कांग्रेस ने 9, भाजपा ने 3 बार जीती खेतड़ी सीट:त्रिकोणीय मुकाबले में गैर गुर्जर वोट अहम, कांग्रेस-भाजपा-बसपा ने झोंकी ताकत
कांग्रेस ने 9, भाजपा ने 3 बार जीती खेतड़ी सीट:त्रिकोणीय मुकाबले में गैर गुर्जर वोट अहम, कांग्रेस-भाजपा-बसपा ने झोंकी ताकत

खेतड़ी : खेतड़ी विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां पर बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। 2013 में बसपा से विधायक रहे पूर्णमल सैनी भी चुनाव में अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। इस सीट पर गुर्जर वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। अब तक 18 चुनाव हुए हैं।
खेतड़ी सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। अब तक नौ बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। खास बात यह है कि 1998 के बाद इस सीट पर जनता किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं भेजा है। 2013 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा को हराकर जीत दर्ज की थी।
खेतड़ी सीट पर गुर्जर वोट का दबदबा
खेतड़ी सीट पर गुर्जर जाति का दबदबा है। इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने गुर्जर जाति से उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। लगातार तीन बार चुनाव हार चुके धर्मपाल गुर्जर को भाजपा ने टिकट दिया है तो कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता डॉ. जितेन्द्र सिंह का टिकट काट कर मनीषा गुर्जर को टिकट दिया है।
मनीषा गुर्जर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रही है। मनीषा गुर्जर भाजपा से टिकट मांग रही थी। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद कुछ घंटों में कांग्रेस जॉइन की और कांग्रेस ने टिकट थमा दिया। कांग्रेस का एक धड़ा कांग्रेस से नाराज है।
बसपा ने उलझाए समीकरण
इस नाराजगी का असर चुनाव में नजर भी आ रहा है। वहीं बसपा ने मनोज घूमरिया को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2013 में बसपा से एमएलए रहे पूर्णमल सैनी निर्दलीय मैदान में है। इसलिए यह सीट काफी उलझी हुई है।
कांग्रेस और भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। बसपा गैर गुर्जर वोटों पर नजर रखे हुए हैं। इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक है। बसपा एससी एसटी, राजपूत सहित जातियों के वोटों में सेंध लगा देती है तो बसपा मुकाबले में होगी।
विधानसभा क्षेत्र में ओपीएस, आरक्षण व भितरघात की भी चर्चा खूब है। एससी के वोट भी बड़ी संख्या में है। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एक बार सभा कर चुके। यहां कुल नौ प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन मुकाबले में तीन ही हैं। कांग्रेस व भाजपा दोनों प्रत्याशी अपनी गारंटियां गिना रहे हैं। घोषणा पत्र के भी फायदे जनता को बता रहे हैं।
कांग्रेस में विश्वासघात का डर
झुंझुनूं जिले की खेतड़ी सीट पर चाचा और भतीजी आमने-सामने है। चाचा और भतीजी पहले दोनों ही बीजेपी ही में थे, चाचा को टिकट मिल गई और भतीजी खाली हाथ रह गई थी। मनीषा गुर्जर ने आनन-फानन में पाला बदल लिया। कांग्रेस ने तुरंत ही मनीषा गुर्जर का टिकट थमा दिया। लेकिन ऐसे कांग्रेस की टिकट से कांग्रेसियों में उलथ-पुथल मच गई। ऐसे में विश्वासघात का डर सता रहा है।
डॉ. जितेन्द्र की मदद से बनी थी प्रधान
मनीषा गुर्जर प्रधान बनने के बाद कांग्रेस एमएलए डॉ. जितेन्द्र सिंह के साथ मंच साझा करती रही। प्रधान बनने में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ही मदद की थी।
मनीषा गुर्जर वर्तमान में खतेड़ी पंचायत समिति की प्रधान हैं। उन्होंने प्रधानी का यह पद बतौर निर्दलीय चुनाव लडक़र हासिल किया था। पिछले पंचायत चुनावों में मनीषा ने बीजेपी से पंचायत समिति सदस्य बनकर प्रधानी के लिए दावेदारी की थी।
लेकिन बीजेपी ने मनीषा के चाचा इंजीनियर धर्मपाल की पत्नी पूनम गुर्जर को प्रधान का उम्मीदवार बना दिया। इस के बाद निर्दलीय चुनाव लड़़ा। खेतड़ी से वर्तमान कांग्रेस विधायक डॉ. जितेन्द्र सिंह और कांग्रेस के पार्षदों के सहयोग से अपनी चाची को हराकर प्रधान बन गईं।
उसके बाद मनीषा ने अब विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट मांगा। बीजेपी की परिवर्तन यात्रा में कांग्रेस पर जमकर आरोप लगाए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह का काटा टिकट
कांग्रेस ने वर्तमान विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह का टिकट ही काट दिया। टिकट काटकर मनीषा को टिकट दिया गया। इससे खेतड़ी के राजनीतिक समीकरण बदल गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध कर दिया। अब कांग्रेस साथ तो है, लेकिन विश्वासघात का खतरा है।
कुल मतदाता 227852
कुल प्रत्याशी 9
पोलिंग बूथ 209