बेरी पशु मेला 2025 का भव्य आगाज़, ऊंट-घोड़ों के नृत्य ने मोहा मन
बेरी पशु मेला 2025 का भव्य आगाज़, ऊंट-घोड़ों के नृत्य ने मोहा मन

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रविन्द्र पारीक
बेरी : शेखावाटी की सांस्कृतिक और पशुपालन परंपरा के प्रतीक बेरी पशु मेला 2025 का रविवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ शुभारंभ हुआ। यह मेला 13 सितंबर तक चलेगा। मेले में दूर-दराज़ क्षेत्रों से आए पशुपालकों ने अपने ऊंट और घोड़े लेकर शिरकत की। पारंपरिक झलकियों से भरे इस आयोजन में ग्रामीण संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत पाबूजी महाराज की पूजा-अर्चना के साथ हुई। पूजा के पश्चात अतिथियों ने मेले की परंपरागत विधि से शुरुआत की और उपस्थित पशुपालकों व ग्रामीणों को संबोधित किया।
उद्घाटन अवसर पर पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, पूर्व विधायक रतन जलधारी, झुंझुनूं जिला प्रमुख ताराचंद धायल, तारा देवी पूनिया, जितेंद्र खीचड़, गुलाबचंद धिवां, रामचंद्र सुंडा, पाबूजी धाम बेरी के पाबू दान सिंह चौहान, गोविंद मुनि, कानाराम जाट, सूर्यनाथ जी महाराज, राजेंद्र सैनी, सरपंच हकिलेश नायक, बजरंग सिंह चौहान, बीरबल सिंह मुंड, विजेंद्र सिंह काजल, हनुमान सिंह शेखावत, बलवीर सिंह राठौड़, रघुराज सिंह चौहान, सुखराम, भंवर सिंह चौहान, आनंद सिंह चौहान, किरण मिल, नोप सिंह चौहान, रमेश धीवां, कुंभाराम गुर्जर, दिनेश तिवाड़ी, दिनेश सोनी और कुरड़ाराम नेता सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। स्कूली बच्चों की उपस्थिति ने आयोजन में और भी उत्साह भर दिया।
मेले का मुख्य आकर्षण हर रोज शाम को आयोजित होने वाले ऊंट और घोड़ों के नृत्य हैं। दूर-दराज़ से आए पशुपालक अपने पशुओं को सजाकर प्रस्तुत करते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जब ऊंट और घोड़े ताल पर थिरकते हैं तो दर्शकों का उत्साह चरम पर पहुँच जाता है। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए ग्रामीण अंचल के साथ-साथ शहरों से भी लोग बड़ी संख्या में मेले में पहुँच रहे हैं।
बेरी पशु मेला न केवल व्यापार और पशुपालन का बड़ा केंद्र है, बल्कि यह ग्रामीण संस्कृति और लोक परंपराओं का भी प्रतीक है। यहां पशुपालकों को आपसी अनुभव साझा करने और अपनी परंपरागत कला को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है।
आयोजक समिति के अनुसार, मेला 13 सितंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रम, पशु प्रदर्शन और लोककलाओं का आयोजन किया जाएगा।