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नहीं बन पाएंगे 3 नए जिले!:जातिगत सर्वे पर चुनाव आयोग करेगा फैसला; जानिए- फ्री मोबाइल-फूड पैकेट मिलेंगे या नहीं, कैसे मिलेगा दीपावली बोनस


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नहीं बन पाएंगे 3 नए जिले!:जातिगत सर्वे पर चुनाव आयोग करेगा फैसला; जानिए- फ्री मोबाइल-फूड पैकेट मिलेंगे या नहीं, कैसे मिलेगा दीपावली बोनस

नहीं बन पाएंगे 3 नए जिले!:जातिगत सर्वे पर चुनाव आयोग करेगा फैसला; जानिए- फ्री मोबाइल-फूड पैकेट मिलेंगे या नहीं, कैसे मिलेगा दीपावली बोनस

जयपुर : प्रदेश में चुनावों की तारीख के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लग गई है। आचार संहिता के साथ ही जनता से जुड़ी घोषणाओं का दौर थम गया है। आचार संहिता लगने के साथ ही कई काम थम जाएंगे तो कई काम चुनाव आयोग के पाले में आ जाएंगे। वो काम होंगे या नहीं, इसका फैसला आयोग करेगा।

आचार संहिता लगते ही जनता के मन में सवाल आने लगे हैं। जैसे…

  • क्या 3 नए जिले बनेंगे या अटक जाएंगे?
  • जातिगत सर्वे का क्या होगा?
  • महिलाओं को फ्री मोबाइल मिल रहे थे, क्या उन पर भी रोक लग जाएगी?
  • 23 नए बोर्ड की घोषणा की गई थी, उस घोषणा का अब क्या होगा?
  • सरकार की ओर से अन्नपूर्णा फूड पैकेट बांटे जा रहे थे, उनका क्या होगा?
  • ढाई लाख शिक्षकों को तबादले का इंतजार था, क्या ये इंतजार ही रह जाएगा?

…ऐसे ही कई सवालों के जवाब हमने एक्सपट्‌र्स से बात कर जाने।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

सीएम ने इस साल 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद 6 अक्टूबर को सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन को भी नया जिला बनाने की घोषणा की।
सीएम ने इस साल 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद 6 अक्टूबर को सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन को भी नया जिला बनाने की घोषणा की।

तीन नए जिले बनेंगे या नहीं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रदेश में 33 से बढ़कर 50 जिले हो गए। सात संभागों की संख्या को भी बढ़ाकर 10 कर दिया गया।

इसके बाद 6 अक्टूबर को सीएम ने 3 नए जिले सुजानगढ़, मालपुरा और कुचामन की घोषणा कर सबको चौंका दिया। जिलों की सिफारिश के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल भी बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 तक कर दिया गया था।

नए जिलों की घोषणा में सबसे जरूरी चीज थी नोटिफिकेशन। नए जिले बिना नोटिफिकेशन के अस्तित्व में नहीं आ सकते हैं। नए जिलों का नोटिफिकेशन 9 अक्टूबर तक जारी नहीं हुआ।

  • निष्कर्ष : ऐसे में अब नए जिलों की घोषणा, घोषणा ही बनकर रह जाएगी। अब नोटिफिकेशन जारी करने के लिए सरकार को चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। चुनाव आयोग सामान्यत: ऐसे मामलों में अनुमति देता नहीं है।

जातिगत सर्वे हो पाएगा या नहीं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आचार संहिता लगने के महज तीन दिन पहले प्रदेश में जातिगत सर्वे की घोषणा की थी। बिहार जातिगत सर्वे कराने वाला पहला राज्य है। चर्चा थी कि राजस्थान जातिगत सर्वे वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।

राज्य मंत्रिमंडल ने जातिगत सर्वे की मंजूरी दी। इसकी वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी भी चुनाव आचार संहिता से पहले (7 अक्टूबर, 2023) को ही लागू हो गई है। सर्वे के आदेश भी जिला कलेक्टरों को 7 अक्टूबर को ही जारी कर दिए गए। ऐसे में इसका कार्य चुनाव आचार संहिता से पहले शुरू हो गया है।

राजस्थान सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और आयोजना विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी है। आयोजना विभाग को इसके लिए नोडल विभाग बनाया गया है। अब सभी जिला कलेक्टरों को कहा गया है कि वे अपने जिले में कार्यरत सरकारी विभागों के कर्मचारियों को इस कार्य में लगाएं और जाति आधारित सर्वे को पूरा करें। 9 अक्टूबर को विभिन्न विभागों के बीच इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक भी होनी है।

  • निष्कर्ष : प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार गुप्ता ने बताया कि चुनाव आयोग आचार संहिता लगने के दौरान किए जाने वाले किसी भी सरकारी कार्य, घोषणा, बयान, आदेश आदि को अपने विवेकाधिकार में ले सकता है। आयोग को यदि लगे कि कोई कार्य चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है या किसी आदेश के जरिए मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित किया जा रहा है तो वो उस पर रोक लगा सकता है।
बिहार जातिगत सर्वे कराने वाला पहला राज्य है। अब सर्वे के बाद राजस्थान ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।
बिहार जातिगत सर्वे कराने वाला पहला राज्य है। अब सर्वे के बाद राजस्थान ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।

अन्नपूर्णा फूड पैकेट किट बांटने का काम भी रुक जाएगा…
राजस्थान सरकार ने 15 अगस्त को अन्नपूर्णा फूड पैकेट किट की योजना शुरू की थी। इस योजना में गेहूं के साथ 7 अलग-अलग पैकेट मिलते हैं, जिसमें नमक, चीनी, दाल, रिफाइंड तेल समेत किचन में खाना पकाने में उपयोग होने वाली अन्य राशन सामग्री शामिल होती है।

नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) से जुड़े परिवारों को फ्री गेहूं के साथ दाल, चीनी, नमक, सोयाबीन रिफाइंड तेल, मिर्च, हल्दी और धनिया पाउडर के पैकेट दिए जा रहे हैं।

हाल ही में सीएम ने अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना में प्रदेश के 1.06 करोड़ परिवारों को चुनाव से पहले दीपावली और दूसरे त्योहारों के मौके पर एक अतिरिक्त फूड पैकेट का किट देने की घोषणा की। सीएम अशोक गहलोत ने इसके लिए 360 करोड़ रुपए के फंड की मंजूरी दी है। इसके तहत प्रदेश के 1.06 करोड़ परिवारों को 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच दिए जाने वाले नियमित फूड पैकेट के अलावा एक और फूड किट मिलेगा।

  • निष्कर्ष : सरकार की अन्नपूर्णा फूड पैकेट किट योजना का अंतिम निर्णय चुनाव आयोग करेगा। चुनाव आयोग अन्नपूर्णा फूड पैकेट किट बांटने को मंजूरी देगा तो भी पैकेट से सीएम की तस्वीर हटानी होगी। सीएम की तस्वीर नहीं हटने पर इस योजना को बंद करना पडे़गा।

बेरोजगारों को नौकरी का इंतजार नहीं होगा पूरा
फरवरी, 2023 में सीएम अशोक गहलोत ने 1 लाख नए पदों पर भर्तियां करने की घोषणा की थी, लेकिन वो घोषणा अब तक पूरी नहीं हुई। इनमें से चिकित्सा विभाग में 21 हजार पद और सफाई कर्मियों के 13 हजार पद के लिए भर्ती प्रक्रिया चालू कर दी थी। वहीं बचे हुए 66 हजार पदों के बारे में सरकार ने कोई वर्गीकरण (किस विभाग में कितने पद) तक नहीं किया। 48 हजार पदों पर तृतीय श्रेणी अध्यापकों की नियुक्ति होनी थी।

  • निष्कर्ष : सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले नियुक्तियां नहीं कर पाई। ऐसे में बेरोजगारों का नौकरी का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।

सरकारी कर्मचारियों को दीपावली पर बोनस मिलेगा या नहीं
राजस्थान में पिछले छह चुनाव नवंबर-दिसंबर में ही हुए हैं। दीपावली अक्टूबर या नवंबर में होती है। सरकार किसी भी पार्टी की हो, उसे सरकारी कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा करनी होती है। इस बार दीपावली 12 नवंबर को है और उस दौरान आचार संहिता लगी होगी। राज्य सरकार को करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा करनी थी। करीब एक लाख कर्मचारी विभिन्न बोर्ड-निगम के भी हैं।

  • निष्कर्ष : सरकार अगर आचार संहिता लगने से पहले बोनस की घोषणा करती तो उसे आयोग से पूछने की जरूरत नहीं होती। अब आचार संहिता लगने के बाद सरकार को बोनस के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ेगी।

नहीं हो पाएंगे ढाई लाख शिक्षकों के तबादले
प्रदेश में करीब ढाई लाख शिक्षक पिछले साढ़े चार साल से तबादलों से बैन (प्रतिबंध) हटने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने बैन नहीं हटाया है। अब आचार संहिता लग गई है। ऐसे में शिक्षकों के तबादले भी नहीं हो पाएंगे।

1000 से ज्यादा सरकारी भवनों का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं होगा
प्रदेश में वर्तमान में विभिन्न बजट घोषणाओं के तहत हाल ही में बनाए गए नए जिलों में अस्पताल, कॉलेज, सड़क, कलेक्ट्रेट-पुलिस लाइंस, आवासीय योजनाओं आदि के भवनों का शिलान्यास, उद्घाटन, लोकार्पण आदि प्रक्रियाधीन हैं।

  • निष्कर्ष : 1000 से ज्यादा सरकारी भवनों का शिलान्यास या उद्घाटन नहीं हो सकेगा। आचार संहिता के कारण ये सभी अब अटक जाएंगे। इनका न तो शिलान्यास हो पाएगा, न ही उद्घाटन।

महिलाओं को मुफ्त मोबाइल मिलेंगे या नहीं
राजस्थान सरकार ने महिलाओं को इंटरनेट सेवा के साथ स्मार्टफोन उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना नाम से फ्री मोबाइल योजना शुरू की गई।

इस योजना के तहत प्रदेशभर में 1.35 करोड़ चिरंजीवी परिवार की महिला मुखिया और जनाधार कार्ड धारक महिलाओं को मुफ्त स्मार्टफोन दिए जा रहे हैं। फ्री मोबाइल योजना के तहत पहले चरण में 40 लाख महिलाओं को निशुल्क मोबाइल बांटने की घोषणा थी।

  • निष्कर्ष : अब आचार संहिता लगने के बाद फ्री मोबाइल को लेकर चुनाव आयोग ही निर्णय लेगा।

आचार संहिता में इन कामों पर भी पाबंदी

  • आचार संहिता लगने के बाद मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री उद्घाटन, शिलान्यास और लोकार्पण नहीं कर सकते।
  • मुख्यमंत्री या मंत्री राजकीय अतिथि गृहों, सर्किट हाउस, राजस्थान हाउस, जोधपुर हाउस-बीकानेर हाउस (दिल्ली) और स्टेट गेस्ट हाउस (राजस्थान सहित दिल्ली और मुंबई में राजस्थान के स्टेट गेस्ट हाउसेज भी शामिल) आदि में ठहर नहीं सकते हैं।
  • मुख्यमंत्री या मंत्री सरकारी वाहन से किसी राजनीतिक सभा, सम्मेलन, कार्यक्रम आदि में नहीं जा सकते।
  • मुख्यमंत्री या मंत्री सरकारी विभागों, अफसरों, पुलिस आदि की रूटीन मीटिंग के अलावा बैठक नहीं ले सकते। उन्हें कोई नया आदेश लागू करने के लिए नहीं कह सकते।
  • सरकार के लिए किसी नए कार्यक्रम को लॉन्च करना, नई योजना की घोषणा करना, नई भर्ती शुरू करना, नया बजट आवंटित करना, नई नीति लागू करना, सरकारी कार्मिकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग आदि करना संभव नहीं होगा।
  • प्रक्रियाधीन योजनाओं, सर्विस डिलीवरी, भर्ती परिणाम जारी करने या परिणाम बाद नियुक्ति देने के लिए भी सरकार को चुनाव आयोग की आज्ञा लेनी पड़ती है।
  • कोई आपदा, बाढ़, भूकंप आने की स्थिति में सरकार जनहित में जो भी जरूरी समझे, वो कर सकती है, लेकिन इसके लिए भी चुनाव आयोग से आज्ञा लेनी ही पड़ेगी।
  • सरकारी कर्मचारियों के लिए दीपावली पर बोनस और महंगाई भत्ता लागू करना होगा, लेकिन उसकी आज्ञा चुनाव आयोग से लेनी ही होगी।

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