हाईकमान से आए एक फाेन ने करवा दी एकता:भजनलाल को CM घोषित करने के बाद से आ रही थीं नाराजगी की खबरें
हाईकमान से आए एक फाेन ने करवा दी एकता:भजनलाल को CM घोषित करने के बाद से आ रही थीं नाराजगी की खबरें

जयुपर : भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री का पद संभालने के मौके पर सियासी एकता दिखाने की रणनीति अपनाई गई है। सीएमओ में भजनलाल शर्मा के चार्ज संभालने के मौके पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से लेकर राजस्थान के सभी केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ नेताओं को जमावड़े के पीछे सियासी एकता दिखाने का मैसेज दिया गया है। नए मुख्यमंत्री के चार्ज संभालने के माैके पर पहली बार इस तरह का जमावड़ा देखा गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार हाईकमान के आदेश पर ही सभी नेता भजनलाल के चार्ज संभालने के मौके पर जुटे थे।
बीजेपी हाईकमान ने वरिष्ठ नेताओं को फोन करके निर्देश दिए थे। सियासी जानकारों के मुताबिक एकता का मैसेज देने के लिहाज से ऐसा करना जरूरी था। बीजेपी में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर लीडरिशप की नई पीढ़ी को आगे लाया गया है। इस जनरेशन शिफ्ट को बीजेपी सबकी सहमति के रूप में पेश करना चाह रही है। यही वजह है कि सीएम के पद संभालने के दौरान सभी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी रही।

भजनलाल के सिर पर वसुंधरा राजे का हाथ रखवाने का भी मैसेज
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने सीएम भजनलाल शर्मा के सिर पर हाथ रखकर जिस अंदाज में उन्हें आशीर्वाद दिया, उसके भी सियासी मैसेज हैं। विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे ने ही भजनलाल के नाम की घोषणा की थी। उस दिन बैठक में वसुंधरा राजे की बॉडी लैंग्वेज को लेकर तरह तरह की चर्चाएं थीं। भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण से लेकर चार्ज संभालने तक के मौके पर वसुंधरा राजे ने सक्रियता से भाग लिया। उनकी बॉडी लैंग्वेज पूरी तरह बदली हुई थी। इस घटनाक्रम के बाद अब नरेटिव बदलने का भी प्रयास किया गया है।
वसुंधरा राजे के आवास पर जिस तरह चुनाव नतीजे आने के बाद विधायकों के आने जाने का सिलसिला चला था उसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया था, लेकिन अब उस पर्सेप्शन को बदलने का प्रयास किया गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी नेतृत्व भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित करने के लिए वरिष्ठ नेताओं की सहमति चाहता है और ये इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।

सीएम रेस में शामिल सभी चेहरों को एकजुट दिखाने की रणनीति
बीजेपी में चुनावों से पहले करीब 10 नेताओं के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर प्रचारित कर रहे थे। किसी नेता ने खुद को तो दावेदार नहीं कहा लेकिन समर्थकों के जरिए दावेदारी कर रहे थे। बीजेपी हाईकमान ने सभी दावेदारों को छोड़ नए चेहरे भजनलाल शर्मा को सीएम बना दिया। रिजल्ट आने से लेकर मुख्यमंत्री तय होने तक कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे यह मैसेज गया कि बीजेपी में आपसी फूट शुरू हो गई है। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि यह पर्सेप्शन आगे जाकर नुकसान कर सकता है, इसलिए डेमेज कंट्रोल शुरू किया गया।

लोकसभा चुनाव की चिंता, इसलिए सबको दिखाना जरूरी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बीजेपी अब विधानसभा चुनावों के रिजल्ट के हिसाब से लोकसभा चुनावों के प्रोजेक्शन में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव में करीब पांच महीने का समय बचा है। नए सीएम भजनलाल के लिए लोकसभा चुनाव सबसे बड़ी परीक्षा है। विधानसभा चुनावों के रिजल्ट को अगर लोकसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो शेखावाटी, वागड़ और नहरी क्षेत्र में पार्टी की हालत कमजोर है।
अब नए सिरे से लोकसभा चुनाव की तैयारी के साथ पार्टी को स्थानीय सियासी समीकरण भी अपने फेवर में करने हैं, इसलिए स्थानीय स्तर पर प्रभावी नेताओं का साथ आना जरूरी माना गया, एकता दिखाने के पीछे यह सियासी हकीकत भी जिम्मेदार है।

राजस्थान पर बीजेपी हाईकमान की लगातार निगाहें
राजस्थान को लेकर बीजेपी हाईकमान लगातार रिपोर्ट ले रहा है। विधानसभा चुनावों के बाद बदले हालात को देखते हुए यहां के घटनाक्रम पर लगातार निगाहें रखी जा रही है। वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने से बड़े नेताओं का समर्थक वर्ग नाराज है। कई जगह तो यह मुद्दा बन गया है, कुछ सीएम दावेदारों के समथर्कों ने तो खुलकर नाराजगी जाहिर की है।

पीढ़ी बदलाव के फॉर्मूले को राजस्थान में कामयाब बनाना चाहता है हाईकमान
भजनलाल शर्मा को राजस्थान सीएम बनाकर बीजेपी में पूरी एक पीढ़ी बदल दी है। अब बीजेपी इस पीढ़ी के बदलाव को कामयाब करना चाहती है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने अपनी लीडरशिप बदली है।
