झुंझुनूं में बगड़ थाने के 6 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर:एसपी ने मांगें मानी, वकीलों ने उठाया धरना; मेले के दौरान पार्किंग में हुआ था झगड़ा
झुंझुनूं में बगड़ थाने के 6 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर:एसपी ने मांगें मानी, वकीलों ने उठाया धरना; मेले के दौरान पार्किंग में हुआ था झगड़ा

बगड़ : पिछले दस दिनों से वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच चला आ रहा विवाद आखिरकार बुधवार को समाप्त हो गया। जिला अभिभाषक संस्था के बैनर तले चले इस आंदोलन ने जिलेभर की अदालतों को ठप कर दिया था। लेकिन अब पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय के हस्तक्षेप और मांगें मानने के बाद वकीलों ने धरना-प्रदर्शन खत्म करने का फैसला लिया। एसपी ने वकीलों को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया और बगड़ थाने के 6 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।
अदालतों में फिर चहल-पहल
9 सितंबर से शुरू हुआ यह कार्य बहिष्कार जिले की न्याय व्यवस्था में बाधित साबित हो रहा था। लगातार 14 दिनों तक अदालतों में कामकाज ठप पड़ा रहा। वादकारी मायूस होकर लौटते रहे। लेकिन बुधवार को वकीलों ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की तो कोर्ट परिसर में फिर से चहल-पहल लौट आई। अदालतों में सुनवाई की प्रक्रिया सामान्य होने लगी, जिससे वादकारियों को राहत मिली।
इन पुलिसकर्मियों को किया गया लाइन हाजिर
वकीलों के आंदोलन की मांग पर बगड़ थाने के कुल छह पुलिसकर्मियों को एसपी ने लाइन हाजिर कर दिया। इनमें रमन कॉन्स्टेबल, मनीष कॉन्स्टेबल, लक्ष्मीनिवास कॉन्स्टेबल, महेन्द्र कॉन्स्टेबल, सुनील महिला कॉन्स्टेबल और अनिल कॉन्स्टेबल शामिल हैं। इससे पहले सुरेंद्र नामक कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर किया जा चुका था। इस तरह अब तक कुल सात पुलिसकर्मियों को हटाकर लाइन हाजिर किया गया है।
एसपी ने दिया निष्पक्ष जांच का भरोसा
धरना समाप्त करवाने के लिए बुधवार को पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय ने वकीलों से बातचीत की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस आश्वासन के बाद जिला अभिभाषक संस्था ने बैठक कर आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया।
वृंदावन मेले हुआ था विवाद
पूरा विवाद वृंदावन मेले के दौरान पार्किंग के झगड़े से शुरू हुआ था। एडवोकेट सुरेंद्र कुमावत और पुलिसकर्मियों के बीच बगड़ थाने में तीखी कहासुनी और हाथापाई हुई थी। वकील पक्ष का आरोप था कि पुलिस ने एडवोकेट के साथ मारपीट की और उन पर शांतिभंग का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। इस घटना को वकील समाज ने न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला माना और आंदोलन की राह पकड़ी।