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शहीद भाई की मूर्ति को राखी बांध बनाया रक्षाबंधन पर्व:बहनें हर साल मनाती हैं यह पर्व; भाई दलीप थाकन


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शहीद भाई की मूर्ति को राखी बांध बनाया रक्षाबंधन पर्व:बहनें हर साल मनाती हैं यह पर्व; भाई दलीप थाकन

शहीद भाई की मूर्ति को राखी बांध बनाया रक्षाबंधन पर्व:बहनें हर साल मनाती हैं यह पर्व; भाई दलीप थाकन

झुंझुनूं : 25 साल पहले देश की सेवा करते हुए शहीद हुए झुंझुनूं के जवान दलीप कुमार थाकन की बहनें आज भी मूर्ति को राखी बांधकर रक्षाबंधन का पर्व मनाती हैं। शुक्रवार को दोनों बहनें राखी और माला लेकर स्मारक स्थल पर पहुंचीं और भाई की कलाई पर राखी बांधी।झुंझुनूं के अणगासर गांव के वीर शहीद दलीप कुमार थाकन की बहनें अमिता और सुनिता हर साल मूर्ति को राखी बांधती हैं। शनिवार को गांव पहुंची बहनों के हाथों में राखी थी, आंखों में नमी और दिल में भाई के अदम्य साहस पर गर्व।

झुंझुनूं में शहीद की बहनें हर साल मनाती हैं यह अनोखा रक्षाबंधन
झुंझुनूं में शहीद की बहनें हर साल मनाती हैं यह अनोखा रक्षाबंधन

अमर भाई की प्रतिमा पर राखी

शनिवार की सुबह अमिता और सुनिता ने अपने शहीद भाई की प्रतिमा को पहले साफ किया। फिर चंदन का टीका लगाकर राखी बांधी। दोनों बहनों की आंखें भर आईं। अमिता ने कहा-भाई को हमसे बिछड़े 25 साल हो गए, लेकिन हमारे लिए वह आज भी जीवित हैं। उनका चेहरा, उनकी बातें, उनकी हंसी… सब हमारी यादों में जिंदा हैं। उन्होंने देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए, यह हमारे परिवार का ही नहीं, बल्कि पूरे गाँव और जिले के लिए गर्व का विषय है।

सुनीता ने कहा- हर साल रक्षाबंधन पर हम यही करते हैं। भाई की प्रतिमा पर राखी बांधना हमारे लिए ऐसा है, जैसे हम उन्हें अपने हाथों से राखी बाँध रहे हों। वह हमारे लिए केवल भाई नहीं, बल्कि देश की रक्षा के लिए अमर हुए वीर सपूत हैं। उनका बलिदान हमें हमेशा देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है।

शहीद दलीप थाकन की प्रतिमा पर बहनों ने बांधी राखी
शहीद दलीप थाकन की प्रतिमा पर बहनों ने बांधी राखी

भांजी बोली-मामा पर गर्व

इस दौरान शहीद दलीप थाकन की भांजी ने कहा- हमने मामा को देखा तो नहीं, लेकिन मां और बुआ की आँखों में जब भी उनके बारे में बात होती है, उनकी वीरता हमारे दिल में बस जाती है। हमारे लिए उनका नाम ही गर्व और प्रेरणा का स्रोत है। हम भी चाहते हैं कि देश के लिए कुछ करें। शहीद दलीप कुमार थाकन ने 25 साल पहले देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किए थे। तब से हर साल उनकी बहनें और परिवारजन स्मारक पर आकर उन्हें राखी बांधते हैं।

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