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संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 92 सांसद निलंबित, सुरक्षा में चूक के खिलाफ कर रहे थे प्रदर्शन


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संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 92 सांसद निलंबित, सुरक्षा में चूक के खिलाफ कर रहे थे प्रदर्शन

MPs Suspended: संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। एक संसद सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन की ये सबसे बड़ी संख्या है।

Lok Sabha MPs Suspended: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों पर स्पीकर ने बड़ी कार्रवाई की है। संसद के शीतकालीन सत्र के लिए 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। एक संसद सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन की ये सबसे बड़ी संख्या है। आज लोकसभा से 33 सांसद और राज्यसभा से 45 सांसद निलंबित किए गए हैं। इससे पहले 14 सांसद निलंबित किए गए थे। इसमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हैं। तीन अन्य सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया गया है।

इन सभी सांसदों को शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है। सांसदों पर निलंबन की कार्रवाई पिछले हफ्ते हुई संसद की सुरक्षा में चूक के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए की गई है। कार्रवाई तख्तियां दिखाने को लेकर की गई है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से तख्तियां लेकर नहीं आने को कहा था, लेकिन सांसद लगातार तख्तियां लेकर आसन के सामने आकर नारे लगाते रहे।

ये सांसद भी हुए निलंबित

निलंबित किए गए सांसदों में डीएमके सांसद टीआर बालू, दयानिधि मारन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय शामिल हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने निलंबन के संबंध में प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सांसदों के निलंबन के बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को दोनों सदनों के 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। लोकसभा सांसद अब्दुल खालिक, विजय वसंत और के. जयाकुमार के निलंबन का मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है।

क्या कहा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने

इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। खरगे ने कहा कि, “सबसे पहले घुसपैठियों ने संसद पर हमला किया फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। निरंकुश मोदी सरकार द्वारा  सांसदों को निलंबित करके सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंका जा रहा है… विपक्ष-रहित संसद के साथ, मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को कुचल सकती है, किसी भी असहमति को बिना किसी बहस के कुचल सकती है।”

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