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25 सितंबर 2022…कौन आलाकमान:5 दिसंबर 2023…आलाकमान ही सबकुछ, एक लाइन का प्रस्ताव…आलाकमान तय करे विधायक दल का नेता


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25 सितंबर 2022…कौन आलाकमान:5 दिसंबर 2023…आलाकमान ही सबकुछ, एक लाइन का प्रस्ताव…आलाकमान तय करे विधायक दल का नेता

25 सितंबर 2022...कौन आलाकमान:5 दिसंबर 2023...आलाकमान ही सबकुछ, एक लाइन का प्रस्ताव...आलाकमान तय करे विधायक दल का नेता

जयपुर : प्रदेश में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के 69 विधायकों (विधायक दल) की बैठक मंगलवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हुई। इसमें एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर विधायक दल का नेता चुनने का फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया गया। प्रस्ताव दिल्ली से आए 3 ऑब्जर्वर के प्रोटोकॉल में लाया गया।

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बैठक में ऑब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री, मुकुल वासनिक और शकील अहमद सहित निवर्तमान सीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा व सह प्रभारी भी मौजूद थे। बैठक में गठबंधन के एकमात्र आरएलडी विधायक भी पहुंचे। कुछ देर चली बैठक में आगे की रणनीति व लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने पर बात हुई। हार पर मंथन का मसला भी उठा, जिसके लिए पर्यवेक्षकों ने बैठक के बाद विधायकों से वन-टू-वन फीडबैक लिया।

तब…खरगे खुद प्रस्ताव लेकर जयपुर आए थे, अब…बतौर अध्यक्ष खरगे ही करेंगे फैसला विधायक दल की बैठक में पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी पहंुचे। वही धारीवाल, जिन्होंने 25 सितंबर 2022 को कहा था- कौन आलाकमान? तब एक लाइन का प्रस्ताव पारित कराने 2 ऑब्जर्वर आए थे, जिनमें मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल थे। लेकिन तब प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था।

मंगलवार को एकमत से पारित हुए प्रस्ताव में लिखा गया- विधायक दल का नेता तय करने का जिम्मा आलाकमान को दिया जाता है। …और विधायक दल की बैठक खत्म हाे गई। अब वे ही राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे फैसला सुनाएंगे, जो 25 सितंबर 2022 को एक लाइन का प्रस्ताव पारित नहीं करवा पाए थे। इधर, फीडबैक में कई विधायक खुलकर बोले। पार्टी सूत्रों के अनुसार इसमें विधायकों ने कहा कि हार के लिए वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। हमने आलाकमान पर सबकुछ छोड़ दिया है तो अब अलग से राय लेने का कोई अर्थ नहीं है।

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3 किरदार…हार पर अलग-अलग विचार
सरकार के खिलाफ लहर नहीं थी। मेरा मानना था कि सरकार बन जाएगी। मैंने सुझाया है कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार अभी से तलाशें। मेरी भूमिका साधारण कार्यकर्ता के रूप में रहेगी। -अशोक गहलोत, बैठक के बाद

गहलोत : भाजपा ध्रुवीकरण कर जीती
हमारा वोट शेयर कम नहीं हुआ है। हमारे निर्दलीय जीते हुए थे, उनका वोट शेयर भाजपा की तरफ चला गया। भाजपा ने कन्हैयालाल पर चुनाव लड़ा। अफवाहें फैलाई। झूठ बोलकर, ध्रुवीकरण कर चुनाव जीता। भाजपा ध्रुवीकरण में सफल हुई।

पायलट : हमें कमियां स्वीकरनी होंगी
कमियां स्वीकारनी होंगी। हर बार हम सरकार बनाने के बाद रिपीट नहीं कर पाते, यह आत्मचिंतन का विषय है।
रामगढ़ विधायक जुबैर खान : कार्यकर्ताओं की जगह एजेंसियों को महत्व दिया जाएगा तो नुकसान ही होगा।

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