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जयपुर : पूरी हड्डी काटे बिना निकाल सकते हैं बच्चों का ब्रेन-ट्यूमर:इंटरनेशनल मैनिनजिओमा सोसायटी कॉन्फ्रेंस का समापन, दुनियाभर के एक्सपर्ट ने बताई नई तकनीक


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जयपुर : पूरी हड्डी काटे बिना निकाल सकते हैं बच्चों का ब्रेन-ट्यूमर:इंटरनेशनल मैनिनजिओमा सोसायटी कॉन्फ्रेंस का समापन, दुनियाभर के एक्सपर्ट ने बताई नई तकनीक

पूरी हड्डी काटे बिना निकाल सकते हैं बच्चों का ब्रेन-ट्यूमर:इंटरनेशनल मैनिनजिओमा सोसायटी कॉन्फ्रेंस का समापन, दुनियाभर के एक्सपर्ट ने बताई नई तकनीक

जयपुर : बच्चों में स्कल बेस्ड सर्जरी में अब एंडोस्कोप तकनीक बेहद कारगर है। इसके प्रयोग से मरीज के ब्रेन से पूरा ट्यूमर निकाला जा सकता है। साथ ही पूरी हड्डी काटे बिना, छोटे से चीर से यह सर्जरी की जा सकती है। ऑपरेशन के बाद भी किसी तरह की जटिलता नहीं रहती और रिकवरी भी तेज होती है। इंटरनेशनल मैनिनजिओमा सोसायटी, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोसर्जिकल सोसायटी और न्यूरोवेलफेयर सोसायटी ऑफ जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में एक्सपर्ट्स ने कुछ ऐसी ही जानकारियां दी। कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि, दूसरे दिन हुए अलग-अलग साइंटिफिक सेशन में एक्सपर्ट्स ने अपनी रिसर्च और जटिल केसों के बारे में प्रजेंटेशन दी।

डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि, दूसरे दिन हुए अलग-अलग साइंटिफिक सेशन में एक्सपर्ट्स ने अपनी रिसर्च और जटिल केसों के बारे में प्रजेंटेशन दी।
डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि, दूसरे दिन हुए अलग-अलग साइंटिफिक सेशन में एक्सपर्ट्स ने अपनी रिसर्च और जटिल केसों के बारे में प्रजेंटेशन दी।

डॉ. अवधेश जायसवाल ने ऑर्बिटल मैनिनजिओमा, डॉ. दीपू बनर्जी ने इंट्रावेंटिकुलर मैनिनजिओमा के मैनेजमेंट, डॉ. आरसी मिश्रा ने एग्रेसिव मैनिनजिओमा के बारे में टॉक दिया। प्रो. बसंत मिश्रा ने मैनिनजिओमा ट्यूमर की जटिलताओं के बारे में बताया। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. विवेक वैद ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में 50 पेपर्स प्रदर्शित किए गए हैं। मुंबई के डॉ. सी.ई देओपुजारी और अमेरिका के डॉ. समेर एलबाबा ने बच्चों में ब्रेन की समस्याओं के इलाज में एंडोस्कोपी सर्जरी के प्रयोग के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एंडोस्कोप की मदद से छोटे बच्चों में भी गहराई तक ट्यूमर निकाले जा सकते हैं। इसके लिए पूरी हड्डी काटनी नहीं पड़ती और छोटे से चीरे व हड्डी में छेद करके भी सर्जरी की जा सकती है। इसमें खून भी ज्यादा नहीं बहता, रिकवरी तेज होती है और ऑपरेशन के बाद की जटिलता भी कम होती है।

ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. विवेक वैद ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में 50 पेपर्स प्रदर्शित किए गए हैं।
ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. विवेक वैद ने कहा कि कॉन्फ्रेंस में 50 पेपर्स प्रदर्शित किए गए हैं।

विश्व के प्रख्यात न्यूरोसर्जन डॉ. मद्जिद सामी ने डॉ. एसआर धारकर ओरेशन में न्यूरोसर्जरी की शुरुआत से अब तक आए एडवांसमेंट के बारे में बताया। उन्होंने न्यूरोसर्जरी तब शुरू की जब सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी जांचें भी नहीं थी और रीढ़ के जरिए दिमाग में हवा भरकर जांच की जाती थी। उन्होंने बताया कि सन 1966 में माइक्रोस्कोप का न्यूरोसर्जरी में इस्तेमाल शुरू होना टर्निंग प्वाइंट रहा। इसके बाद ब्रेन सर्जरी काफी आसान हो गई।

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