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रावण की ऐसी भक्ति, लोग पुकारने लगे “जय लंकेश”:दशहरा और गुरु पूर्णिमा पर करते हैं पूजा, बोले- रावण के कारण बची थी जान


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रावण की ऐसी भक्ति, लोग पुकारने लगे “जय लंकेश”:दशहरा और गुरु पूर्णिमा पर करते हैं पूजा, बोले- रावण के कारण बची थी जान

रावण की ऐसी भक्ति, लोग पुकारने लगे "जय लंकेश":दशहरा और गुरु पूर्णिमा पर करते हैं पूजा, बोले- रावण के कारण बची थी जान

चित्तौड़गढ़ : दशहरे के दिन रावण के पुतले को जलाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने लंकाधिपति रावण का वध किया था। इसके कारण इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। रावण को बुराई का ही स्वरूप माना गया है, लेकिन चित्तौड़गढ़ शहर में हीरालाल सिपाणी के लिए रावण बुराई का नहीं बल्कि महादानी, ज्ञानी, उदार और विद्वान का प्रतीक है।

हीरालाल सिपाणी रावण को अपने गुरु के रूप में पूजते भी हैं और उनको अपने जीवनदान का कारण भी मानते हैं। सिपाणी के इसी भक्ति के कारण लोग उन्हें जय लंकेश कहकर पुकारते हैं। उनकी पत्नी भी उनका परिचय जय लंकेश के नाम से ही देती हैं।

महादानी, ज्ञानी थे रावण

मंगलवार को दशहरा है। इस दिन भगवान राम की जीत को असत्य पर सत्य के पर्व के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि सतयुग में भगवान राम ने इसी दिन अहंकारी लंकाधिपति रावण का वध किया था। रावण को हमेशा से बुराई का प्रतीक ही माना गया है, लेकिन चित्तौड़गढ़ के दुर्ग निवासी हीरालाल सिपाणी (60) इसे गलत मानते हैं। उनका कहना है कि रावण महादानी, ज्ञानी, उदार और विद्वान है। लोगों को उनके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। लोग बिना सोचे समझे यह गलत बाते फैला रहे हैं। इसलिए गलत धारणा बना रखी है, लेकिन अब लोग भी धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं।

हीरालाल ने अपनी दुकान में भी लंकाधिपति का फोटो लगा रखा है, सुबह सबसे पहले इनकी पूजा करते हैं।
हीरालाल ने अपनी दुकान में भी लंकाधिपति का फोटो लगा रखा है, सुबह सबसे पहले इनकी पूजा करते हैं।

30 सालों से रावण की कर रहे है पूजा

सिपाणी महादेव के भक्त हैं। रावण भी महादेव के भक्त था। इसलिए हीरालाल ने महादेव के परम भक्त की पूजा शुरू कर दी। ​​​हीरालाल के लिए रावण चरित्रहीन, क्रूर या बुरा इंसान नहीं था। इसलिए हीरालाल करीब 30 सालों से भी ज्यादा समय से रावण की पूजा करते आए हैं। इसी कारण उन्हें लोग “जय लंकेश” के नाम से पुकारने लगे हैं।

हीरालाल रावण को गुरु मानते हैं इसलिए उन्हें जय लंकेश के नाम से जानते हैं।
हीरालाल रावण को गुरु मानते हैं इसलिए उन्हें जय लंकेश के नाम से जानते हैं।

लंकाधिपति ने बचाई जान, इसलिए बढ़ा विश्वास

उन्होंने बताया कि वंशावली रखने वाले ने उन्हें हाथ से बनी रावण की एक प्रतिमा दी थी, जिसमें जैन मंत्र लिखे हुए थे। उन्होंने वह मूर्ति अपनी दुकान के गेट के पास ऊपर एक ताक में रखी हुई थी। साल 2001 में हीरालाल अपनी दुकान पर काम कर रहे थे। काम करते-करते स्टोर रूम की तरफ चले गए। जब दुकान की तरफ लौटे तो अचानक दुकान की छत पर लगी पट्टियां गिर गईं। देखते ही देखते पूरी दुकान मलबे में तब्दील हो गई थी। बाहर से यह मलबा देखकर लोगों को लगा हीरालाल भी इसमें दबकर मर चुके हैं, लेकिन हीरालाल उस समय दुकान के कोने पर जिंदा खड़े थे। उनके ऊपर रावण की मूर्ति थी। ऊपर जिस ताक में रावण की मूर्ति रखी हुई थी और उस मूर्ति के ऊपर की पट्टी टूटी जरूर थी, लेकिन वह आधी टूटी थी। हीरालाल को सही सलामत देख आसपास के लोग चकित थे। उस दिन के बाद से सिपाणी का विश्वास लंकेश के प्रति और ज्यादा बढ़ गया। उन्होंने उसी दिन से लंकेश को अपना गुरु मान लिया। उनका कहना था कि इस हादसे में मुझे एक भी खरोंच नहीं आई जो आश्चर्य की बात थी।

रावण के मूर्ति के नीचे खड़े थे, उसी दौरान छत की पट्टियां गिर गई, लेकिन मूर्ति के ऊपर की पट्टियां आधी गिरी, जिसके कारण उनकी जान बच गई।
रावण के मूर्ति के नीचे खड़े थे, उसी दौरान छत की पट्टियां गिर गई, लेकिन मूर्ति के ऊपर की पट्टियां आधी गिरी, जिसके कारण उनकी जान बच गई।

लंकेश नाम ने दी पहचान

उन्होंने बताया कि लोग कई सालों से मुझे “जय लंकेश” के नाम से बुलाते हैं। यहां चित्तौड़गढ़ में तो कई जने मेरा हीरालाल नाम तक नहीं जानते। उन्हें लगता है “जय लंकेश” मेरा ओरिजिनल नाम है और इसी नाम ने मुझे पहचान दिलाई है। इसी बात कि मुझे सबसे ज्यादा खुशी है। जब से मैंने लंकेश की पूजा करना शुरू किया है काफी लोगों ने इसको गलत कहा, लेकिन मेरा पक्ष सुनकर और जान बचने के बाद से ही लोग इस बात को मानने लगे। इससे मेरी दुकान में हमेशा बरकत ही हुई है।

पत्नी भी “जय लंकेश” के नाम से देती है परिचय

कपड़ों के दुकान मालिक हीरालाल बताते हैं कि मेरी पत्नी पुष्पा देवी भी रावण को पूजने लगी है। उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि मैं लंकेश को अपना गुरु मानता हूं। यहां तक की जब भी कोई मेरे बारे में पूछने आता है तो मेरी पत्नी “जय लंकेश” के नाम से ही मेरा परिचय देती है। दुकान हो या मकान लोग भी मुझे इसी नाम से ढूंढते हुए आते हैं।

पत्नी और पूरे परिवार ने भी जय लंकेश का पूरा साथ दिया।
पत्नी और पूरे परिवार ने भी जय लंकेश का पूरा साथ दिया।

रावण मेरे गुरू है – हीरालाल सिपाणी

उन्होंने बताया कि मेरा बेटा हर्षित जब बड़ा हुआ तो वह इस बात को समझने लगा। इसलिए अब वह भी लंकेश की पूजा करता है। हंसते हुए सिपाणी बोलते हैं कि अब तो हर्षित को भी लोग मेघनाथ कहके बुलाते हैं। बेटी हर्षिता ने भी कभी आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने बताया कि रावण मेरे गुरु हैं। इसीलिए उनकी मैं गुरु पूर्णिमा के दिन भी पूजा करता हूं और जिस दिन उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था, उस दिन भी मैं पूजा करता हूं। उनकी विशेष फूल माला से पूजा कर मैं सब में प्रसादी का भी वितरण करता हूं।

पिता की दुकान में ही शुरू किया बिजनेस

अपने परिवार के बारे में बताया कि उनके पिता भंवर लाल सिपाणी कृषि विभाग में सुपरवाइजर थे। उसके बाद उसी विभाग में डिप्टी डायरेक्टर भी बने। इस पद से उन्होंने VRS भी ले लिया था। जिसके बाद उन्होंने ट्रांसपोर्ट का काम किया। जहां अभी कपड़ों की दुकान है वहां पिता ने ऑयल, ग्रीस की दुकान लगाई। जब यह दुकान बंद हुई तो हीरालाल ने यहां कपड़े की दुकान खोली। यहां दुकान लगाने से पहले वह भीलवाड़ा के टेक्सटाइल में काम कर किया करते थे।

बेटे हर्षित को लोग बुलाने लगे मेघनाथ।
बेटे हर्षित को लोग बुलाने लगे मेघनाथ।

अखबारों की कटिंग और मैगजीन को भी रखते है संभाल कर

रावण के बारे में कहीं पर कुछ भी छपता है तो हीरालाल उसे संभाल कर रखते है। यहां तक उनके फोटो को भी संभाल कर रखते हैं। अखबारों की कटिंग और मैगजीन को भी रखते हैं। यहां तक की उन्होंने देश के जहां जहां भी दशानन के मंदिर हैं, वहां यात्रा की। यह यात्रा भी उन्होंने अपने गुरु रावण के कारण ही की। उनका कहना है कि अब कई लोग रावण को मानने लगे हैं। उनसे कई फोटो कॉपी लेकर जाते हैं।

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