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सऊदी अरब में ‘पधारो म्हारे देस’:रियाद में भारतीय दूतावास का तीसरा ‘प्रवासी परिचय’ उत्सव; राजस्थानियों का परचम


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सऊदी अरब में ‘पधारो म्हारे देस’:रियाद में भारतीय दूतावास का तीसरा ‘प्रवासी परिचय’ उत्सव; राजस्थानियों का परचम

सऊदी अरब में 'पधारो म्हारे देस':रियाद में भारतीय दूतावास का तीसरा 'प्रवासी परिचय' उत्सव; राजस्थानियों का परचम

झुंझुनूं : सऊदी अरब की राजधानी रियाद में भारतीय दूतावास की ओर से तीसरा ‘प्रवासी परिचय’ सांस्कृतिक उत्सव मनाया गया। इसमें राजस्थानियों ने अपनी परम्पराओं और संस्कृति का शानदार प्रदर्शन किया। अपनी समृद्ध संस्कृति, अटूट एकता और असाधारण सामुदायिक समर्पण के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रोग्राम राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) को रियाद स्थित भारतीय दूतावास में हुआ। कार्यक्रम 28 अक्टूबर से शुरू हुए जो 3 नवंबर तक चलेंगे। आयोजन में राजस्थान की टीम ने शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। साथ ही बेहतरीन प्रबंधन और निस्वार्थ सेवा की मिसाल पेश की।

गुलाम खां सोती ने किया नेतृत्व

कार्यक्रम में राजस्थान टीम का नेतृत्व गुलाम खां सोती ने किया। राजस्थान की टीम ने सिद्ध किया कि उनका प्रदेश अपनी सदियों पुरानी ‘मरुधरा’ संस्कृति का प्रतीक है और विदेशों में रहने वाले अपने नागरिकों के बीच गहन सहयोग और भाईचारे का केंद्र है। कार्यक्रम स्थल पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले बैनरों और सूचना पट्ट भी लगाए गए। डॉ. इदरीस गोड़ के सहयोग से प्रोग्राम और पूरा आयोजन किया गया।

राजदूत ने की तारीफ

भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान ने सभी राज्यों, विशेष रूप से राजस्थान की भागीदारी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा-यह उत्सव भारत की ‘विविधता में एकता’ के सिद्धांत को सऊदी अरब की धरती पर मजबूती से स्थापित करता है।

सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रदर्शन

मंच पर राजस्थानी कलाकारों ने अपनी जीवंत कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों में रंगीन और ऊर्जा से भरपूर लोक नृत्य, भावपूर्ण लोक गीत, और एक हास्य कार्यक्रम शामिल थे। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने विशेष रूप से कालबेलिया नृत्य और प्रसिद्ध लोक धुन ‘पधारो म्हारे देस’ की प्रस्तुति की सराहना की।

अटूट सामुदायिक बंधन की मिसाल

इस आयोजन की सफलता केवल रियाद के प्रवासियों तक सीमित नहीं रही। दम्माम और जुबैल जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से भी राजस्थानी प्रवासियों का बड़ी संख्या में विशेष रूप से शामिल हुए। यह भागीदारी ‘प्रवासी परिचय’ को सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सीमित न रखकर, इसे सामुदायिक एकता और गर्व के उत्सव में बदल दिया।

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