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नेक्सा एवरग्रीन : 2700 करोड़ ठगने वालों का मास्टर गेम:धोलेरा सिटी में सीज प्रॉपर्टी की 150 से ज्यादा रजिस्ट्रियां बांटीं, हर फॉर्म में ड्राइवर-नौकर बने गवाह


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नेक्सा एवरग्रीन : 2700 करोड़ ठगने वालों का मास्टर गेम:धोलेरा सिटी में सीज प्रॉपर्टी की 150 से ज्यादा रजिस्ट्रियां बांटीं, हर फॉर्म में ड्राइवर-नौकर बने गवाह

2700 करोड़ ठगने वालों का मास्टर गेम:धोलेरा सिटी में सीज प्रॉपर्टी की 150 से ज्यादा रजिस्ट्रियां बांटीं, हर फॉर्म में ड्राइवर-नौकर बने गवाह

नेक्सा एवरग्रीन : गुजरात के सबसे बड़े प्रोजेक्ट धोलेरा सिटी के नाम पर 2700 करोड़ की ठगी के मास्टरमाइंड अब पीड़ितों के साथ माइंडगेम खेल रहे हैं। ठगों ने गिरफ्तार होने से पहले ही 1300 बीघा जमीन अपने ड्राइवरों और नौकरों के नाम पर ट्रांसफर कर दी थी। ताकि प्रॉपर्टी पर कोई आंच नहीं आए।

उधर, पुलिस जिस प्रॉपर्टी को सीज करने के दावे कर रही है, उसी जमीन की जेल में बैठे ठग रजिस्ट्रियां करवा रहे हैं। एक ही दिन में 150 प्लॉट की रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं। धोखाधड़ी की FIR करवाने वाले पीड़ितों पर ऑनलाइन मीटिंग कर राजीनामा करने का दबाव बना रहे हैं। कई पीड़ितों के फर्जी राजीनामे तक कोर्ट में पेश कर दिए हैं।

मीडिया ने पड़ताल कर जाना कि कैसे अंदरखाने रजिस्ट्री करवाई जा रही हैं। इन रजिस्ट्री में गवाह से लेकर प्रॉपर्टी चेंज कराने वाले फिक्स है। पढ़ें रिपोर्ट…।

ऑनलाइन मीटिंग में बोले : 15 से करेंगे रजिस्ट्री

नेक्सा कंपनी की एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी के लोग ही रोजाना ऑनलाइन मीटिंग करते हैं। एक दिन पहले ही कमेटी से जुडे़ नरेश कुमार ने दावा किया कि वे 15 सितंबर से अन्य लोगों की रजिस्ट्री करवाएगें। कोई रोक सकता है तो रोक लेना। जिन लोगों ने राजीनामा कर लिया है, उन लोगों को प्लॉट देकर रजिस्ट्री कराई जाएगी।

ठगों के लिए काम करने वाले लोगों ने अपने यू-ट्यूब चैनल भी बना रखे हैं। इन लोगों को रजिस्ट्री मिल गई है, ऐसे वीडियो डालकर पीड़ितों पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है।
ठगों के लिए काम करने वाले लोगों ने अपने यू-ट्यूब चैनल भी बना रखे हैं। इन लोगों को रजिस्ट्री मिल गई है, ऐसे वीडियो डालकर पीड़ितों पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है।

लक्ष्मणगढ़ की एक महिला ने ऑनलाइन मीटिंग में सवाल किया कि मैंने एफआईआर करवा रखी है। मुझे पुलिस बयान देने बुला रही है, मैं क्या करूं अब। तब उसे बोला गया कि पुलिस के पास बयान देने नहीं जाना है। जल्द ही समझौता हो जाएगा। इसके बाद बोला कि जो कोर्ट के रास्ते जा रहे हैं, उनका हिसाब नहीं होगा। जो लेना चाहते हैं, उन्हें रणवीर और सुभाष बाहर आकर देखेंगे।

खास बात है कि जिन लोगों ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, उन लोगों से समझौते करके राजीनामा करवाया जा रहा है। उनके राजीनामे के एफिडेविट को कोर्ट में पेश किया जा रहा है, ताकि कोर्ट में दावा प्रस्तुत कर जेल में बैठे ठगों को जमानत पर बाहर लाया जा सके। इतना ही नहीं कोर्ट में कई लोगों के झूठे समझौते के शपथ पत्र भी पेश किए गए हैं।

इस तरह से मीटिंग कर पीड़ितों पर समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है।
इस तरह से मीटिंग कर पीड़ितों पर समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है।

मीडिया के पास ऐसे लोगों के राजीनामा, एफआईआर और उनके प्लॉट की कॉपी भी है, जिन्होंने पहले एफआईआर कराई और फिर समझौता करके प्लॉट लेकर रजिस्ट्री करवा ली है।

35 से ज्यादा रजिस्ट्री में एक जैसे ही गवाह

मीडिया के पास 35 से ज्यादा रजिस्ट्री आई हैं, जोकि पिछले दो महीने में धोलेरा सिटी के करीब 1300 बीघा की लैंड में से है। अब तक 150 से ज्यादा लोगों की रजिस्ट्री कराई जा चुकी है। ये रजिस्ट्री अहमदाबाद से कराई जा रही है। इन रजिस्ट्री का मीडिया ने एनालिसिस किया तो पता लगा कि तीन नाम ऐसे हैं, जोकि हर रजिस्ट्री में हैं। इन्हें या तो गवाह बनाया गया है या फिर विक्रेता।

ज्यादातर रजिस्ट्री में तीन ही लोगों के बतौर गवाह नाम सामने आए हैं। सोहनलाल, गंगा बक्स और नरेश कुमार।
ज्यादातर रजिस्ट्री में तीन ही लोगों के बतौर गवाह नाम सामने आए हैं। सोहनलाल, गंगा बक्स और नरेश कुमार।

इन रजिस्ट्री में गंगाबक्स पुत्र भींवाराम निवासी भैंरूपुरा सीकर, सोहनलाल पुत्र प्यारेलाल निवासी खुड़ी सीकर व नरेश कुमार पुत्र रिछपाल सिंह निवासी जेरठी सीकर के नाम आए हैं। इनके कई वीडियो भी सामने आए हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों का पैसा लगा हुआ है, उनका हिसाब जमीन से चालू कर दिया गया है। जिन लोगों ने मुकदमा दर्ज नहीं है और कमेटी पर विश्वास किया है, वे धैर्य रखें, सभी का हिसाब किया जा रहा है।

पुलिस का दावा प्रॉपर्टी सीज, फिर कैसे हुई रजिस्ट्री?

नेक्सा कंपनी के ठग रणवीर, सुभाष के साथ अन्य लोगों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने कंपनी की करीब 1300 बीघा जमीन को सीज कर दिया था। ये जमीन अहमदाबाद में बताई जा रही है। इनके बैंक अकाउंट भी सीज कर दिए गए थे। नेक्सा के नाम पर 6 से ज्यादा कंपनी है। रणवीर और सुभाष ने कई कंपनियों में अपने ड्राइवरों और नौकरों को भी पार्टनर बनाया था। अब यही पार्टनर जमीन की डील कर ट्रांसफर कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि जमीन सीज होने के बाद भी अहमदाबाद से कैसे रजिस्ट्री कराई जा रही है।

अब जो जमीन ट्रांसफर कर दी जा रही है, वो शीला प्रोजेक्ट में दी जा रही है। रजिस्ट्री में प्रोजेक्ट की डिटेल भी दी गई है। ये गैर कृषि भूमि है। सूत्रों का कहना है कि 150 रजिस्ट्री हो चुकी है। जिनकी अनुमान के मुताबिक लागत 80 करोड़ से 100 करोड़ रुपए है जबकि नेक्सा के पूरे प्रोजेक्ट की 2000 करोड़ रुपए की जमीने बताई जा रही है।

जिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सौंपी जा रही है, उनमें लगी प्लॉट की फोटो सभी में एक जैसी ही है।
जिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सौंपी जा रही है, उनमें लगी प्लॉट की फोटो सभी में एक जैसी ही है।

रजिस्ट्री किसके नाम और कैसे कराई गई

केस -1 : लालाराम के नाम प्लॉट नंबर 98 हुआ ट्रांसफर

30 जून 2023 को एक रजिस्ट्री कराई गई है, जिसमें लालाराम को प्लॉट नंबर 98 के करीब 165 गज की रजिस्ट्री अहमदाबाद से कराई गई है। लालाराम दूदू के रहने वाले हैं। इसमें सोहनलाल पुत्र प्यारेलाल निवासी खुड़ी सीकर ने प्लॉट बेचा है। प्लॉट की कीमत एक लाख 6 हजार रुपए दिखाई गई है जिसमें 5300 रुपए स्टांप डयूटी भी दी गई है। प्लॉट की फोटो भी लगाई गई है। खरीदार और बेचने वाले के फोटो के साथ हस्ताक्षर हैं। साथ ही गंगा बक्स और नरेश कुमार को गवाह बनाया गया है। इन दोनों की भी आईडी पहचान पत्र की कॉपी रिकॉर्ड में लगाई गई है।

केस-2 : गिरधारी सिंह के नाम प्लॉट नंबर 93 ट्रांसफर

प्लॉट नंबर 98 को भी सोहनलाल ने ट्रांसफर किया है। ये प्लॉट भी 30 जून को ही गिरधारी सिंह के नाम पर ट्रांसफर हुआ है। प्लॉट 255 गज का है। कीमत रिकॉर्ड में तीन लाख 23 हजार रुपए बताई गई है और इस पर स्टांप डयूटी 15 हजार 900 रुपए जमा कराई गई है।

हैरानी की बात है कि लालाराम को प्लॉट नंबर 98 बेचा गया है, उसके डॉक्यूमेंट्स में प्लॉट की जो फोटो लगाई गई थी, इसमें भी वैसे ही हुबहू फोटो लगाई गई है। इतना ही नहीं इसमें भी गवाह के नाम गंगाबक्स और नरेश कुमार के नाम लिखे गए हैं।

इस तरह से करीब 35 लोगों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि एक दो मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें राजीनामा फर्जी तरीके से तैयार किया गया था।
इस तरह से करीब 35 लोगों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि एक दो मामले ऐसे भी आए हैं, जिनमें राजीनामा फर्जी तरीके से तैयार किया गया था।

ऐसे ही अमित सेवदा, दिनेश कुमार को प्लॉट बेचे गए हैं। इनमें भी विक्रेता सोहनलाल को बनाया गया है जबकि गवाह के रूप में गंगाबक्स और नरेश कुमार के नाम दिए गए हैं।

केस- 3 : ओमप्रकाश के नाम पर प्लॉट नंबर 18 ट्रांसफर

30 जून को ही ओमप्रकाश के नाम पर प्लॉट नंबर 18 को ट्रांसफर किया गया है। इस प्लॉट को गंगाबक्स ने बेचा है। जो पहले कई प्लॉटों को बेचने में गवाह बना था। इस प्लॉट का साइज 271 गज का है। इसमें 1.79 लाख में सौदा किया गया है और 8900 रुपए की स्टांप डयूटी दी गई है। इस प्लॉट में नरेश कुमार के साथ दूसरा गवाह सोहनलाल को बनाया गया है। इस प्लॉट को बेचने में भी वहीं फोटो लगाई गई है, जोकि अन्य प्लाट की लगाई थी। सारे प्लॉट्स में एक जैसे ही फोटो लगाए गए हैं।

रणवीर बिजारणिया और सुभाष बिजारणिया का ड्राइवर है गंगाबक्स

गंगाबक्स भैरूपुरा गांव का रहने वाला है। फरवरी में पुलिस गांव में जांच करने पहुंची थी तब से अपने गांव में नहीं गया है। गंगाबक्स 2019 से नेक्सा कंपनी के डायरेक्टर रणवीर और सुभाष से जुड़ा था। गंगाबक्स इन दोनों का ड्राइवर बन गया था। दोनों के साथ ही गाड़ी लेकर जाता था। 2019 से पहले गांव में ट्रैक्टर चलाता था। गांव में खेती करता था। 2019 में कंपनी में जुड़ने के बाद से गंगाबक्स हाईप्रोफाइल जिंदगी जीने लगा था।

रजिस्ट्री में गंगा बक्स को इस जमीन का पूर्व मालिक बताया गया है, वो नेक्सा के महाठगों का ड्राइवर है।
रजिस्ट्री में गंगा बक्स को इस जमीन का पूर्व मालिक बताया गया है, वो नेक्सा के महाठगों का ड्राइवर है।

वहीं, दूसरा गवाह सोहनलाल सीकर के खुड़ी गांव का रहने वाला है। पिता बिजली बोर्ड में थे, अब रिटायर हो चुके हैं। नेक्सा कंपनी से 2019 में जुड़ कर रणवीर और सुभाष के साथ रहने लग गया था। डॉक्टर विनोद ने सोहनलाल को 2019 में ही नेक्सा कंपनी से जोड़ा था। डॉक्टर विनोद दिल्ली का रहने वाला है। सोहनलाल ने धोलेरा सिटी से कई लोगों के नाम पर जमीन ट्रांसफर की है। 2019 से पहले सोहनलाल बेरोजगार था।

एक एफआईआर में 530 पीड़ित, 35 के राजीनामा

जयपुर की एक एफआईआर में 530 पीड़ितों के नाम थे। इनमें से भी 35 लोगों ने समझौते कर राजीनामा किया है। ठगों के खिलाफ 100 से ज्यादा एफआईआर अलग-अलग जिलों के थानों में दर्ज हैं, जिनमें 5000 से अधिक पीड़ित लोगों के नाम हैं। धीरे-धीरे ठगी के शिकार और पीड़ित भी सामने आ रहे हैं।

पड़ताल में पता लगा है कि अधिकतर उन लोगों के नाम पर जमीनें ट्रांसफर की गई हैं, जिन्होंने एफआईआर कराई थी। एफआईआर दर्ज कराने के बाद इन्होंने कमेटी के लोगों से राजीनामा करके मुकदमा वापस कर लिया है। राजीनामा की कॉपी भी कोर्ट में पेश की गई है। ऐसे में कमेटी के लोग अन्य लोगों से भी संपर्क कर रहे हैं ताकि जमीन देकर राजीनामा किया जा सके।

ऐसे ही एक पीड़ित सतबीर सिंह ने बताया कि कमेटी ने उनसे भी पहले संपर्क किया था। उन्हें जमीन देने का भी वादा किया था, लेकिन उसे वे जमीन ऐसी जगह पर दे रहे हैं, जहां पर कचरा है, कीचड़ है। सतबीर ने धोलेरा सिटी के रंगोली गार्डन वाली जमीन पर प्लॉट देने को बोला तो कमेटी ने उसे साफ मना कर दिया था।

पहले से जमानत की तैयारी

रणवीर और सुभाष ने जनवरी में लोगों की पेमेंट को रोक दिया था। सारे डायरेक्टर रातों-रात ही फरार हो गए थे। नेक्सा की ही 6 कंपनियां बनाई गई थीं। इन्हीं कंपनियों में ड्राइवरों और नौकरों को भी पार्टनर बनाया गया था। इन कंपनियों के नाम पर भी जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई थी। अब इन कंपनियों में शामिल पार्टनर ही जमीनों का लेनदेन कर रहे हैं।

नेक्सा कंपनी के डायरेक्टर रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां, ओपेंद्र बिजारणियां, अमरचंद ढाका, दातार सिंह, गोपाल दूधवाल को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं शीशराम बिजारणियां, महावीर बिजारणियां, दिलीप बिजारणियां, सुधीश मील, बनवारी महरिया, मोहित पचार, अंजू, लक्ष्मी, गिरीजा, समीर खान, सलीम खान, गोपाल राठौड़, मेघ सिंह, नियाज खान के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हैं। इन्हें पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है। कंपनी के ठग तो जेल में बैठे हैं, लेकिन प्लान बनाकर जमानत कराने के लिए लोगों से मुकदमे वापस कराए जा रहे हैं।

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