सुरीली शाम में रूहानी गजलों ने छुआ दिल:जवाहर कला केन्द्र में सजा गजलों का गुलदस्ता, जावेद हुसैन और संगीता शर्मा ने कानों में घोली मधुरता
सुरीली शाम में रूहानी गजलों ने छुआ दिल:जवाहर कला केन्द्र में सजा गजलों का गुलदस्ता, जावेद हुसैन और संगीता शर्मा ने कानों में घोली मधुरता

जयपुर : जवाहर कला केन्द्र की ओर से कला संसार मधुरम के तहत शाम-ए-गजल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जावेद हुसैन और संगीता शर्मा ने अपनी मधुर आवाज में उम्दा गजलों का गुलदस्ता सजाया। केन्द्र में हुई तीन दिवसीय संगीत प्रस्तुति के साथ पाक्षिक संगीत संध्या का सफर शुरू हो चुका है। इस सुरीली शाम का आगाज जावेद और संगीता की जुगलबंदी के साथ हुआ। उन्होंने ‘कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है’ और ‘नैना तोसे लागे, सारी रैना जागे’ गाकर समां बांधा। ‘सोचता हूं के मुझे तुमसे मोहब्बत क्यों है’, ‘मैं हवा हूं कहां वतन मेरा’ गजल सुनाकर जावेद ने दाद बटोरी। रंगायन के मंच से मशहूर शायर और गीतकार हसरत जयपुरी को भी याद किया गया।

जावेद ने उनकी याद में ‘याद से दिल बहलाओ ना’ गजल गाई। ‘कभी तो खुलके बरस अब्रे महरबां की तरह’, ‘सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो’ जैसी गजलों के साथ संगीता शर्मा ने कानों में मिठास घोली। ‘लोग कहते हैं अजनबी तुम हो’, ‘जब तेरी यादों का’ गाकर सुनीता ने महफिल को सुरीले और यादगार अंजाम तक पहुंचाया। वायलिन पर गुलजार हुसैन, तबले पर शफत हुसैन, गिटार पर उत्तम माथुर और की-बोर्ड और ऑक्टोपैड पर रहबर हुसैन और आबिद खान ने संगत की।
