जैन साध्वी बनेगी मीणा समाज की 21 साल की बेटी:माता-पिता ने कहा साध्वी बनने से गौरव से सीना हुआ चौड़ा
जैन साध्वी बनेगी मीणा समाज की 21 साल की बेटी:माता-पिता ने कहा साध्वी बनने से गौरव से सीना हुआ चौड़ा

सवाई माधोपुर : खेती-बाड़ी और पढ़ाई के साथ-साथ उखलाना की एक 21 वर्षीय तमन्ना ने साध्वी बनने के निर्णय से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है। एक गरीब परिवार में जन्मी यह बालिका जैन धर्म से इतनी प्रभावित हुई कि उसने दीक्षा लेने का प्रण कर लिया, अब 5 नवंबर को मध्य प्रदेश के नीमच में उसकी दीक्षा होनी है। इसके लिए लगातार सकल जैन समाज द्वारा तमन्ना की शोभायात्रा निकल जा रही है। साथ ही 28 अक्टूबर को उकलाना गांव में जैन समाज द्वारा एक बड़ा आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश के कोने-कोने से लोग पहुंचेंगे। शनिवार को चौथ का बरवाड़ा में जैन समाज की ओर से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। साथ ही दीक्षा लेने वाले बालिका को अपने घर बुलाने के लिए हर एक जैन समाज का व्यक्ति उत्साहित है।
साध्वी बनने से परिवार कर रहा गौरवान्वित
बालिका के इस निर्णय से माता-पिता भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। तमन्ना की मां मनभर देवी ने बताया कि उन्होंने कि उनकी पुत्री अन्य बालकों की तरह बढ़ लिखकर नौकरी करेगी। बालिका शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी। इसलिए उन्होंने साइंस बायोलॉजी भी ली थी। इसके तहत बीएससी द्वितीय वर्ष तक वह पढ़ाई पूरी कर चुकी थी, लेकिन दीक्षा लेने के उसके इस निर्णय ने पूरे परिवार का गौरव बढ़ा दिया है। बालिका को घर से बिछड़ना एक बड़ा दर्द होता है, लेकिन धर्म के मार्ग का निर्णय लेने से उनका दर्द गौरव में बदल गया है। जिसके चलते सभी खुश हैं। अब उन्हें बालिका के घर से जाने का कोई दुख नहीं है, बल्कि खुशी है। बालिका के पिता ने बताया कि उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि उनकी बालिका इस पथ को ग्रहण करेंगी। बालिका के इस निर्णय से सभी सहमत है तथा भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि वैराग्य पथ पर चलकर यह एक अच्छा मुकाम हासिल करें।

आठ भाई बहनों में सबसे छोटी है दीक्षार्थी-पढ़ने में होशियार
दीक्षार्थी तमन्ना बीएससी सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही थी। पिता शुभकरण मीणा खेती का कार्य करते हैं। मां मनभर देवी ग्रहणी है व खेती-बाड़ी का काम भी संभालती है। माता-पिता की आठ बेटियों में दीक्षार्थी तमन्ना (21) सबसे छोटी बेटी है। वह काफी समय से जैन साध्वी की सेवा में रहती थी। वह जैन पाठशाला में ही अध्ययन करती थी। तमन्ना अक्सर जैन साध्वियों के साथ भी सेवा में जाया करती थी। दीक्षार्थी तमन्ना की विधवा बहन गायत्री भी जैन साध्वी की सेवा में ही रहती है। वह भी जैन साध्वी की दीक्षा लेना चाहती थी। मगर पहले छोटी बहन तमन्ना जैन ने जैन दीक्षा ले रही है, गायत्री तमन्ना से दूसरे नंबर की बड़ी बहन है। तमन्ना के छोड़कर सभी बहनों की शादी हो चुकी है।

पढ़ाई के साथ-साथ खेती बाड़ी में भी बालिका अव्वल-तमन्ना का पूरा परिवार खेती पर आश्रित है। बालिका के कोई भी भाई नहीं होने के कारण माता-पिता के साथ तमन्ना शुरू से ही खेती में हाथ बढ़ती है। गाय भैंसों को चारा डालना हो या फिर खेती का कार्य करना हो तमन्ना पढ़ाई के साथ-साथ इस कार्य को भी बखूबी कर रही है। इसके साथ ही खाना बनाने एवं अन्य कार्यों को लेकर भी तमन्ना कभी हिचकीचाती नहीं है। जब तक दीक्षा ग्रहण करने का कार्य नहीं होता। तब तक तमन्ना घर के सारे कार्य करती रहेगी।

जैन मुनि से मिली प्रेरणा
इस गांव के मीणा समाज के लोग लगभग 230 सालों से जैन धर्म का पालन करते आ रहे हैं। संवत् 1853 में उखलाना के लच्छीराम मीणा ने जैन मुनि रीखलाल महाराज से जैन धर्म पहना लिया। तब से उनके वंशज आज भी जैन धर्म को मानते हैं।

पूरा गांव जैन धर्म से प्रभावित
ग्रामीणों ने बताया कि पूरा गांव जैन धर्म से प्रभावित है। यह गांव मीणा समाज की अधिकता वाला गांव है। फिर भी यहां पर जैन धर्म के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। यहां पर जैन स्थानक भवन है। जहां पर जैन समाज के बड़े-बड़े मुनि आते हैं तथा समाज के लोग उनकी सेवा करते हैं। इसी के चलते यह बालिका भी जैन धर्म के प्रति प्रभावित हुई।
सूर्यास्त के बाद नहीं करते ग्रामीण भोजन
सूर्य अस्त के बाद ग्रामीण नहीं करते भोजन-जैन धर्म की तरह ही यहां के ग्रामीण सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करते हैं। साथ ही अधिकतर लोग चप्पल भी नहीं पहनते हैं। इसके साथ-साथ जैन धर्म के जो भी कार्यक्रम होते हैं। उनमें यहां के लोग बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। जब भी किसी साधु संत का चातुर्मास होता है तो पूरे गांव की लोग ही उनकी सेवा में जुट जाते हैं।
जैन मुनि की कथा सुनकर हुई प्रभावित
तमन्ना बताती है कि उनके गांव में अक्सर जैन मुनि आते रहते है। साल 2019 जैन मुनि रामलाल महाराज ने चार्तुमास किया। इस दौरान वह नियमित प्रवचन सुनने जाती थी। तभी से उसका जैन धर्म से जुड़ाव हुआ था। तमन्ना नहीं बताया कि जब वह छोटी थी तो पाठशाला में जाती थी तथा उसे चाकलेट आदि मिलाकर काफी आनंद महसूस होता था। इसके बाद जब अलीगढ़ में चातुर्मास हुआ तो धर्म के प्रति उसकी रुचि बड़ी तथा जैन मुनियों द्वारा जो धर्म की बात बताई गई। उनसे वह काफी इंप्रेस हुई। जैन धर्म में बताया गया बड़ी-बड़ी राजकुमारी ने भी धर्म अपनाया है। ऐसे में उसने सोचा कि जब बड़ी-बड़ी राजकुमारी ऐसा कर सकती हैं तो किसान की बच्ची क्यों नहीं कर सकती।
गृहस्थ जीवन में सभी दुखी इसलिए बेटी का संयास लेने का फैसला सही
तमन्ना की मां मनभर बताती है कि उनकी आठ बेटियां है। उनके कोई बेटा नहीं है। सात बेटियों की शादी हो चुकी है। उनकी सभी बेटियां और वह गृहस्थ जीवन में दुखी है। अब बेटी तमन्ना जैन धर्म अपनाकर संयास लेने का फैसला लिया है। जिसके उन्हें खुशी है।
सन्यास से पहले के सभी नियमों का किया पालन
तमन्ना बताती है कि संन्यास से पहले गुरुदेव वैराग्य भावना की पालना देखते हैं। इनको पैदल ही चलना पड़ता है। रोशनी का वह उपयोग नहीं कर सकते तथा पैरों में चप्पल भी नहीं पहनते हैं। साथ ही एक समय ही भजन करना होता है। इसके साथ ही जैन धर्म से जुड़ा सभी ज्ञान अर्जित करना पड़ता है। दीक्षा लेने के लिए पात्र होने के बाद ही उन्हें दीक्षा दी जाती है, जो तमन्ना ने पूरी कर ली है। अब साध्यी बनने के बाद तमन्ना इन नियमों का पालन करेगी।
1.प्राणातिपात विरमण व्रत अर्थात मैं किसी भी जीव मात्र की हिंसा नही करूँगा। 2.मृषावाद विरमण व्रत अर्थात मैं कभी झूठ (असत्य) नही बोलूंगा। 3.अदत्तादान वीरमण व्रत अर्थात मैं किसी भी प्रकार की चोरी नहीं करूंगा।