राजस्थान की बंजर जमीन उगलेगी ‘सोना’:2000 वर्ग KM एरिया में तेल भंडार, 4 जिलों में ONGC की टीम कर रही सर्वे
राजस्थान की बंजर जमीन उगलेगी 'सोना':2000 वर्ग KM एरिया में तेल भंडार, 4 जिलों में ONGC की टीम कर रही सर्वे

बीकानेर : राजस्थान को 2024 में बाड़मेर के बाद दूसरा तेल-गैस भंडार मिल सकता है। सर्वे शुरू हो चुका है। प्रदेश के 2 हजार किलोमीटर एरिया में खोज चल रही है। अगले एक महीने में इससे जुड़े सर्वे की रिपोर्ट भी आ जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर करीब 49 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
प्रोजेक्ट की शुरुआत बीकानेर से 10 किलोमीटर दूर नाल से की गई है। नाल में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ONGC) ने काम शुरू कर दिया है। यहां बड़ी मशीनों से बीकानेर-नागौर बेसिन के 2 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा एरिया में पेट्रोल और गैस की संभावना तलाशी जा रही है। दावा है कि शुरुआती परिणाम अच्छे मिले थे, इसलिए ओएनजीसी ने यहां ड्रिलिंग शुरू की।
इससे पहले पुरानी रिसर्च और शोध पत्रों के आधार पर दावा था कि प्रदेश के 2 हजार 118 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल-गैस के भंडार हैं। सर्वे के आधार पर अब नाल में दो स्थानों पर और कोलायत के सालासर गांव में ड्रिलिंग की जा रही है।
हमारी मीडिया टीम की टीम जब यहां पहुंची तो इंजीनियर्स की टीम सर्वे में जुटी थी। यहां मौजूद जियोलॉजिस्ट व सीनियर इंजीनियर वीर सिंह मीणा से बातचीत की तो इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई जानकारी बताई।

बीकानेर से लेकर सांचौर बेसिन तक पेट्रोल-गैस का सर्वे
इंजीनियर वीर सिंह मीणा ने बताया- बीकानेर-नागौर, जैसलमेर और सांचौर बेसिन में पेट्रोल-गैस का सर्वे किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि ड्रिल के बाद पॉजिटिव रिजल्ट सामने आएंगे। इससे पहले जियोलॉजिकल सर्वे किया गया था। इसमें टू डी और थ्री डी सर्वे शामिल था। तीन लोकेशन इस सर्वे के आधार पर तय की गई। पहली लोकेशन नाल ही है, जहां ड्रिल शुरू कर दिया गया है। अब तक ये तय नहीं हो पाया है कि यहां पेट्रोल-डीजल कितना है, लेकिन ये तय है कि यहां पेट्रोलियम तो है।
नाल के 10 किलोमीटर एरिया में 3 जगह ड्रिल
अभी नाल गांव के पास दहिया में ड्रिल किया जा रहा है। इसके बाद नाल के ही 10 किलोमीटर क्षेत्र में दो और जगह ड्रिल करके पेट्रोल और गैस की खोज की जाएगी। अब तक के सर्वे में ONGC को बेहतर रिजल्ट मिले हैं। उम्मीद की जा रही है कि ये क्षेत्र पेट्रोल-गैस का बड़ा हब बन जाएगा।
हालांकि सब कुछ तय होने में एक साल का वक्त लग सकता है। उन्होंने बताया कि दहिया गांव के पास नमूने लेने और उसके परिणाम आने के बाद ही आगे स्पॉट पर काम शुरू किया जाएगा। जहां पहला ड्रिल हो रहा है, वहां पहले पानी निकल रहा है। जिसे खेतों में छोड़ने के बजाय एक डिग्गी में जमा किया जाएगा। दो-तीन दिन की ड्रिल के बाद ही डिग्गी में काफी पानी आ चुका है। बीकानेर में जहां-जहां ONGC ड्रिल कर रहा है, वहां खेत लीज पर लिए जा रहे हैं। पॉजिटिव रिजल्ट मिलने पर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की जाएगी।

सिरेमिक हब बनेगा बीकानेर
बीकानेर के सांसद और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का कहना है- इस क्षेत्र में सिरेमिक का कच्चा माल बहुतायत से है। वर्तमान में यहां से कच्चा माल देश के अन्य स्थानों पर भेजा जाता है। यहां तेल और गैस मिलने के बाद बीकानेर सेरेमिक हब बन सकेगा। बीकानेर में औद्योगिक विकास तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में सोलर ऊर्जा में 40 हजार करोड़ का निवेश किया जा चुका है।
मेघवाल ने कहा- जैसे दुबई में तेल मिलने से वहां के विकास को नई ऊंचाई मिली, उसी प्रकार बीकानेर क्षेत्र में भी यदि तेल और गैस मिलता है तो इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास के नए आयाम स्थापित हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि यहां लिथियम, हीलियम और हाइड्रोजन होने के साक्ष्य भी मिले हैं। साथ ही यहां भूगर्भ में पानी की खोज के संबंध में भी कार्य किया जा रहा है। इससे औद्योगिक विकास परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव होगा। भूगर्भ में नई खोज होना बीकानेर के लिए सौभाग्य की बात है।
इन गांवों की बदल जाएगी तस्वीर
पेट्रोलियम मिला तो बीकानेर-नागौर के 2 हजार वर्ग किलोमीटर एरिया की तस्वीर बदल जाएगी। फिलहाल बीकानेर शहर से नाल और नाल से आगे गजनेर तक के गांवों की तस्वीर बदल सकती है। नाल से जैसलमेर की ओर जाने वाले रास्ते में खेत बंजर पड़े हैं। यहां न तो नहर का पूरा पानी मिल पाता है और न ही किसान की जमीन से मीठा पानी आ रहा है। बमुश्किल ही लोग यहां खेती कर पाते हैं। ऐसे में पेट्रोल-गैस बहुतायत से पाई गई तो आसपास के किसानों की चांदी हो सकती है।

राजस्थान में कुल 4 बेसिन हैं
राज्य में इस समय पेट्रोल-गैस के लिए 4 संभावित बेसिन हैं। इसका कुल क्षेत्र डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर है। ये बेसिन जैसलमेर, बीकानेर-नागौर, बाडमेर-सांचोर और विन्धयन बेसिन है। बाडमेर-सांचोर बेसिन में पेट्रोल-गैस का काम हो रहा है। अब सरकार बीकानेर-नागौर बेसिन पर काम कर रही है।
इन जिलों में पेट्रोल-गैस की उम्मीद
राजस्थान के जिन जिलों में पेट्रोल-गैस की खोज हो रही है। उनमें बाडमेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जालोर, जोधपुर, कोआ, झालावाड़, बारां, बूंदी, भीलवाड़ा, चूरू और चित्तौड़गढ़ शामिल हैं। डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र में करीब 60 हजार वर्ग किलोमीटर में अकूत भंडार की उम्मीद की जा रही है। इसी साठ हजार किलोमीटर के क्षेत्र में तेल, गैस एवं कोल बेड मीथेन (सीबीएम) की खोज हो रही है।
- बाडमेर सांचौर बेसिन से खनिज तेल का उत्पादन 29 अगस्त 2009 से शुरू हुआ। दो साल पहले तक यहां करीब 900 कुएं खोदे जा चुके हैं।
- केयर्न वेदांता लिमिटेड के नवीनतम आकलन के अनुसार बाडमेर-सांचोर बेसिन में लगभग 205 मिलियन बैरल कच्चे तेल के भंडार हैं।
ओएनजीसी निदेशक (एक्सप्लोरेशन) सुषमा रावत ने कहा- ओएनजीसी इस क्षेत्र और क्षेत्र वासियों के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर, मेडिकल हेल्थ तथा ई-विद्या के माध्यम से सीएसआर एक्टिविटीज करेगी। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ ड्रिलिंग इत्यादि के संबंध में संवाद कर कौशल विकास की दिशा में विशेष कार्य करवाए जाएंगे।

तेल कंपनियों में काम कर चुके कर्मचारियों के रिसर्च पेपर को खंगाला
जेएनवीयू के भूगर्भ विभाग के एचओडी प्रोफेसर एसआर जाखड़ ने बताया कि 2 साल पहले उन्होंने और उनकी टीम ने रिसर्च शुरू की थी। इस रिसर्च में देश की बड़ी तेल कंपनियों में काम कर चुके साइंटिस्ट के रिसर्च पेपर को पढ़ा गया और इनके शोध पत्रों के ऑयल वैल्स के डेटा को एनालिसिस किया गया।
इस स्टडी के दौरान डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रो कार्बन से प्रकाशित डेटा भी मिला, जिसे भी काम लिया गया। इस पूरी स्टडी से ये सामने आया कि राजस्थान में 458 (एमएमटी) मिलियन मीट्रिक टन में पेट्रोलियम भंडारण की संभावना है।
इस पर सीनियर लेखक एलआर चौधरी, ओएनजीसी से रिटायर सुनील कुमार श्रीवास्तव और प्रोफेसर एसआर जाखड़ ने इसके लिए अलग-अलग जर्नल में प्रकाशित शोध पत्रों का डेटा कलेक्शन किया। जब ये डेटा कलेक्शन कर इनका एनालिसिस किया गया तो सामने आया कि राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र से पाकिस्तान सीमा तक पेट्रोल के भंडार मिलने की संभावना है।

50 से 60 साल करोड़ पहले पूरी हुई प्रक्रिया
दरअसल, राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र में यह चट्टानें लगभग 50 से 60 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही है, जो समुद्र के अंदर जमा हुई थी। इन चट्टानों काे भू वैज्ञानिक मारवाड़ सुपर ग्रुप के नाम से जानते हैं। इनकी तीन मुख्य इकाई है। इसमें जोधपुर का सेंड स्टोन पहली, बिलाड़ा का कार्बोनेट डिपोजिट वाला ग्रुप द्वितीय, इसके अलावा नागौर की सेंड स्टोन ग्रुप सबसे ऊपर है।
ये तीनों मिलकर मारवाड़ सुपर ग्रुप बनाती है। इन ग्रुप में सबसे बीच के बिलाड़ा ग्रुप में पेट्रोलियम के भंडार मिले हैं। बताया जा रहा है की इन चट्टानों में निर्माण प्रक्रिया 50 से 60 करोड़ साल पहले पूर्ण हुई थी। इसकी जानकारी ऑयल कंपनियों की ओर से की जा रही खुदाई में मिली। अलग-अलग जगहों पर रिसर्च के दौरान भारत में 600 से लेकर 1 हजार मीटर तक खुदाई की गई, जिसमें ये भंडार मिले।