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पलसाना ट्रॉमा सेंटर में 8 माह बाद भी डॉक्टर-संसाधन नहीं:गंभीर मरीज सीकर रेफर, सीएचसी जैसी सुविधाओं पर निर्भर


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पलसाना ट्रॉमा सेंटर में 8 माह बाद भी डॉक्टर-संसाधन नहीं:गंभीर मरीज सीकर रेफर, सीएचसी जैसी सुविधाओं पर निर्भर

पलसाना ट्रॉमा सेंटर में 8 माह बाद भी डॉक्टर-संसाधन नहीं:गंभीर मरीज सीकर रेफर, सीएचसी जैसी सुविधाओं पर निर्भर

पलसाना : पलसाना में राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने ट्रॉमा सेंटर का मार्च में उद्घाटन हुआ था। आठ महीने बीत जाने के बाद भी यह ट्रॉमा सेंटर केवल नाम का रह गया है। यहां न तो विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं और न ही आवश्यक चिकित्सा उपकरण। गंभीर मरीजों को आज भी प्राथमिक उपचार के बाद सीकर या जयपुर रेफर किया जा रहा है।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पलसाना में ट्रॉमा सेंटर बनाने की घोषणा की थी और इसके लिए बजट भी स्वीकृत किया गया था। भवन निर्माण पूरा होने के बाद मार्च में इसका औपचारिक शुभारंभ तो कर दिया गया, लेकिन सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका। सरकार ने इसके संचालन के लिए 10 नर्सिंगकर्मियों के साथ डॉ. इशांत शर्मा, डॉ. आयुष मिश्रा और डॉ. सांवरमल जांगिड़ सहित तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की थी।

हालांकि नियुक्त किए गए तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों में से डॉ. इशांत शर्मा और डॉ. सांवरमल जांगिड़ वापस चले गए हैं। डॉ. आयुष मिश्रा भी स्वास्थ्य कारणों से नियमित सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं। इस स्थिति में ट्रॉमा सेंटर में विशेषज्ञ डॉक्टरों का पूरी तरह अभाव है।

ट्रॉमा सेंटर में अब तक ऑपरेशन थिएटर का निर्माण नहीं हो पाया है। इसके अलावा, गंभीर दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए आवश्यक उपकरण और मशीनें भी उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि एंबुलेंस से लाए गए गंभीर घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद सीकर या जयपुर रेफर करना पड़ता है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन कर केवल औपचारिकता पूरी की है, जबकि वास्तविक सेवाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं। ट्रॉमा सेंटर शुरू होने से लोगों में राहत की उम्मीद जगी थी, लेकिन डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के कारण निराशा बढ़ रही है। ग्रामीणों ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से जल्द से जल्द संसाधन उपलब्ध कराने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की मांग की है, ताकि क्षेत्र के मरीजों को ट्रॉमा सेवाओं का लाभ मिल सके।

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