सीकर में 6 साल बाद फूटी 25 फीट ऊंची दही-हांडी:बार-बार गिरती रही गोविंदाओं की टोली, गलियों में गूंजी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की गूंज
सीकर में 6 साल बाद फूटी 25 फीट ऊंची दही-हांडी:बार-बार गिरती रही गोविंदाओं की टोली, गलियों में गूंजी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की गूंज

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर सीकर में शनिवार देर रात भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला। गोपीनाथ मंदिर में कान्हा के जन्मोत्सव पर भक्तों ने 1100 किलो पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया। रात 12 बजे आरती के साथ उत्सव की शुरुआत हुई।
सीकर : जाट बाजार में 6 साल बाद फिर से शुरू हुए दही हांडी मटकी फोड़ प्रतियोगिता ने पूरे शहर का ध्यान खींचा। रात 1:50 बजे ‘विकी लखन एंड ग्रुप’ ने 25 फीट ऊंचाई पर लटकी मटकी फोड़कर विजेता का खिताब अपने नाम किया। इससे पहले कल्याण धाम के बाहर आयोजित मटकी फोड़ प्रतियोगिता में बजरंग दल ने करीब 12 बजे 20 फीट ऊंची मटकी फोड़ी। दोनों जगह गोविंदा बार-बार नीचे गिरते रहे। आखिर सफलता हासिल की।

श्री बालाजी नवयुवक मंडल और टाइगर फोर्स के तत्वावधान में आयोजित इस भव्य मटकी फोड़ महोत्सव ने सीकर की गलियों को ‘गोविंदा आला रे’ की गूंज से भर दिया। संरक्षक पारसनाथ ने बताया- यह आयोजन 6 साल बाद फिर से शुरू किया गया है। इससे पहले 2019 में यह उत्सव हुआ था, लेकिन कोविड-19 महामारी और अन्य कारणों से इसे बीच में रोकना पड़ा। इस बार 25 फीट की ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ने के लिए विभिन्न दलों ने कड़ी मेहनत की। मानव पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंचने की कोशिश में गोविंदाओं का साहस, एकता और जोश देखते ही बनता था।
प्रतियोगिता में कई दलों ने हिस्सा लिया, लेकिन ‘विकी लखन एंड ग्रुप’ ने रात 1:50 बजे मटकी फोड़कर सभी को चकित कर दिया। आयोजकों ने विजेता टीम को पुरस्कृत किया, जिसे देखने के लिए जाट बाजार में हजारों की भारी भीड़ उमड़ी। ढोल-नगाड़ों की थाप और ‘गोविंदा आला रे’ के नारों ने माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया।

दही हांडी का उत्सव भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से प्रेरित है। द्वापर युग में नटखट कान्हा अपने सखाओं के साथ गोपियों के घरों से मक्खन और दही चुराने के लिए ऊंचाई पर लटकी मटकियों को फोड़ा करते थे। गोपियां माखन को बचाने के लिए मटकियों को ऊंचा लटकाती थीं, लेकिन कान्हा और उनके दोस्त मानव पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंच ही जाते थे। इसी परंपरा को जीवंत रखने के लिए जन्माष्टमी पर दही हांडी का आयोजन किया जाता है।

2019 में हुआ था आखिरी आयोजन
सीकर में यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एकता, साहस और सामूहिक प्रयास का प्रतीक भी है। सीकर में दही हांडी उत्सव का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन यह स्थानीय युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुका है। 2019 में हुए आखिरी आयोजन में श्रीकृष्ण गोविंदा ग्रुप ने मटकी फोड़कर खिताब जीता था। उस समय मटकी 20 फीट की ऊंचाई पर लटकाई गई थी। प्रतियोगिता में 6 टीमें शामिल हुई थीं। 2020 से 2024 तक कोविड-19 और अन्य कारणों से यह आयोजन नहीं हो सका। इस साल 2025 में 25 फीट ऊंची मटकी और बढ़े हुए उत्साह के साथ यह उत्सव फिर से शुरू हुआ, जिसमें विकी लखन एंड ग्रुप ने बाजी मारी।



