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श्रीमद्भागवत कथा में गोवर्धन पर्वत, 56 भोग व रासलीला की जीवंत झांकी आकर्षण का केंद्र


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श्रीमद्भागवत कथा में गोवर्धन पर्वत, 56 भोग व रासलीला की जीवंत झांकी आकर्षण का केंद्र

तुलस्यान परिवार के आयोजन में भक्तिभाव से सराबोर हुआ कथा स्थल, संत हरिशरण महाराज ने सुनाई दिव्य लीलाएं

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : शहर के चूना चौक स्थित आशीर्वाद पैलेस में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस बुधवार को व्यासपीठ से संत हरिशरण महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला, 56 भोग और रासलीला के दिव्य प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया। महाराज ने कहा कि जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा, तब इंद्र ने क्रोधित होकर भयंकर वर्षा की। उस समय श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को आश्रय दिया और इंद्र का अहंकार भंग किया। इसके बाद ब्रजवासियों और गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम प्रकट किया। संत श्री ने उद्धव-गोपी संवाद और रासलीला का भावपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि जब वृंदावन में रात्री समय श्रीकृष्ण गोपियों संग नृत्य करते हैं, तो हर गोपी को लगता है कि कृष्ण उसी के साथ हैं – यह लीला भक्ति और दिव्य मिलन का प्रतीक है।

जीवंत झांकियों ने मोहा मन

कथा स्थल पर गोवर्धन पर्वत, 56 भोग और रासलीला की सुंदर झांकियां सजाई गईं, जिन्होंने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। कथा का शुभारंभ तुलस्यान परिवार की स्नेहलता एवं डॉ. डी.एन. तुलस्यान द्वारा भागवत पूजन से हुआ। यह आयोजन श्री श्याम आशीर्वाद सेवा संस्थान के तत्वावधान में तथा केशरदेव देवकीनंदन तुलस्यान परिवार के सौजन्य से किया जा रहा है।

प्रतिदिन सेवा कार्य और प्रभात फेरी

आयोजक डॉ. डी.एन. तुलस्यान ने बताया कि कुलदेवी श्री राणीसती दादीजी एवं पितृ कृपा से कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक आयोजित हो रही है। हर सुबह 5 बजे प्रवचन, 7 बजे प्रभात फेरी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े सेवा कार्य भी किए जा रहे हैं। कथा समापन से पूर्व इस्कॉन भक्तों द्वारा हरिकीर्तन विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।

सजावट व प्रसाद व्यवस्था सराही गई

भागवत पूजन पंडित संजू के आचार्यत्व में विद्वान पंडितों द्वारा संपन्न हुआ। प्रसाद व्यवस्था हरीश तुलस्यान (पुष्करजी केटर्स) द्वारा तथा कथा स्थल की सुंदर सजावट आशीष तुलस्यान (मां भगवती डायमंड आर्ट) द्वारा की गई। कथा समापन आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।

संतों व गणमान्यजनों की रही उपस्थिति

इस अवसर पर बगड़ द्वादुद्वारा पीठाधीश्वर डॉ. अर्जुनदास महाराज, केशरदेव तुलस्यान, डॉ. डी.एन. तुलस्यान, योगेश तुलस्यान, सीए प्रशांत तुलस्यान, सूरत से विनोद, श्रवण व पंकज बेरीवाला, जयपुर से राधेश्याम ढंढारिया, भीलवाड़ा से माधव गोयनका, झुंझुनूं से सुनील अग्रवाल, राजेश केजडीवाल, श्यामसुंदर तुलस्यान सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।

कल कथा विश्राम

आयोजक डॉ. डी.एन. तुलस्यान ने बताया कि 30 अक्टूबर (गुरुवार) को दोपहर 1 बजे से कथा होगी, जिसमें फूलों की होली के साथ कथा को विश्राम दिया जाएगा।

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