खेतड़ी से 11 बार गुर्जर तीन बार जाट दो बार राजपूत व एक बार सैनी प्रत्याशी विजय हुआ है:खेतड़ी में 15 बार चुनाव व दो उपचुनाव कुल 17 बार चुनाव हुए हैं

शिमला (रामानंद शर्मा)
खेतड़ी में अब तक हुए चुनाव एक नजर में :
हरियाणा की सीमा से सटा खेतड़ी अब निमकाथाना जिले का सबसे बड़ा ठिकाना है। वर्तमान में यह ताम्र नगरी के नाम से विश्व विख्यात है। अपने अंचल में कला एवं संस्कृति की विविधता समेटे इस क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस के डॉ. जितेन्द्र सिंह विधायक है । खेतड़ी विधान सभा क्षेत्र में 2 लाख 22 हजार 546 के लगभग मतदाता है। क्षेत्र के मतदाताओं ने अब तक हुए 17 चुनाव (दो उपचुनाव ) 8 बार कांग्रेसी प्रत्याशियों को तथा 9 बार गैर कांग्रेसी प्रत्याशियों को जिताकर विधानसभा में भेजा है। खेतड़ी क्षेत्र में शुरूआती चुनाव में सामन्त शाही ताकतों का वर्चस्व था । तथा देश की आजादी का यह शैशव काल था। पूरे देश में जहाँ कांग्रेस का डंका बज रहा था वही सन 1952 के प्रथम आम चुनाव में खेतड़ी से कांग्रेस प्रत्याशी नाहर सिंह शेखावत राम राज्य परिषद के उम्मीदवार ठाकुर रघुवीर सिंह बिसाऊ से हार गये थे। 1957 दुसरे आम चुनावों में कांग्रेस की टिकट शीशराम ओला को मिली तथा उन्होंने ठाकुर रघुवीर सिंह को हराकर जीत दर्ज की। सन 1962 के चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के चुन्नीलाल गुर्जर का पटकनी खिलाकर पुनः ओला ने अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। इसके बाद 1967 के चुनावों में गैर कांग्रेस वाद की लहर में स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी ठाकुर रघुरवीर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी शीशराम ओला को मात दी और पुनः इस सीट पर कब्जा कर लिया। लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण रघुवीर सिंह ठाकुर अपना कार्यकाल पूरा नही कर सके और बीच में ही विधान सभा सदस्य से त्याग पत्र दे दिया। फलस्वरूप 1969 में उप चुनाव हुआ जिसमें शीशराम ओला ने स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी हेमराज गुर्जर को 22 हजार से अधिक मतों से पराजीत करके अपनी प्रतिष्ठा की सीट पर कब्जा किया तथा अपनी लोकप्रियता सिद्ध की।
1972 के आम ‘चुनाव में ओला खेतड़ी क्षेत्र को छोड़कर पिलानी चले गये। इस चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी प्रहलाद सिंह पुहानिया को बनाया उनका मुकाबला स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार रामजीलाल गुर्जर से हुआ जिसमें पुहानिया को हार का सामना करना पड़ा। 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पुनः प्रहलाद सिंह पहानिया को अपना उम्मीदवार बनाया तथा जनता पार्टी ने मालाराम गुर्जर को मैदान में उतारा। पुहानिया पुनः हारे तथा जनता पार्टी के मालाराम विधायक निर्वाचित हुये। 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने रणदीप धनखड़ को कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किया तथा जनता पार्टी ने मालाराम गुर्जर को पुनः विधायक बनाया | मालाराम ने सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा कांग्रेस प्रत्याशी को पुनः हार का समाना करना पड़ा। 1985 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने नरेश पाल गुर्जर को प्रत्याशी बनाया तथा भाजपा ने पुनः मालाराम गुर्जर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा मालाराम पुनः विधायक बनने में कामयाब रहे तथा नरेश पाल गुर्जर को हार का सामना करना पड़ा। मालाराम गुर्जर ने लगातार तीन बार विधायक बनकर हैट्रीक बनायी। कांग्रेस ने बार-बार हार कर भी कोई सबक नही लिया हमेशा बाहरी प्रत्याशी को ही आप प्रत्याशी बनाती रही। 1988 में मालाराम गुर्जर तत्कालीन विधायक का निधन हो गया। तथा यहां पर उप चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस पार्टी ने लोकप्रिय चिकित्सक छोगालाल के पुत्र जो बड़े होनहार व मिलनसार मृदुभाषी युवा थे उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में डॉ. सिंह ने करीब 22 हजार मतो से हजारीलाल गुर्जर को हराकर विजय हासिल की तथा भाजता के गढ़ में सेंध लगाकर 18 वर्ष के कब्जे को हटाया।
इसके बाद 1990 के चुनावों में कांग्रेस ने पुनः डॉ. जितेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया तथा भाजपा ने हजारीलाल गुर्जर को टिकट नही दी तथा वो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में कूद गये तथा जनता की हमदर्दी हासिल कर डॉ. जितेन्द्र सिंह को मात्र 609 मतो से हराकर विधायक बनने में कामयाब हुए। 1993 पुनः चुनाव हुए जिसमें भाजपा ने मालाराम पूर्व विधायक के पुत्र दाताराम गुर्जर को तथा कांग्रेस पार्टी ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया जिसमें डॉ. जितेन्द्र सिंह ने दाताराम गुर्जर को 6092 मतो से हराकर पुनः सीट पर कब्जा कर लिया। 1998 के आम चुनाव में भाजपा ने भागीरथ सिंह निर्वाण को तथा कांग्रेस पार्टी ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। दाताराम गुर्जर ने पुनः निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन विजय श्री, डॉ. जितेन्द्र सिंह को मिली उन्होंने दाताराम गुर्जर निर्दलीय को 1335 मतो से हराकर विजयी प्राप्त की। 2003 के आम चुनाव में भाजपा ने दाताराम गुर्जर को तथा कांग्रेस ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा जिसमें अबकी बार दाताराम गुर्जर ने विजयी श्री हासिल की तथा उन्होंने डॉ. सिंह को 4992 मतों से पराजीत कर पुनः भाजपा का परचम फहराया। 2008 में पुनः आम चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को तथा भाजपा ने इंजि. धर्मपाल गुर्जर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा, दाताराम गुर्जर पूर्व विधायक ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में तथा बहुजन पार्टी की टिकट पर पूर्णमल सैनी ने चुनाव लड़ा जिसमें डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भाजपा प्रत्याशी इंजि. धर्मपाल पुनः अपनी दावेदारी सिद्ध की तथा खोई गुर्जर को 12 हजार से अधिक मतो से हराकर प्रतिष्टता प्राप्त की। पूर्णमल सैनी तीसरे स्थान पर रहे। दातराम गुर्जर अपनी जमानत नही बचा सके।
हरियाणा सीमा से सटा हुआ खेतड़ी विधान सभा क्षेत्र यो तो राजनितिक दालों का प्रभाव क्षेत्र नहीं माना जाता पर अब तक हुए 17बार के चुनाव में समीकरण जरूर प्रभावित रहा है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता गुर्जर जाति के है। तथा वर्तमान में कांग्रेस व भाजपा दोनो ही पार्टीया गुजर व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारने जा रही है। खेतड़ी में माली, राजपूत, जाट, ब्राह्मण भी चुनावी हवा का रूख बदलने में निर्णायक भूमिका निभाते है । खेतड़ी में ब्राह्मण जाति के भी काफी वोट है तथा अन्त में वो ही प्रत्याशी जिताने में भूमिका अदा करते है। ब्राह्मण जाति का जिस तरफ प्रभाव होता है अन्त में विजय श्री उसको मिलतीहै।
खेतड़ी विधान सभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाए तो पता लगता है कि डॉ जितेन्द्र सिंह पांच बार, मालाराम गुर्जर व शीशराम ओला तीन बार विधायक बनने में कामयाब रहे है। अब तक हुए सत्रह चुनावों में आठ बार कांग्रेस 7 बार विपक्षी तथा एक बार निर्दलीय व एक बार बसपा का प्रत्याशी विधायक बना है। इस क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में दो बार राजपूत, तीन बार जाट, तथा 11 बार गुर्जर एक बार माली जाति के उम्मीदवार विजयी रहे है। इससे स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में गुर्जर जाति का काफी वर्चस्व है क्योंकि कुल मतदाताओं का करीब 35 प्रतिशत हिस्सा गुर्जर समाज का है। राजस्थान में चुनावी रणभेरी बज चुकी है नवम्बर माह में आम चुनाव होने जा रहे है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से पुनः डॉ. जितेन्द्र सिंह को ही प्रत्याशी बनाया जावेगा जो वर्तमान में विद्यायक भी है तथा खेतड़ी में विकास की गंगा बहायी है खेतड़ी में बिजली व पानी तथा शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किये है। आम आदमी अगर विकास की तरफ तथा ईमानदार व साफ छवि के व्यक्ति को चुनेगा तो डॉ. जितेन्द्र सिंह निश्चित रूप से विधायक बनने में कामयाब होंगे। बहुजन समाज पार्टी ने इस बार मनोज घुमरिया को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव में उतारा है तथा भाजपा में धर्मपाल गुर्जर, मनीषा गुर्जर, सतवीर गुर्जर, कुलदीप मणकस व सांसद सुखवीर जौनपुरिया में से किसी एक पर भाग्य आजमाया जा सकता है। बसपा के अलावा किसी अन्य पार्टी ने अपने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे हैं देखना है पार्टियां किस प्रत्याशी पर अपना दांव लगाती है।