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झुंझुनूं के आस्था अस्पताल ने डाला बायोमेडिकल वेस्ट नगरपरिषद की ट्रॉली में सभी जिम्मेदारों के लिए सवालिया निशान


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झुंझुनूं के आस्था अस्पताल ने डाला बायोमेडिकल वेस्ट नगरपरिषद की ट्रॉली में सभी जिम्मेदारों के लिए सवालिया निशान

मौके पर पहुंचे नगर परिषद, पॉल्यूशन बोर्ड और चिकित्सा विभाग के अधिकारी

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त वाली कहावत गुरुवार को झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर चरितार्थ हुई। लोगों के बेहतर स्वास्थ्य देने का दम्भ भरने वाली केंद्र और राज्य सरकार से हर महीने वेतन पाने वाले अधिकारियों की सुस्ती और आमजन का जीवन स्वस्थ हो पर संघर्ष समिति के नौजवानों की चुस्ती ने प्रशासन को दिखाया आइना। बायो मेडिकल वेस्ट जन संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को झुंझुनूं शहर के इंदिरा नगर स्थित आस्था अस्पताल के बाहर नगर परिषद के कचरा उठाने वाले ट्रैक्टर -ट्रॉली को उस समय रोक लिया, जब उसमें अस्पताल का मेडिकल बायो वेस्ट डाला जा रहा था। संघर्ष समिति के सदस्यों ने ट्रैक्टर के आगे बैठकर कॉमरेड महिपाल पूनिया के नेतृत्व में चिकित्सा, पॉल्यूशन नियंत्रण व नगर परिषद को सूचना देकर अधिकारियों के पहुंचने तक धरना दिया।

समिति कार्यकर्ता ने पिछले कई दिनों से चिकित्सा विभाग, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नगर परिषद और जिला कलेक्टर से मेडिकल बायो वेस्ट के गलत निस्तारण को लेकर शिकायतें की थी। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने अस्पतालों पर निगरानी शुरू कर दी थी। गुरुवार को ट्रैक्टर में बायो वेस्ट डाले जाते देख कार्यकर्ताओं ने वाहन को मौके पर रोक लिया और अधिकारियों को सूचना दी।

सूचना पर नगर परिषद से सहायक अभियंता रोहित जांगिड़, सीएमएचओ कार्यालय से विक्रम सिंह जिला प्रोग्राम मैनेजर और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से रामकिशन एनवायरमेंट इंजीनियर मौके पर पहुंचे और अस्पताल प्रशासन से पूछताछ की। चिकित्सा विभाग के विक्रम सिंह ने अस्पताल प्रशासन से बातचीत के बाद माना कि अस्पताल कर्मचारियों से गलतीवश मेडिकल वेस्ट का कुछ हिस्सा नगर निकाय की कचरा उठाने वाली ट्रॉली में चला गया, और इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन को हिदायत देने के साथ ही स्टाफ को बायो मेडिकल वेस्ट के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी व अस्पताल को नोटिस जारी करने की बात कही।

मेडिकल बायो वेस्ट के दुष्प्रभाव

मेडिकल वेस्ट में उपयोग की गई सुइयाँ, पट्टियाँ, ब्लड बैग, दवाइयाँ और संक्रमित सामग्री शामिल होती हैं। अगर इन्हें सामान्य कचरे में या खुले में फेंका जाता है, तो यह वातावरण और जनस्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा बन जाता है। ऐसे वेस्ट से हेपेटाइटिस-B, हेपेटाइटिस-C, एचआईवी, टिटनेस, त्वचा संक्रमण और श्वसन रोग जैसी बीमारियाँ फैल सकती हैं। इसके अलावा, खुले में पड़े मेडिकल वेस्ट से पशु-पक्षियों और भूजल तक संक्रमण पहुंचने की संभावना रहती है, जिससे व्यापक स्तर पर महामारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

महामारी फैलने का खतरा एनजीटी में जाएंगे

बार-बार चेताने के बावजूद बायो मेडिकल वेस्ट का सही निस्तारण नहीं किया जा रहा, जिससे महामारी फैलने का खतरा है। पूनिया ने चेतावनी दी कि अगर अब भी प्रशासन ने सख्त कार्रवाई नहीं की, तो संगठन बड़े आंदोलन और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर रुख करेगा। बायो- मेडिकल वेस्ट का गलत निस्तारण आम जनमानस के लिए एक नासूर बना हुआ है ऐसे में जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पूरे पुख्ता सबूत के साथ शीघ्र ही रुख किया जाएगा। – कॉमरेड महिपाल पूनिया संयोजक बायो- मेडिकल वेस्ट जन संघर्ष समिति झुंझुनूं

यह होता है मेडिकल बायो वेस्ट

अस्पतालों, क्लीनिकों, पैथोलॉजी लैब और नर्सिंग होम में मरीजों के इलाज या जांच के दौरान निकलने वाला कचरा जैसे सुई, सिरिंज, पट्टियाँ, ब्लड बैग, ग्लव्स, उपयोग की गई दवाइयां और संक्रमित सामग्री बायो मेडिकल वेस्ट कहलाता है।

ऐसे किया जाना चाहिए निस्तारित

ऐसे वेस्ट को अलग-अलग रंगों वाले बायो वेस्ट डिब्बों (पीला, लाल, नीला, काला) में डालकर अधिकृत एजेंसी द्वारा निस्तारित किया जाता है। हर अस्पताल को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मान्यता प्राप्त एजेंसी के माध्यम से ही इसका निपटान करवाना होता है।

घातक बीमारियों का खतरा

गलत तरीके से फेंके गए मेडिकल वेस्ट से एचआईवी, हेपेटाइटिस-B, हेपेटाइटिस-C, टिटनेस, त्वचा संक्रमण जैसी घातक बीमारियां फैल सकती हैं। साथ ही यह जल, मिट्टी और हवा को प्रदूषित कर पर्यावरण पर भी गंभीर असर डालता है। बायो-मेडिकल कचरे में संक्रामक, रासायनिक या रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते हैं, और इनका अनुचित निपटान मिट्टी और पानी को दूषित कर सकता है, जिससे मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।

कानून में जुर्माना व सजा का प्रावधान

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत यदी स्वास्थ्य सेवा इकाइयां बायो – मेडिकल कचरे को सही ढंग से कीटाणुरहित नहीं करती तो उलंघन करने पर 5 वर्ष की कैद और 1 लाख का जुर्माना हो सकता है। झुंझुनूं के मामले में बायो वेस्ट निस्तारण करने वाली एजेंसी के पास ही मेडिकल कचरा नहीं पहुंचेगा तो कीटाणुरहित कैसे होगा ? यह लापरवाही दंडनीय अपराध है।

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