शीथल पंचायत में निर्माण कार्य पर उठे सवाल:ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, मामले की जांच की मांग
शीथल पंचायत में निर्माण कार्य पर उठे सवाल:ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, मामले की जांच की मांग
झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले की शीथल ग्राम पंचायत में एक सड़क के निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों में असंतोष है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत ने कागजों में एक किलोमीटर लंबी सीसी सड़क का निर्माण पूरा दिखा दिया है, जबकि मौके पर ऐसी कोई सड़क बनी ही नहीं है। इस मुद्दे को लेकर सोमवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
कलेक्ट्रेट पर विरोध की गूंज
सोमवार सुबह बड़ी संख्या में गांव के लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे और अपने विरोध को दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि सड़क न होने से गांव के लोगों, बच्चों और किसानों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जब तक इस मामले की जांच नहीं होती, वे चुप नहीं बैठेंगे।

ग्रामीणों ने रखी अपनी बात
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पंचायत से स्वीकृत परियोजनाओं की सूची मांगी थी। गांव के निवासी मनोज कुमार ने कहा, “जब हमने सूची में इस सड़क को पूरा देखा, तो हमें हैरानी हुई क्योंकि मौके पर ऐसा कुछ भी नहीं था।” धर्मपाल और प्रदीप ने कहा कि गांव के विकास के नाम पर यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अब इस मामले को गंभीरता से उठाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियाँ दोबारा न हों।
प्रशासन से की जांच की मांग
धरना प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने मांग की कि इस मामले की तुरंत जांच शुरू की जाए और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय हो। ग्रामीणों ने प्रशासन को 10 दिन का समय दिया है और कहा है कि अगर इस दौरान कोई कदम नहीं उठाया गया तो वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज करेंगे।

कागजों में पूरी हुई सड़क, हकीकत में नहीं दिखी
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2023-24 में ‘खात्तियों की जोहड़ी से धर्मपाल जाखड़ के घर तक’ एक सीसी सड़क स्वीकृत हुई थी। पंचायत के दस्तावेजों में इसे पूरा दिखाकर इसका भुगतान भी कर दिया गया। लेकिन जब ग्रामीण मौके पर पहुंचे, तो वहां केवल कच्चा रास्ता और मिट्टी ही नजर आई। ग्रामीणों का कहना है कि यह जनता के पैसों का अनुचित उपयोग है और इससे गांव के विकास पर सवाल खड़ा होता है।
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