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Rajasthan election: सरकार से ज्यादा समाज पर भरोसा, अशोक गहलोत को लेकर क्या सोचता है माली समुदाय


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Rajasthan election: सरकार से ज्यादा समाज पर भरोसा, अशोक गहलोत को लेकर क्या सोचता है माली समुदाय

माली समाज के एक दुकानदार जगदीश ने अमर उजाला को बताया कि यहां पर उन्हें अपने समुदाय की ओर से रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए किसी सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं दी गई है। उन्हें सरकार से ज्यादा अपने समुदाय पर भरोसा है...

विधानसभा चुनाव 2023 : राजस्थान के नागौर जिले में जिला मुख्यालय के पास ही एक सब्जी मंडी है। यह सब्जी मंडी इस मायने में खास है कि इसका विकास किसी सरकार की सहायता से नहीं, बल्कि माली समुदाय विशेष के द्वारा किया गया है। माली समुदाय ने अपने समाज के गरीब लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला मुख्यालय के बिल्कुल करीब इस सब्जी मंडी को विकसित किया है। यहां पर 130 दुकानें हैं, जिसमें केवल माली समुदाय के लोग ही सब्जी बेच सकते हैं। सब्जी बेचने के लिए बहुत अच्छी तरह से दुकानों को बनाया गया है, जमीन से लगभग ढाई-तीन फीट ऊपर दुकानदारों को बैठने, सब्जियां लगाने के लिए जगह बनाई गई है। दुकानदारों को हर महीने केवल 300 रुपये का किराया चुकाना पड़ता है। इसके बदले में उन्हें यहां सब्जी बेचने का अवसर दिया जाता है। बिजली, पानी और पंखा इत्यादि की सुविधा पूरी तरह मुफ्त है।

माली समाज के एक दुकानदार जगदीश ने अमर उजाला को बताया कि यहां पर उन्हें अपने समुदाय की ओर से रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए किसी सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं दी गई है। उन्हें सरकार से ज्यादा अपने समुदाय पर भरोसा है। समुदाय के लोग अपने समाज की गरीब बेटियों की शादी कराने, रोजगार उपलब्ध कराने से लेकर बच्चों की उचित शिक्षा के हर प्रबंध करते हैं। किसी सरकार से इसी सुविधा को पाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता, लेकिन समाज के लोग इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सबको यह अवसर उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं।

Rajasthan election: Trust in society more than government, what does Mali community think about Ashok GehlotRajasthan Election:नागौर – फोटो

कई मायने में समाज के गरीब लोगों को विकसित करने की यह व्यवस्था सरकार के सिस्टम से ज्यादा सशक्त और असरदार साबित होती है। क्योंकि लोग पीड़ितों की समस्या और समाधान से स्वयं को जोड़कर देखते हैं। वे इसे अपना कर्तव्य समझते हैं, इसलिए यह ज्यादा प्रभावशाली साबित होती है। जबकि सरकारी तंत्र में इस तरह के कर्तव्य भाव का नितांत अभाव दिखाई देता है। अमर उजाला के इस प्रश्न पर कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं माली समुदाय से हैं, उन्हें अपने समुदाय के मुख्यमंत्री से क्या मिला है। इस पर सब्जी विक्रेता जगदीश बताते हैं कि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य के लिए चाहे जो कुछ भी किया हो, अपने समुदाय विशेष के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। यहां नागौर का माली समुदाय मुद्दों पर वोट करेगा। वह केवल अपने जाति का मुख्यमंत्री होने के नाते कांग्रेस को वोट करने के लिए तैयार नहीं है। जगदीश की तरह एक अन्य सब्जी विक्रेता दुर्गावती का जवाब भी कुछ इसी तरह का है, जबकि जातीय राजनीति में स्वाभाविक तौर पर यह मान लिया जाता है की मुख्यमंत्री की जाति के लोग उनका समर्थन कर रहे होंगे।

वहीं, जितेंद्र माली अशोक गहलोत के साथ हैं। उनका कहना है कि गहलोत सरकार ने आम आदमी के लिए बहुत काम किया है। उनकी योजनाओं से गरीब लोगों को लाभ पहुंच रहा है। विशेष कर स्वास्थ्य बीमा ने गरीब परिवारों को बीमारी में बर्बाद होने से बचाया है। उन्होंने कहा कि समाज के काफी लोग अशोक गहलोत के साथ भी हैं, लेकिन इसका कारण केवल गहलोत का अपनी जाति का होना नहीं, बल्कि उनकी योजनाओं का असर ज्यादा है।

18 को मोदी की रैली

नागौर की करीब ढाई लाख मतदाताओं में 80 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। पारंपरिक रूप से वे कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं। वे जिसके पक्ष में मतदान करते हैं, उसकी जीत लगभग तय मानी जाती है। हालांकि, पिछले चुनाव में यहां से भाजपा ने जीत हासिल की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 नवंबर को नागौर में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। माना जा रहा है कि उनके आने के बाद नागौर के समीकरण एक बार फिर भाजपा के लिए अच्छी संभावना पैदा कर सकते हैं। पार्टी ने इस बार ज्योति मिर्धा को यहां से उम्मीदवार बनाया है जिनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा से है। कांग्रेस के बागी उम्मीदवार हाजी हबीबुर्रहमान इस बार यहां स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा भाजपा को लाभ पहुंचा सकता है।

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