे रहें। भाईचारे में यकीन रखने वाले महबूब अली जैसे लोगों से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए। खास तौर पर आज के समय में, जब हिंदू और मुस्लिमों के बीच की खाई गहराती जा रही है।उन्होंने बताया कि मेने व उस समय रावण का अभिनय करने वाले धर्म चंद वर्मा ने रामलीला के साथ ही अपनी पूरी जिंदगी को बीताने का फैसला किया।’ वो तो ईश्वर को प्यारे हो गए मगर में आज भी निरंतर सेवाए देता आ रहा हु। इतना ही नहीं महबूब अली पेंटर शिव मंदिर,हनुमान मंदिर सहित अनेकों मंदिरो को अपनी कला से सजा चुके है।
भादरा की कल्याण भूमि का मुख्य द्वार पर भी इन्ही के कलाकारी की है जो अपने आप में एक अजूबा है। महबूब अली विभिन्न पशु पक्षियों की आवाज भी बखूबी निकालते है। उन से मिलकर ऐसा लगता है जैसे किसी बच्चे से मुलाकात की हो।

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