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‘मृत्यु भोज करना व शामिल होना कानूनन दंडनीय है’, राजस्थान पुलिस का पोस्ट वायरल, क्या है कानून?


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‘मृत्यु भोज करना व शामिल होना कानूनन दंडनीय है’, राजस्थान पुलिस का पोस्ट वायरल, क्या है कानून?

राजस्थान में मृत्यु भोज निवारण अधिनियम का कानून साल 1960 में बनाया गया था।

मृत्यु भोज एक ऐसी क्रिया है जो किसी शख्स की मौत के बाद आयोजित की जाती है। कुछ जगहों पर इसे तेरहवीं के नाम से भी जाना जाता है। अब इससे जुडी एक चेतावनी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। राजस्थान पुलिस का एक X पोस्ट वायरल हो रहा है जिसमें लोगों को मृत्यु भोज में ना शामिल होने की चेतावनी दी गई है।

राजस्थान पुलिस ने एक फोटो शेयर किया है जिसमें लिखा है कि किसी के दुःख में उसका संबल बनकर रहें। मृत्यु भोज को ना कहें। राजस्थान मृत्यु भोज निवारण अधिनियम 1960 के तहत मृत्युभोज दंडनीय अपराध है। फोटो शेयर कर राजस्थान पुलिस की तरफ से लिखा गया है कि मृत्यु भोज करना व उसमें शामिल होना कानूनन दंडनीय है। मानवीय दृष्टिकोण से भी यह आयोजन अनुचित है। आइए मिलकर इस कुरीति को समाज से दूर करें, इसका विरोध करें।

राजस्थान पुलिस द्वारा X पर यह पोस्ट शेयर किया, कुछ ही घंटों में यह वायरल हो गया। 13 दिसंबर को शेयर किए इस पोस्ट को एक मिलियन से अधिक लोगों ने देखा है। बड़ी संख्या में लोगों ने इस पर प्रतिक्रियाएं दी हैं । एक X यूजर ने लिखा कि मृत्यु भोज में लोग बुलाते हैं इसलिए जाते हैं। लोग जबरदस्ती धमका के या डरा के भोज पर किसी के घर खाने के लिए नहीं जाते। एक अन्य ने लिखा कि हिंदुओ को मृत्यु भोज करना है या नही यह उनका निजी विषय है।

सोशल मीडिया पर लोग राजस्थान पुलिस के इस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए यह भी कह रहे हैं कि धार्मिक मामलों में पुलिस का हस्तक्षेप सही नहीं है। वहीं कुछ यूजर्स ने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री से इसे बदलने की मांग की है।

क्या है कानून?

राजस्थान में मृत्यु भोज को लेकर कानून 1960 में बना था। समय समय पर इसे कड़ाई से पालन कराने के आदेश जारी किए जाते रहे हैं। कानून के अनुसार, मृत्यु भोज करने वाले, इसे आयोजित करने में मदद करने वाले और अयोजन में शामिल लोगों को एक साल की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं, मृत्यु भोज के लिए पैसे उधार लेने पर भी पाबंदी है। कोरोना काल के दौरान राजस्थान में इस कानून को कड़ाई से लागू करने के आदेश जारी किए गए थे।

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