आज की राजनीति सोशल मीडिया तक सीमित:100 साल पूरे करने पर बोले पूर्व विधायक व स्वतंत्रता सेनानी रणमल सिंह
आज की राजनीति सोशल मीडिया तक सीमित:100 साल पूरे करने पर बोले पूर्व विधायक व स्वतंत्रता सेनानी रणमल सिंह

सीकर : जो राजनीति आज से 50 वर्ष पहले हुआ करती थी वो राजनीति आज नहीं रही। आज राजनीति सिर्फ मोबाइल फोन तक ही सिमट कर रह गई। राजनेता अमर्यादित भाषा बोलते हैं जिनसे समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है। आज भले ही मनोविज्ञान आगे बढ़ा हो लेकिन इसने राजनीति विज्ञान को भी निगल लिया है। हमने जो तेजी के साथ प्रगति की वह अविश्वसनीय है और डरावनी भी है।
सीकर विधानसभा से 1977 से 1980 तक पूर्व विधायक रहे रणमल सिंह ने अपने 100 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष में सीकर के ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान, कटराथल में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। कार्यक्रम में महिला कॉलेज की अनेक छात्राओं व सामाजिक कार्यों में योगदान देने वाले अनेक लोगों का सम्मान भी किया।

बता दें कि रणमल सिंह सीकर के सामाजिक कार्यकर्ता बद्री नारायण सोडानी के मार्गदर्शन में जयपुर प्रजामंडल से जुड़े और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने किसानों के हित में शेखावाटी क्षेत्र में जागीरदारों और जमींदारों के खिलाफ शेखावाटी किसान आंदोलन का नेतृत्व किया। जिसके बाद रणमल सिंह 4 दशकों तक सीकर के कटराथल गांव के सरपंच रहे और बाद में 15 वर्षों तक पंचायत समिति पिपराली के प्रधान रहे। रणमल सिंह 1977 में सीकर के विधायक बने और पूरे राजस्थान में सबसे अधिक वोटो से जीत हासिल की थी। उस समय राजस्थान में कांग्रेस के सिर्फ 41 विधायक ही जीते थे।

अगस्त 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो रणमल सिंह भारतीय सेना में शामिल हो गए और लखनऊ में फर्स्ट हॉर्स (रिसाला) में प्रशिक्षण लिया। 31 दिसंबर 1954 को वह सेना में रिजर्व से सेवानिवृत्त हुए लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान एक बार फिर उनकी सेवाओं की मांग की गई, जब उन्हें दो महीने के लिए सेना में भर्ती किया गया। 2011 में रणमल सिंह को जवाहर लाल नेहरू इफको ‘सहकारिता रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
रणमल सिंह उन चंद व्यक्तियों में से हैं जिन्होंने ब्रिटिश राज के शासन को जिया है। अपने लंबे जीवन काल में भारतीय समाज एवं राजनीति के विभिन्न उतार-चढ़ाव को बतौर भागीदारी के साथ देखा है। रणमल सिंह ने अपने सार्वजनिक जीवन में भारतीय राजनीति के उन पहेलियां को भी देखा है जहां राजनीतिक मुद्दों पर आधारित रही धनबल का प्रयोग बढ़ा। इन सब से परे रणमल सिंह का चुनाव हमेशा जाति-प्रथा के उन्मूलन, समाज में सद्भावना को बरकरार रखने, महिला शिक्षा को बढ़ावा देने एवं सामाजिक व आर्थिक विकास पर केंद्रित था।
जैसा रणमल सिंह के पोते अखिल चौधरी, एडवोकेट राजस्थान हाई कोर्ट, जयपुर ने बताया