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दिल्ली : Wrestlers Protest: ’10 दिन बाद भी बयान दर्ज नहीं’, स्वाति मालीवाल ने DP को भेजा समन, जानें क्या है 164 CRPC


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दिल्ली : Wrestlers Protest: ’10 दिन बाद भी बयान दर्ज नहीं’, स्वाति मालीवाल ने DP को भेजा समन, जानें क्या है 164 CRPC

दिल्ली महिला आयोग ने बृज भूषण सिंह के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद पहलवानों के बयान दर्ज नहीं होने पर नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।

दिल्ली : दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच दिल्ली महिला आयोग की ओर से दिल्ली पुलिस को एक नोटिस जारी किया गया है। आयोग ने पूछा है कि आखिर एफआईआर दर्ज होने के 10 दिन बाद महिला पहलवानों के बयान दर्ज नहीं किए गए हैं। इस मामले पर आयोग ने पुलिस को समन जारी कर जवाब मांगा है।

पहले लंबे समय तक पुलिस ने #BrijBhushan पर FIR नहीं की। आंदोलन और कोर्ट के दबाव में मजबूरी में FIR दर्ज हुई तो अब 11 दिन बाद भी महिला #Wrestlers के 164 के बयान नहीं हुए। बृजभूषण को गिरफ़्तारी से बचाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। पुलिस को Summon जारी कर जवाब माँगा है।

बता दें कि बृज भूषण सिंह के खिलाफ पोस्को के तहत मुकदमा दर्द होने के बावजूद महिला पहलवानों के कोर्ट में 164 के बयान नहीं कराए जाने पर दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। वहीं दूसरी तरफ कुछ दिन पहले ही दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने महिला पहलवानों से मुलाकात की थी। इससे एक दिन पहले ही स्वाति मालीवाल को दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी पहलवानों से मिलने जंतर-मंतर पर जाने के दौरान हिरासत में ले लिया था।

स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर पुलिस से मांगा जवाब

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि काफी लंबे समय तक दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण सिंह पर FIR नहीं की। आगे लिखा कि आंदोलन और कोर्ट के दबाव में एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन अब 11 दिनों के बाद भी महिला पहलवानों के 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज नहीं हुए। आखिर बृज भूषण सिंह को गिरफ्तारी से बचाने के लिए कैसे कैसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। पुलिस को समन जारी कर जवाब मांगा गया है।

जानें क्या है 164 CRPC
सीआरपीसी की धारा 164  के तहत इकबालिया बयान दर्ज होता है। कोई भी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या जूडिशियल मजिस्ट्रेट इन्हें दर्ज कराने के आदेश दे सकते हैं। यह पूरी तरह से उस व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह बयान दर्ज कराए या नहीं। सीधे तौर पर कह सकते हैं कि सीआरपीसी की धारा 164 में कहा गया है कि संस्वीकृतियों और कथनों को अभिलिखित करना यानी स्वयं किसी अपराध को स्वीकार करना या घटनाक्रम की जानकारी को बताना है।

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